गढ़वाली
हास्य व्यंग्य
चबोड़ इ
चबोड़ मा
धृतराष्ट्र
- संजय ! जरा
दिखदि बल
जम्बूद्वीप
मा म्यार
राजपाठ मा क्या
स्तिथि च ? लोग
मेरी राजशैली
बारा मा क्या
क्या बुलणा छन
? मन्त्र्युं
बारा माँ लोगु
मन मा क्या
छवि च ?
संजय - महाराज
! दिख्युं आँख
क्या दिखण अर
तप्युं घाम
क्या तपण ?
धृतराष्ट्र-
त्यार मतबल च
जु हाल एक साल
पैल छौ वो ही
हाल होला ?
संजय - हाँ
कुरुवंशधिराज
! म्यार ख्याल
से त ऊनि
स्तिथि इ
ह्वेली जु एक
साल पैलि छे .
धृतराष्ट्र-
में लगणु च जन
मानस का मन मा
कुछ ना कुछ
बदलाव जरूर
ह्वे
ह्वाला।ज़रा
अपण दिव्य दृष्टि
से देख त सै !
संजय- ठीक
च महाराज ! मि
आपक बुल्युं
मानिक
जम्बूद्वीप
की स्थिति दिखुद
छौं .पण माराज
में तै वरदान
च कि मि झूटी
अर चापलूसी
भर्युं
ब्यौरा
द्योलू त मेरी
दिव्यदृष्टि समाप्त
ह्वे जाली अर
शीरस्थ
पदाधिकारी वी
सुणण चांदन जो
वूं तै पसंद च
वो हि दिखण चांदन
जो वूं तै भलो
लगद
धृतराष्ट्र-
नै नै ! हम उच्च
पदासीन
सम्राट
अन्वेषी (जासूस)
रखदा इ इलै
छंवा बल जु
यथास्थिति
बतावन . तू मै
अपणी
दिव्द्रिष्टि
से भारत राष्ट्र
का जनमानस
म्यार राज पाठ
का बारा मा क्या
सुचणा छन की
सही जानकारी
दे .
संजय- ठीक
च चक्रवर्ती
सम्राट ! ये
मेरी ब्वे !
धृतराष्ट्र-
क्या ह्वाई ?
संजय- माराज
! जनमानस का मन
मा आपकी छवि
मा हौर बि
गिरावट आईं च।
लोग पोरु साल
से जादा थू थू
करणा छन .आपकी
छवि माँ
निरंतर
गिरावट आणि च
अर निस्संदेह
या छवि गिरावट
रुकण वाळ नी च .
धृतराष्ट्र-
संजय इन क्या
बिजोग पोड़ कि
मेरी छवि माँ
दिनोदिन
गिरावट आणि च।
संजय- माराज
! ढोल, दमौ
याने की सूचना
माध्यमो मा
आपका ख़ासम ख़ास
मंत्री
अलापट्टू
राजा क
कुकर्मी
करतूतों से आपकी
ज्वा छवि खराब
ह्वे छे वा
छवि अबि बि
जनमानस का मन
मा बसीं च .
धृतराष्ट्र-
पण हमन त
कुकर्मी
अल्लापट्टू
राजा तै
मंत्री पद से
हटाई त दे छौ
फिर बि ?
संजय- हाँ
माराज ! आपन
अल्लापट्टू
राजा तै
मंत्री पद से
हटाये जरूर च
पण लोगु दिमाग
मा वांकी रैणी
अब तलक पड़ी च
अर जगा जगा
सैकड़ो
क्षेत्रीय
लोक कथा बणना
छन अर यी लोक
कथा प्रसिद्ध
बि हूँणा छन .
धृतराष्ट्र-
संजय अर यांको
अलावा ?
संजय- माराज
! असह्य
मंहगाई की मार
से त आम मनिख इ
ना मध्यम धनिक
वर्ग बि रोज
ह्यळि गडणु च
कि हे भगवान
या त मंहगाई
हटा या
धृतराष्ट्र
की जगा पांडू
तै सम्राट बणा
!
धृतराष्ट्र-
क्या इथगा
सालो मा लोग
अबि बि पांडू
तै नि बिसरेन ?
संजय - माराज
आपका
मन्त्र्यु
कुकर्मी
करतूत अर मंहगाई
भूतपूर्व
चक्रवर्ती
सम्राट पांडू
तै नि बिसरण
दीन्दन
धृतराष्ट्र-
पण मन्त्र्यु
न कार क्या च
जु जनमानस
इथगा रुस्याणि
च ?
संजय - क्या
नि कार ! जम्बूद्वीप
खेल
प्रतियोगिता
का घपला लोग
बिसरि नि छ्या
कि खनन
मन्त्रीक
कुकर्मी
करतूत की खबर
लोगु तै पता
चौल , खनन
मन्त्रीक
कुकर्मो आग
ठंडी नि ह्वे
छे कि आपक
जंवे जयद्रथ
का कुकर्म
अग्वाड़ी ऐ गे।
न्याय मंत्री
पर त डून्ड़ो -काणो
लठुल चोरी क
अभियोग बि
सिद्ध ह्वे
ग्यायी .
धृतराष्ट्र-
त्यार बुलणो
मतबल च कि
मेरी छवि भौत
इ खराब हुईं च ?
संजय- महाधिराज
! छवि खराब ना
छवि रसातल को
ढूंगो तौळ चली
गे . तुमारी
छवि को भतिया
भंग हुयुं च .अर
सम्राट ! द्वीएक
सालम
राजकुमार
युधिस्ठिर बि
बालिग़ ह्वे
जालो अर जनि
वो मय भाइयोंक
हस्तिनापुर
आलो त लोगुन
दबाब बणाण कि
आप राजगद्दी
राजकुमार युधिष्ठिर
तै सौंपो .
-धृतराष्ट्र-
अरे क्वी सेवक
च . जाओ
दुर्योधन अर
शकुनी जी तै
चौड़ बुलाओ
सेवक - माराज
सूचना भिजे गे
. बस राजकुमार
दुर्योधन
श्री अर
मंत्री शकुनी आंदी
होला . ल्या सि
द्वी ऐ गेन .
शकुनी - चक्रवर्ती
सम्राट ! क्या
बात ? क्या
परेशानी ?
धृतराष्ट्र-
स्यु संजय
बुलणु च कि
मेरि छवि
गुदनड , गुज्यर
जोग ह्वे
ग्याई अर लोग
भ्राता पांडू
क राज रोज याद
करणा छन .
दुर्योधन -
मामा श्री इन
मा क्या करे
जाव?
शकुनी - करण
क्या च ! बस
लोगु ध्यान
कखि हौरि तरफा
लिजाओ अर दगड़
मा दूसरी छवि
बणाणो सतत
प्रयत्न .
धृतराष्ट्र-
अबि क्या करण ?
शकुनी- अबि
त फटाफट
मंत्रिमंडल
मा परिवर्तन
करवाण जरूरी च
.
धृतराष्ट्र-
मंत्रिमंडल
मा फेरबदल से
लाभ ?
शकुनी - मंत्रिमंडल
मा फेरबदल से
भौत सा लाभ छन . एक
त लोगु ध्यान
वर्तमान
मन्त्र्यु
कुकर्मो से
इना उना बंटी
जालो . फिर हवा
फैलावो कि
जनमानस को
लाभार्थ
मंत्रीमंडल
माँ परिवर्तन
करे ग्याई
धृतराष्ट्र-
लोग मानि जाला
क्या ?
शकुनी- लोग
ढिबर हून्दन . राजा
जना चाओ जनता
तै ढिबर समजिक
हकै सकदु .
धृतराष्ट्र-
ठीक च त मेरी
छवि सुदारणो
वास्ता भोळ इ
मंत्रिमंडल
मा परिवर्तन
करे जाव
शकुनी - अर
जनता मा जोर
शोर से प्रचार
करे जाव कि
जनता क भलै
बान इ मंत्रिमंडल
मा परिवर्तन
करे गे। जनता
की भलै ह्वाओ
या नि ह्वाओ
पण जनता तै
लगण चयेंद कि
परिवर्तन से
जनहित ह्वालो .
Copyright@ Bhishma Kukreti 31/10/2012
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