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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, October 7, 2012

बिंडी-मुख्या शिक्षा

व्यंग्य साहित्य गढ़वाली मा
चबोड़ इ चबोड़ मा, हौंस इ हौंस मा
                                                बिंडी-मुख्या शिक्षा
                                                 चबोड्या: भीष्म कुकरेती
 
 
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               जी हाँ हमर इख शिक्षा बिंडी मुख्या च. अब तुमि द्य्खादी बल तुमर गाँ अर शहरू  स्कुलूं हाल मा कथगा  फरक च एक बिचारो स्कुल्या छौं क बान डाळ खुज्यांद त शहर कु स्कुल्या विचारों स्कुलो एक कमरा बिटेन हैंक कमरा मा जाणो बान मैप दिखदु. एकाकुण टट्टी पिसाबौ खुण अलग अलग बाथरूम /टोइलेट छन , ट्वैलेट मा क्वी से बि जाओ त आनंद इ आनन्द च अर हैंको खुले आम धरती मा झाड़ा पिसाब करदो अर बुल्दो बल अहा अस्मान क तौळ अर धरती ऐंच झाड़ा पिसाब मा जु मजा च , जु आनंद च , जु खसी च ओ हौर जगा कख च.
                      शहर का स्कुल मा कमरा छन त फैन छन , खिड़की छन त इख गाँ मा स्कुल्यों बुबा बुल्दन बल अब ये गौंक स्कुल मा बुलणो बान कुछ त छें च.
शहर कि स्कूलों मा मास्टर लोग जिन्दगी भर कौंट्रेक्ट मा पढ़ाणो तैयार छन त गाँ क मास्टर शहर मा ट्रांस्फरो बान हर मैना जिला मुख्यालय मा चढ़ावा चढ़ाणो जाणा रौंदन. गां क मास्टरों नौन्याळ पैदा होंदी शहर चलि जान्दन किलैकि गाँ क मास्टर डौरु बजैक थाळि छणकैक, रौंटळ पर कटांग लगैक, ढोल घुरैक बीच गाँ मा धाई लगांदन बल ज्वा शिक्षा शहरूं मा च वा शिक्षा गाँ मा कख च?
                      सिलेबस एक पण कुज्याण क्या बिजोग पड्यु च कि स्कुल्यो क मिजाज मा स्थान भेद कु कारण शिक्षा प्राप्ति मा बि फरक ह्व़े जान्दो. एक स्कुल्या महात्मा गाँधी तै राष्ट्रपिता बुल्दु त हैंको अड जान्दो कि नो नो , इट इज रबिश टु काल गाँधी एज रास्ट्रपिता.बट महात्मा गांधी वज फादर ऑफ़ नेसन. एक गान्कू स्कुल्या इम्तान मा लिखुद कि भारत एक कृषि प्रधान देस च त शहर कु स्कुल्या लिखुद बल इंडिया प्रोड्यूसेज मीलियन्स ऑफ़ पुअर फार्मर्स.
फिर जरा नजर घुमावदी कि इम्तान एकी च , सवाल एकी छन पण पास हूणो बान शिक्षा मा बिजां मुख छन बिजां रस्ता छन.जन हमर गाँ मा एकी जगा मा पाणी कथगा इ दुंळु या छ्वायों से भैर आन्द उनि एकी सवाल कु जबाबो बान स्कुल्या तै कथगा इ संस्थानों मा दबखण पड़द .
                    अच्काल बच्चा पास पैथर हूंद कोचिंग क्लास नामक संस्थान मा पैल भर्ती होंद. पैल स्कुल्यों बुबा घमंड से बुल्दा छा कि म्यार नौनु फलण स्कुल मा पड़दु पण अब बुबा या ब्व़े बुल्दन बल हमारी नौनि त हाई किलास कोचिंग किलास म पढ़दि जखाक फीस द्वी लाख सालाना च .. अब त कोचिंग क्लास परेंट्स कु स्टेट्स सिम्बल ह्व़े ग्याई . जु स्कूलों मा दस रूप्या फीस बढ़ी जाओ त पैरेंट्स असोसिएसन धारणा दीणो विधान सभा पौंची जान्दन पण जब कोचिंग क्लास वळ फीस बढ़ान्दन त ब्व़े बाब पुळयान्द छन , खुस हून्दन, हैपी होन्दन बल कोचिंग क्लासक स्टैण्डर्ड बढ़ी गे.
                    फिर कोचिंग क्लास से इ स्कुल्यों ज्ञान पाणों धीत नि भर्यांदी , ड्यारम प्राइवेट टयूसन बि एक जरूरी बुराई च.
           फिर याँ से बि स्कुल्यों ज्ञान पिपासा नि बुझदी .ओ हरेक विषय कि कुंजी बि पड़दो . फिर कुंजी से जब कुछ घंघतोळ होंदी त स्कुल्या स्योवर शौट क्वेस्चन कि किताब बि मंगादन. जब स्कुल्या स्योवर शौट क्वेस्चन रटी लीन्दन त ब्व़े बाब अपण पित्री धरम निभाणो बान क्वेस्चन ऑफ़ लास्ट फाइव यिअर्स का आनसर कि किताब बि लांदन.
                     फिर कुछ स्कुल्या जनम जाती मौलिक रचनाकार बि हुंदी छन. मी साहित्यकार छौं अर मी जाणदो छौं कि नकल करण बि एक महान रचनात्मक अर दिमाग लगाण वळ माने मगज खपाण वळ काम च. . त कुछ मौलिक रचनाधर्मी स्कुल्या परीक्षा से एक मैना पैल पर्ची बणाण मा लगी जान्दन अर पर्ची से नकल करणों प्रैक्टिस/ अभ्यास इनी करदन जन योगी योग्याभ्यास करदन. कुछ स्कुल्या हाथ, खुट, कमीज या जंग्या मा लिखण सिखणो बान विशेषज्ञों राय लीणो बान इना उना फिरणा रौंदन. बिचारा स्कुल्या !
           उन कुछ स्कूल अर कॉलेज विश्वास करदन कि किलै स्कुल्यों तै परेशान करे जाओ त हरेक क्षेत्र मा कुछ स्कूल अर कौलेज मॉस चीटिंग या मॉस कौपिंग मा अफिक प्रसिद्ध ह्व़े जान्दन.
                    सिलेबस एक, सवाल एक अर पास हूणो बान स्कुल्यों तै इथगा रस्तो से जाण पोड़द . क्या यू बच्चों पर सार्वजनिक अन्याय नी च ?

Copyright@ Bhishma Kukreti 4/10/2012
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