व्यंग्य साहित्य गढ़वाली में
चबोड्या: भीष्म कुकरेती
चबोड़ इ चबोड़ मा, हौंस इ हौंस मा
क्या आप तै अखबार बंचण मा रौंस आंद च ?
कुज्याण क्या भंगुल जाम धौं ! कुज्याण क्या जख्या जाम धौं कि अचकाल अखबार बंचण मा रौंस इ नि आंद। अंग्रेजी क न्यूज पेपर ह्वावन , हिंदी क समाचार पत्र ह्वावन या गढ़वळि छापा ह्वावन यि अखबार मजा इ नि दीन्दन . मै लगद बल जन बुल्यां हरेक समाचार पत्र बुलणु ह्वाओं धौं बल ," मजा ना दूंगा" हरेक न्यूज पेपर धै लगाणु ह्वाओ , " तुझे रौंस , आनंद ना लेने दूंगा।". अर मै तै सोळ अन भरवस च आप तै बि समाचार पत्र रौंस , मजा , आनन्द नि दीन्दा होला।
नै ! नै ! दरेक अखबार अपण तरफान सचेकी ब्रेकिंग न्यूज इ दीन्द पण कुनगस या च कि यि ब्रेकिंग न्यूज सन पैंसठ का अखबारु खबर छाप दीन्दन . अब जब हिन्दुस्तान टाइम्स दिल्ली क अखबार आज ल्याखाल बल विदेस मंत्री जी फलाणि घटना मा विदेशी हाथ कु अंदेसा दिखणा छन त तुम तै , मै तै या वीं तै क्या मजा औण? इनि हिन्दुस्तान टाइम्स दिल्ली क सन पैंसठ माँ बड़ी खबर छे कि विदेस मंत्री जी अलाणि घटना मा विदेशी हाथ कु अंदेसा दिखणा छन। हिन्दुस्तान टाइम्स दिल्ली क सन साठ पैंसठ कि खबरों आर आज की खबरूं मा बस नाम कु अंतर च, स्थान भेद च, लैंग्वेज या क्लास डिफरेंस च . निथर खबर वाई इ च।
आज सेबेरौ नव भारत टाइम्स मा ब्रेकिंग न्यूज च बल भारतऔ वित्त मंत्री बुलणा छन बल हमन मंहगाई कम करणो बाण कठोर कदम उठाई आलिन . अर जरा नव भारत टाइम्स का सन साठ , सन सहतर , सन असी या सन द्वि हजार दस कु कै बी अंक बांचो त आप हरेक दिन कु अंक मा बांचिल्या बल भारत कु वित्त मंत्री बुलणा छन बल हमन मंहगाई कम करणो बाण कठोर कदम उठाई आलिन। अर नव भारत टाइम्स मा दगड मा एक खबर हैंक बि रौंद बल विरोधी दल वाळु न सरकार तै मंहगाई कम नि करणो बान गाळी देन, सरकारऐ कठोर शब्दों मा बड़ी से बड़ी आलोचना कार। शब्द, स्थान, नाम, वर्ग भेद छोडिक सन साठ की अर सन द्वि हजार बारा की खबर मा क्वी फरक नि हून्दी। कबि कबि त स्थान अर वर्ग भेद बि नि मिल्दो . पार्लियामेंट , विरोधी दल, विरोधी दल कु नेता, राजनैतिक फुन्द्यानाथ द्वारा बेलगाम मंहगाई, बढ़ती मंहगाई की कठोर शब्दों मा आलोचना, वित्त मंत्री द्वारा मंहगाई कम करणो बान ठोस कदम, कठोर कदम उठाणै बाते खबर सन साठ माँ बि ऊनि छे त सन द्वि हजार बारा मा बि ऊनि च। अब इन माँ जैन सन साठ मा बेलगाम, अंतहीन , अथा मंहगाई बारा मा संसद माँ क्या ह्वाई कि खबर बाँचि ह्वाओ अर वाई खबर सन बारा माँ रोज वूं इ शब्दुं मा बांचल त वै तै यूँ खबरू से बिखलाण आण इ अरे बीमार बि रोज खिचड़ी नि खै सकदो
.
सन साठ या पैंसठ का करीब गढ़वाळ मा 'कर्मभूमि ' या सत्यपथ अखबार प्रसिद्ध छया . उखमा जगमोहन बाडा (जगमोहन सिंह नेगी जीलैंसडाउन का विधायक) क बयान हूंदा छा बल अविकसित क्षेत्र ढान्गु उदैपुर कु विकास हूँण चयेंद . फिर कुछ दिन या कुछ साल कर्मभूमि या सत्यपथ का हरेक अंकमा भारत सिंग रावत काका (लैंसडाउन का विधायक ) क बयानों की खबर हून्दी छे कि ढान्गु उदैपुर कु विकास हूँण चयेंद . फिर चंद्र्मोहान भैजी (लैंसडाउन का विधायक ) खबरों मा रैन कि अविकसित क्षेत्र ढान्गु उदैपुर कु विकास हूँण चयेंद . अर पता नि यी समाचार पत्रों क संपादको क स्मरण शक्ति तै क्या हवाई कि अब बी खबर हून्दी बल विजया बडथ्वाल ब्वारी (ढान्गु उदैपुर का विधायक ) बुलणि च बल अविकसित क्षेत्र ढान्गु उदैपुर कु विकास हूँण चयेंद। अब इन बासी तिबासी खबर बांचिक मै तै त उकाई , उल्टी क्या झाड़ा बि ऐ जांदी . सन साथ बीतें एकी बासी तिबासी खबर बांचिक अब त न्यूज प्वायजनिंग ह्वे जांदी। अर रूण या च सन द्वि हजार अस्सी माँ बि म्यार नाती तै बासी तिबासी खबरों से न्यूज प्वायजनिंग हूँण किलैकी सन द्वि हजार अस्सी मा बि न्यूज न हूँण कि अविकसित क्षेत्र ढान्गु उदैपुर कु विकास हूँण चयेंद। न्यूज वै इ ह्वाओ त कब तलक हम न्यूज को प्लेजर ल्योला ?
शिक्षा क बारा मा मीन हुमायूं कबीर का बयान बी बांचिन , भक्त दर्शन जी क बयान बी पौढ़ीन, डा शिवा नन्द नौटियालौ बुल्युं बी अखबारों माँ बांच बल भारत माँ शिक्षा कु स्तर दिनों दिन तौळ जाणो च हम तै कुछ करण पोडल अर अब चूंकि शिक्षा क नाम बदले ग्ये अर अब त शिक्षा क नाम एज्युकेसन ह्वे ग्याई पण हर मैना अखबारों म खबर बासी इ रौंद बल ऐज्युकेसन मिनिस्टर न ब्वाल बल इन्डियन ऐज्युकेसन सिस्टम दिनों दिन डाउन जाणु च अर हम तै कुछ करण पोडल . अब त इथगा साल पूराणी बासी खबर बांचिक ऊंग आंदी अर शिक्षा बारा मा शिक्षा मन्त्रीक शिक्षा स्तर पर बयान बांचणो ज्यु इ नि बुल्यांदो .
विचारा चंद्रभानु गुप्ता बि अखबारों मा पहाड़ो बान परेशान रैन, कमला पति त्रिपाठी बि पहाड़ो बान चिंतित छया , हेमवती नन्दन बहुगुणा , नारायण दत्त तिवाड़ी, कोशियारी बि पहाडो की कुदसा से जिन्दगी भर बीमार रौंदा छया अर यूँ मुख्यमंत्र्यु पहाड़ चिंता जनित बीमारी क खबर अखबारों मा हेडिंग हूंदी छे अर कांड इन लगणा छन की रोज अख्बारु हेडिंग हुन्द की मुख्यमंत्री तै पहाड़ो चिंता से सन्निपात ह्वे ग्याई, बिस्मृति ह्वे ग्याई , मुख्यमंत्री तै पहाड़ो चिंता से उन्द उब की बीमारी लग ग्याई। अब आपि बथाओ सालो साल अखबार की हेडिंग एकी हवेलि त अखबार बंचण से पैलि इ निंद नि आलि ?
मीन त अब अखबार बंचण इ बंद कौरी आल . आप बथाओ कि क्या आप तै बासी तिबासी खबर बंचण मा रौंस आंद च ? अब जब बदलाव इ कुछ नि आलो त कनकै बासी खबरों से मजा आलो ?
.Copyright@ Bhishma Kukreti 17/10/2012
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