गढ़वाली हास्य -व्यंग्य
सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं
प्रधान मंत्री जी ! तुमर बिजणौ समौ कब आलो ?
चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती (s = आधी अ )
आदरणीय प्रधान मंत्री जी अर सबि विरोधी नेता लोग !
समनैन ! तुम सब्युं कुर्सी बचीं रैन , प्रजातंत्र का नाम पर तुमर झड़नाती -पड़नात्युं तैं विरासत मा तुमारि कुर्सी मिल्दि जावु।
उन त मि जाणदो छौं तुम लोगुं चमड़ी गैंडा की खाल से बि जादा बकळि च जख पर चुनाव हारण से, लगातार वोट प्रतिशत मा गिरावट से कुछ फरक नि पड़दो उख मै सरीखा मनिखौ चिट्ठी से क्या फरक पड़दो।
पण ए जी ! तुम कर्तव्यवोध हीन, चक्षुहीन, निकजा, निर्मोही,निपट संवेदनहीन, निर्मूलक,निर्व्यापार, ह्वे गे होला पण मैं सरीखा करोड़ों भारतीयों मा कर्तव्य वोध, आँख, देश मोह, संवेदना आत्मा, चेतना, वुद्धि, संज्ञा , आशा अबि बि बचीं च।
इलै मि कर्तव्य वोध से प्रेरित आप सबि लोगुं कुण चिट्ठी भेजणु छौं तुम नी बि बांचिल्या तो भी मि अपण कर्तव्य निभाणम अग्वाड़ी ही रोलु।
हे ! कुनेथियो, कुढबियो, कुत्सित कर्मियों ! पता बि च तुम तैं कि तुमर कुनीत्युं अर कुकाज से यु क्या होणु च -कुस्वप्न, कसूत (मिसमैनेजमेंट) अर कुहक (भरम ) फैल्युं च , भारत एक कुखेत ह्वे गे।
अब जरा तक लगैक द्याखो जख आज चबूतरों , चौराहों , चौबटो , चराई जगौं , कॉफ़ी हाउसों , बसों , रेलों माँ लोगुं छ्वीं लगण चयेणी छे बल अबि चीनी प्रधान मंत्री भारत ऐ छा तो क्या हमर राजनीतिग्य , प्रशासनिक अधिकारी, उद्योगपति इन जुगत भिड़ाला कि चीन से आयात अर चीन कुणि निर्यात का बीच जो खतरनाक गहरी-चौड़ी खाइ (डिस बैलेंस ) पैदा ह्वे ग्यायि अर वीं आर्थिक खाई तैं कनै भरे जावो। पण चुलम बि अर चिलम पींद दै छ्वीं लगणा छन कि चंडेलिया खिलाड़ी तैं पकड़्याण से कथगा नुकसान ह्वे होलु अर क्या चंडेला पुलिस कस्टडी से भैर आणो उपरांत अपण नुकसानौ भरपाई करी साकल कि ना! चिंता भारत अर चीन का मध्य आर्थिक खाई की नि होणि च चर्चा चंडेला पर अटग गे।
हे जंग लग्याँ नेताओं ! तुम तैं खबर बि च कि हमर प्रधान मंत्री जापान जात्रा पर जयाँ छा। प्रधान मंत्री की जापान जात्रा एक जरूरी घटना छे अर हमर व्यापारियों, उत्पादकों तैं सुचण चयेणु छौ कि हम जापान से क्या फैदा लिवां कि हमर जो हजारों फैक्ट्री बंद ह्वे गेन वूं फैक्टर्यूं तैं कनै दुबार शुरू करे जावो पण आज भारतीय इथगा पलायनवादी ह्वे गे कि जख वै तैं वस्तु निर्माण (प्रोडक्सन ) पर बहस करण चयाणो छौ वो अपण चौक मा चिंता जताणु च, चरचा करणु च, चकचक करणु च कि आईपीएल मा विदेशी खिलन्देरो संख्या बढाई जाव जाँ से मजा जादा ह्वे जावो।
अबि सि छतीसगढ़ मा मावोवादियोंन कथगा लोगुं निर्मम हत्या कार। आज जब कि चर्चा , छ्वीं, बहस होण चयाणो छौ कि मावोवादी आतंकवाद तैं कनै रुके जावो उख हम भारतवासी बहस , चर्चा , छुयुं माँ व्यस्त छंवा कि बीसीसीअई को अध्यक्ष श्रीनिवासन की मोर्चाबंदी तैं कनकै रोके जाव।
हे महामहिमो ! मौर्य शासन को अवसान कुशाण राज को खतम हूण, गुप्तवंश को खात्मा, मुहमद तुगलक को निर्बीजिकरण, मुगल सल्तनत को अस्ताचल को जाण, गढवाल से पंवार वंश को खतम हूण, कुमाओं से चंद वंश को चंपत हूण मा कुछ ख़ास चरित्र अर लक्षण इकसनि छा। जब भी उच्च पदासीन लोग कुर्सी लोभी , भाई भतीजावाद का समर्थक , स्वार्थी , जनता से दूर, भ्रष्ट , निर्लज , आचार -विचार हीन, संवेदन हीन , पाळिबाज (गुटबाज), व्यसनी , अमानत माँ खयानत तै अडसारो दीण वाळ, बेइमान , स्वेच्छाचारी , गुंदकीखोर, बदखोर ह्वे जावन तो तब जनता, छवट-पदाधिकारी, चिंतक, कारीगर समाज, शिक्षक समाज , अडंदेर समाज, पूरो समाज पलायनवादी ह्वे जांद अर यूँका ध्यान मुख्य विषय पण ना गौण विषयों पर अटकि जांद। अर समाज व जनता के यीं पलायनवादी मानसिकता से देश समाज को नुकसान अवश्यम्भावी च।
आज भारतीय जनता, अडंदेर अर चिन्तक पलायनवादी ह्वे गेन अर मुख्य विषयों छोड़िक गौण विषयों पर झकमारी करण, समय बरबाद करण , मुख्य कामौ मुद्दा से भटकण गीजि गेन अर हे माहामहिमो तुम अबि बि गहरी नींद मा छंवाँ।
हे नेताओं ! क्या अबि बि तुमर बिजणो समौ नि आयि ?
Copyright @ Bhishma Kukreti 30/05/2013
(लेख सर्वथा काल्पनिक है )
सौज सौज मा मजाक मसखरी
हौंस,चबोड़,चखन्यौ सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं
चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती (s = आधी अ )
आदरणीय प्रधान मंत्री जी अर सबि विरोधी नेता लोग !
समनैन ! तुम सब्युं कुर्सी बचीं रैन , प्रजातंत्र का नाम पर तुमर झड़नाती -पड़नात्युं तैं विरासत मा तुमारि कुर्सी मिल्दि जावु।
उन त मि जाणदो छौं तुम लोगुं चमड़ी गैंडा की खाल से बि जादा बकळि च जख पर चुनाव हारण से, लगातार वोट प्रतिशत मा गिरावट से कुछ फरक नि पड़दो उख मै सरीखा मनिखौ चिट्ठी से क्या फरक पड़दो।
पण ए जी ! तुम कर्तव्यवोध हीन, चक्षुहीन, निकजा, निर्मोही,निपट संवेदनहीन, निर्मूलक,निर्व्यापार, ह्वे गे होला पण मैं सरीखा करोड़ों भारतीयों मा कर्तव्य वोध, आँख, देश मोह, संवेदना आत्मा, चेतना, वुद्धि, संज्ञा , आशा अबि बि बचीं च।
इलै मि कर्तव्य वोध से प्रेरित आप सबि लोगुं कुण चिट्ठी भेजणु छौं तुम नी बि बांचिल्या तो भी मि अपण कर्तव्य निभाणम अग्वाड़ी ही रोलु।
हे ! कुनेथियो, कुढबियो, कुत्सित कर्मियों ! पता बि च तुम तैं कि तुमर कुनीत्युं अर कुकाज से यु क्या होणु च -कुस्वप्न, कसूत (मिसमैनेजमेंट) अर कुहक (भरम ) फैल्युं च , भारत एक कुखेत ह्वे गे।
अब जरा तक लगैक द्याखो जख आज चबूतरों , चौराहों , चौबटो , चराई जगौं , कॉफ़ी हाउसों , बसों , रेलों माँ लोगुं छ्वीं लगण चयेणी छे बल अबि चीनी प्रधान मंत्री भारत ऐ छा तो क्या हमर राजनीतिग्य , प्रशासनिक अधिकारी, उद्योगपति इन जुगत भिड़ाला कि चीन से आयात अर चीन कुणि निर्यात का बीच जो खतरनाक गहरी-चौड़ी खाइ (डिस बैलेंस ) पैदा ह्वे ग्यायि अर वीं आर्थिक खाई तैं कनै भरे जावो। पण चुलम बि अर चिलम पींद दै छ्वीं लगणा छन कि चंडेलिया खिलाड़ी तैं पकड़्याण से कथगा नुकसान ह्वे होलु अर क्या चंडेला पुलिस कस्टडी से भैर आणो उपरांत अपण नुकसानौ भरपाई करी साकल कि ना! चिंता भारत अर चीन का मध्य आर्थिक खाई की नि होणि च चर्चा चंडेला पर अटग गे।
हे जंग लग्याँ नेताओं ! तुम तैं खबर बि च कि हमर प्रधान मंत्री जापान जात्रा पर जयाँ छा। प्रधान मंत्री की जापान जात्रा एक जरूरी घटना छे अर हमर व्यापारियों, उत्पादकों तैं सुचण चयेणु छौ कि हम जापान से क्या फैदा लिवां कि हमर जो हजारों फैक्ट्री बंद ह्वे गेन वूं फैक्टर्यूं तैं कनै दुबार शुरू करे जावो पण आज भारतीय इथगा पलायनवादी ह्वे गे कि जख वै तैं वस्तु निर्माण (प्रोडक्सन ) पर बहस करण चयाणो छौ वो अपण चौक मा चिंता जताणु च, चरचा करणु च, चकचक करणु च कि आईपीएल मा विदेशी खिलन्देरो संख्या बढाई जाव जाँ से मजा जादा ह्वे जावो।
अबि सि छतीसगढ़ मा मावोवादियोंन कथगा लोगुं निर्मम हत्या कार। आज जब कि चर्चा , छ्वीं, बहस होण चयाणो छौ कि मावोवादी आतंकवाद तैं कनै रुके जावो उख हम भारतवासी बहस , चर्चा , छुयुं माँ व्यस्त छंवा कि बीसीसीअई को अध्यक्ष श्रीनिवासन की मोर्चाबंदी तैं कनकै रोके जाव।
हे महामहिमो ! मौर्य शासन को अवसान कुशाण राज को खतम हूण, गुप्तवंश को खात्मा, मुहमद तुगलक को निर्बीजिकरण, मुगल सल्तनत को अस्ताचल को जाण, गढवाल से पंवार वंश को खतम हूण, कुमाओं से चंद वंश को चंपत हूण मा कुछ ख़ास चरित्र अर लक्षण इकसनि छा। जब भी उच्च पदासीन लोग कुर्सी लोभी , भाई भतीजावाद का समर्थक , स्वार्थी , जनता से दूर, भ्रष्ट , निर्लज , आचार -विचार हीन, संवेदन हीन , पाळिबाज (गुटबाज), व्यसनी , अमानत माँ खयानत तै अडसारो दीण वाळ, बेइमान , स्वेच्छाचारी , गुंदकीखोर, बदखोर ह्वे जावन तो तब जनता, छवट-पदाधिकारी, चिंतक, कारीगर समाज, शिक्षक समाज , अडंदेर समाज, पूरो समाज पलायनवादी ह्वे जांद अर यूँका ध्यान मुख्य विषय पण ना गौण विषयों पर अटकि जांद। अर समाज व जनता के यीं पलायनवादी मानसिकता से देश समाज को नुकसान अवश्यम्भावी च।
आज भारतीय जनता, अडंदेर अर चिन्तक पलायनवादी ह्वे गेन अर मुख्य विषयों छोड़िक गौण विषयों पर झकमारी करण, समय बरबाद करण , मुख्य कामौ मुद्दा से भटकण गीजि गेन अर हे माहामहिमो तुम अबि बि गहरी नींद मा छंवाँ।
हे नेताओं ! क्या अबि बि तुमर बिजणो समौ नि आयि ?
Copyright @ Bhishma Kukreti 30/05/2013
(लेख सर्वथा काल्पनिक है )
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments