कखि "नमो" त,
कखि "नारैण" च होणु,
देखा! कलजुग मा,
कनु "रामैण" रंचेणु ।।
'द्वापर' मा मोहन बजांदु छौ बन्सुलि,
अर राधा छै नचदी,
अब "राधा" लगाणि भौंण,
अर "मोहन", "मन" से नचणु।।
देखा कलजुग मा ..........................
"संत" कना छन तौलियों से सानी,
'खेल' मा 'खेल' ना, भरैणि पैंस्योंन माणी,
'भारत' मा नी च, पीणों पाणी,
अर 'इंडिया' म प्रीमियर तमासु करेणु।।
देखा कलजुग मा ..........................
"असगुनि" सिखाणन 'क़ानून' देस तैं,
"पवन" लिजाणि कखि हौरि 'रेल' तैं,
"जाँचै संस्था" मा बस 'अव्यवस्था'
"राजा" प्रजा कु हि माल च खौणु।।
कखि "नमो" त ..............................
सिनक्वलि चुनौ कु रणसिंग बि बजलु,
एक दिनौ 'सेरा' हमरा मुंड बि सजलू,
एकन बटोली-सौंग्ये धैरयालि,
हैंकु उठिड्यों मा जीभ फिरौंणु।।
कखि "नमो" त,
कखि "नारैण" च होणु,
देखा! कलजुग मा,
कनु "रामैण" रंचेणु ।।
विजय गौड़
१७/०५/ २०१३
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