गढ़वाली
हास्य व्यंग्य
चबोड़ इ
चबोड़ मा
मंत्री
पद आबंटन (बंटवारो)
चबोड्या
: भीष्म
कुकरेती
दुर्योधन- ममा
जी ! अब आपक
सुझाव अर बुबा
जी बुलण पर
हमन मंत्रीपद
परिवर्तन त
करणी आइ अर छै
मैना ह्वे गेन
पण अबि तलक
निर्णय नि
ल्याई कि कै
चमचा ते कु पद
दिए जाओ .
शकुनी - भणजा!
क्या बोलु मि .जीजा
श्री अर दीदी
श्री देखि नि
सकदन त हरेक निर्णय
क बान भीष्म
श्री, विदुर श्री, क्रिपाचार्य
श्री, द्रोणाचार्य
श्री आर
शिल्पी श्री
पर आश्रित रौंदन
ब्वालो तो
निर्णय लेई नि
सकदन .अफु बि
घंघतोळ मा
रौंदन अर हौरू
कुणि बि घंघतोळौ
दिवाल सीढ़ी
खड़ी कौर
दीन्दन
घंघतोळौ
दिवाल सीढ़ी
खड़ी कौर दीन्दन
दुर्योधन -
पण उंकी क्या
गल्ती ! द्याखो
ना ! भीष्म ददा
श्री बुलणा छन
बल सेवानिवृत
सेनापतियो तै
मंत्री बणावो, विदुर
काका बुल्दन
बल केवल
विद्वान इ
मंत्रीपद जोग
हून्दन अर हर
समौ अड़ी
जान्दन . द्रोणाचार्य
श्री को मत च
बल मंत्रीपद
मा परुशराम जी
जन ब्रह्म
तेजी अर
शस्त्र धारी इ
हूण चयेंदन त
कृपाचार्य
श्री बुल्दन
बल पुडक्या
बामण अर
नेगिचारी (सेवकाई
) का गुण वळ इ
मंत्री बणये
जाण चयेंदन त
शिल्पिराज
श्री बुल्दन
बल शिल्पकारो
तै जादा जगा
मिलण चयेंद . कैकि
सुणो अर कैकि
नि सुणो। एकाक
सुणो त हैंको
रूसे जांद . सब्युं
सुणो त कुछ
करे इ नि
सक्यांद .
शकुनी - भणजो
सुयोधन ! शुक्रनीति
ब्वालो या
मनुस्मृति
ब्वालो दुई बुल्दा
बि छन बल जब
राजा अंधा
ह्वाओ या
सूचना लीण -दीण
मा हीण ह्वाओ
या राजा मा
क्वी बि
कमजोरी ह्वाओ
त मंत्री या
सलाहकार अपण
अपण समुदाय, अपण
अपण मुन्डीत
बणाण बिसे
जान्दन अर
दिखणो त एकी
राजा
दिख्यांद पण
असल मा भौत सा
लोग अलग लग
ढंग से राज
चलांदन , यि लोग
राजभोग करदन
अर राजा
बिचारो गाळी
खाणो रौंद।
खावन प्यावन
हौरुक अर मार
खावन गौरुक .
दुर्योधन -
ममा श्री ! पण
अब
मंत्रीमंडल
परिवर्तन टळण
माने हस्तिनापुर
पर मुसीबत लाण।
शकुनी - अच्छा
त तेरी सूची
तैयार च ? कि कै कै
तै मंत्रीपद
दीण
दुर्योधन- हाँ
शकुनी - त
तुमारी पड़ ददी
माता सत्यवती
क टुटब्याग
अपणाण पोड़ल।
दुर्योधन -
यु क्या च ?
शकुनी - माता
सत्यवती बड़ी
चतुर विदुषी
महिला छे . वो
सौब काम अपणी
मर्जी से करदी
छे पण लोगु तै
लगदो छौ कि वो
सौब लोगु तै
पूछी जाचिक
काम करदी . गणतंत्री
अधिनायकवाद
की सबसे बड़ी
धड्वे छे माता
सत्यवती .
दुर्योधन -
या बात मेरी
समज से भैर च
कि माता
सत्यवती गणतंत्री
अधिनायकवाद
की पुजारिन छे
. गण तन्त्र अर
अधिनायकवाद त
आपस मा मीलि
नि सकदन फिर ?
शकुनी - देख
भाणजो ! माता
सत्यवती न पूछ
सब्युं तै च
कि कुरु बंश चलाणों
बान अम्बा , अम्बालिका
क दगड़ निसर्ग
योग विधि
द्वारा पुत्र
उत्पादन करे
जाण चयेंद .
दुर्योधन -
हाँ , बुबा
श्री , पांडू श्री
आर विदुर काका
निसर्ग योग से
इ पैदा हुयाँ
छन .दादी
सत्यवती न
भीष्म ददा जीक
अर
मंत्रीमंडल की
पूरी सहमति
लेकी यु
निर्णय ल्याई .
शकुनी- हा
हा !
दुर्योधन -
आप हंसणा छंवा
?
शकुनी - माता
सत्यवती क
विद्वता दिखण
लैक च सिखण
लैक च।
दुर्योधन -
मामा श्री ! इखमा
चतुराई क्या च
?
शकुनी - अछा
! जरा बतादी कि
निसर्ग योग का
वास्ता कै तै
बलाए गे छौ ?
दुर्योधन- मुनि
व्यास तै
शकुनी - मतबल
खून या वीर्य
को हिसाब से
तुम असल मा कै
बि रूप मा
कुरु बंश या
शातुनु बंशी
नि छंवा
दुर्योधन -
हाँ पण यो त
सब्युं सहमति
अर सलाह से
ह्वे छौ
शकुनी - हाँ
इखम सत
प्रतिसत
गणतांत्रिक
पद्धति दिख्याणि
च . दादा भीष्म
अर सबि
बुजर्गो न
सलाह बि दे अर
सहमति बि जताई
कि निसर्ग योग
से कुरु बंश
की रक्षा करे
जावो
दुर्योधन -
या बात त
भीष्म दादा अर
शिल्पराज आज
बि बुल्दन कि
वुनि दादी
सत्यवती तै
सलाह दे छौ
शकुनी - याने
कि खून या
वीर्य को
हिसबन जीजा
श्री, पांडू श्री
अर विदुर श्री
व्यास पुत्र छन
दुर्योधन -
हां
शकुनी - अर
व्यास श्री
कैकि सन्तान
छन ?
दुर्योधन -
व्यास श्री बि
हमारी ददी
सत्यवती की
सन्तान छन
शकुनी- यो
इ त गणतंत्री
अधिनायकवाद
ह्वाई . सलाह
लीण अलग बात च
अर सलाह तै
अपण हिसाब मोड़
द्याओ बिगळी
बात . माता
सत्यवती न
सलाह जरोर
ल्याई पण
निसर्ग का वास्ता
अपणो पुत्र इ
बुलाई . बड़ी
चतुराई से
माता सत्यवती
न ये खानदान
तै अपणो पुत्र
व्यास का बीज
दिलै दिने
दुर्योधन -
मामा श्री ! मी
नि जाणदों कि
आपको मन्तव्य
क्या च मि तै
इन बताओ कि
इतना जटिल
वस्तुस्थिति
क मध्य मंत्रीमंडल
माँ परिवर्तन
कनै करे जावो .
शकुनी - अब
एकी ब्युंत च
गणतंत्री
अधिनायकवाद
चलाण जन माता
सत्यवती न कौर
छौ .
दुर्योधन -
क्वा च वा
गणतंत्री
अधिनायकवाद
की कौंळ ?
शकुनी - बस
भोळ राज दरबार
मा महाधिराज
धृतराष्ट्र
तै अधा दिन
तलक भीष्म
श्री , विदुर श्री
, द्रोणाचार्य
श्री , क्रिपाचार्य
श्री , शिल्प्श्री
आद्यु से सलाह
मंगण कि एक
सुयोग्य
मंत्रीमंडल
कनों हूण
चयेंद . मन्त्रियों
क्या क्या
विशेष गुण
हून्दन . बस यि
दिखण कि सौब
लोग ये
वार्तालाप मा
शामिल ह्वावन .
हाँ ! यूँ तै
लगण चयेंद कि
निर्णय मा यि
लोग शामिल छन .सब
तै संतुष्ट
हूँण चएंद कि
महाराज उंकी
सलाह की बड़ी
कदर करदन फिर
दुफरा
उपरान्त डुग
डुगी बजाण कि
महान सम्राट
धृतराष्ट्र न
गणतन्त्र की
रक्षा हेतु
मंत्रिमंडल
परिवर्तन का
वास्ता
हस्तिनापुर
का सबि महान
लोगु की सलाह
ले याल। सरा
हस्तिनापुर
मा सलाह की
बात घर घर जाण
चएंद। .
दुर्योधन -
फिर ?
शकुनी - स्याम
दै डुगडुगि
बजाण कि
मंत्री मंडल
मा परिवर्तन
ह्वे गे अर
राजकीय चौबटा
मा
मंत्रीमंडल
की नई सूची
टांग दीण।
दुर्योधन- या
कौंळ चली जालि
?
शकुनी - हाँ
सूची तुमारी
अर लोगु तै
लगण चएंद की
मंत्रीमंडल
गठन मा सबी
लोगु तै
सम्मलित करे
गे , निर्णय
मा सबी शामिल
छन . अर
यान्खुणि त
गणतंत्री
अधिनायक वाद
बुल्दन . गणतंत्री
अधिनायक मा सलाह
लीण या शामिल , सम्मलित
को असली अर्थ
होंद फंसाण।
फंसाण तै इ कूटनीति
बुल्दन .फंसाण
इ गणतंत्री
अधिनायक हूंद .
गणतंत्री
हिसाब से जाळ
बूणो, गणतंत्री
हिसाब से घात
प्रतिघात का
जाळ बिछाओ अर
अधिनायकी
हिसाब से
शिकार को
शिकार कारो।.
Copyright@ Bhishma Kukreti 1/11/2012
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