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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, February 20, 2012

जब तेल लमडदु छयो अर घ्यू मा तिड्वाळ पोड़दि छे जब तेल लमडदु छयो अर घ्यू मा तिड्वाळ पोड़दि छे

Humor Climbed
Fun Melts
Wit fell down
हौंस इ हौंस मा
                                       जब तेल लमडदु छयो अर घ्यू मा तिड्वाळ पोड़दि छे
(Humor in Garhwali, Kumauni Humor, Humor of Uttarakhand, Himalayan Humor)
                                            भीष्म कुकरेती
                   
             बात क्वी जादा दिन पुराणि नी च भै! बस, होली क्वी पैंतीस चालीस साल पुराणी .वैबरी जै गाँ
मा अखबार आन्दु छौ त माने जांद छौ यू गाँ मातबर या विद्वानु गाँ च. अब जै गाँ मा अखबार आन्दन वै गां तैं
आदि निवास्युं गाँ माने जांद किलैकि ये भै ! टी.वी,मोबाइल नेट को जमानो मा अखबार ?
हाँ त हमर गां मा बि अखबार आंदो छौ ठेट डिल्ली बिटेन. (वैबेरी गढवाळ मा डिल्ली डिल्ली छे अब देहली ह्व़े गे ).
पुरिया नैथाणी या राजा सुदर्शनौ बगत पर क्वी आदिम डिल्ली बिटेन खुट्या खुटि चलदो थौ त पंचों ना सै सतों दिन गढ़वाळ पौंची जांद छौ.
पण हमर गाँ मा दैनिक हिन्दुस्तान डिल्ली बिटेन चौलिक ना हल्कारूं काँद्यूं अर पोस्ट मैनूं थैलौं मा बैठिक, पोस्ट ओफिसुं मा बासो कौरिक
पंद्रौं दिन मा हमर गाँ जसपुर पौन्च्दो छौ.
हाँ त जब अखबार घन्ना दिदा क इक पौन्चदो छौ त पैल पड्यां लिख्यां बूड बुड्यों तैं पता चलदो छौ बल वो अछेकिक
सिनिएर सिटिजन छन ऊँ तै अखबार बंचणो पैलो हक मिल्दो छौ. हम स्कुल्या पढंदेरुं पांति दुसर दिन आंदो छौ. मतबल हम सत्रा दिन
बासी-खूसी खबर तैं ताजा खबर समजिक बांचदा छ्या.
हमर स्कुल्या दगड्या छयो चंदा काका . चन्दा काका जरा फेमिनिस्ट कार्यकर्ताओं से जादा स्त्री उत्थान मा विश्वास करदो छौ त
चन्दा काका कम से कम सात आठ जनान्युं बीच अखबार बांचदो छौ. अर अखबार हिंदी मा ना फटाफट गढवाळी अनुवाद कौरिक बांचदो छौ.
बाकी थाकी त ठीकि चलदो छौ पण जब चंदा काका अनाज-बजार की खबर गढवाळी मा सुणान्दो छौ त जनानी इ ना हम स्कुल्या बि अचेते जांद छ्या.
अनाज बजारों या अनाज मंड्यूँ भाषा आज बि बिगळी/अलग अर बिलखणि/ विलक्षणी भाषा च .
जब चंदा काका खबर सुणान्दो छौ बल 'कोटद्वार मंडी मा ग्यूं मा आग लगी ' त जादातर जनानी डिल्ली , बॉम्बे
(वै बगत लोग बॉम्बे मा रौंदा छ्या अब मुंबई मा रौंदन) मा नौकरी करदार नौन्याळ या कजेयुं तैं मा बैणयूँ की गाळी दीण बिसे जांदा छयी
बल जौन टैम पर मन्यौडर नि भ्याज त कखन टैम पर ग्यूं लीण छौ! अब जब कोटद्वार मा ग्यूं पर आग लगी गे त
समजी ल्याओ ए साल ग्यूं जगा कोदो से काम चलाण पोड़ल.
जब चंदा काका सूचना दीन्दो छौ बल ऋषिकेश मा उड़द उछली या उड़द उछंड्याई या उड़द कुतकी त सौब जनानी अर हम गस खै जांदा छ्या .
बात बि सै च अरे हमर गां मा कैन बि उड़द तैं उछ्ल्दो/ उछंड्यान्द /कुतकी मारदो नि देखी छौ. हाँ सब्यून टेरूं तैं त उड़द-गौथ-तोर मा उछंड्यान्द
देखी छौ. अर यू अखबार बुलणो बल रिसिकेश मा उड़द उछली या उड़द उछंड्याई या उड़द कुतकी त सौब बुलण बिसे जांदा छ्या बल
रिसिकेश मा दिवतौं बास नि रै गे अब त उख भुतुं राज ह्व़े गे तबी त रिसिकेश मा उड़द टेरूं जगा उछंड्याणा छन .
जब चंदा काका सुणान्दो छौ बल लौंग, काळी मिर्च, आदो जन गरम मसाला मा गर्माहट आई त हम बि अर जनानी बि बोल्दा छ्या बल या बि क्वी खबर च
अरे गरम चीजुं मा गर्माहट नि आली त बरफ मा गर्माहट आली क्या ? पण जब चंदा काका खबर सुणान्दो छौ बल बम्बै मा लौंग, काळी मिर्च, आदो जन गरम मसाला
ठञडो ह्वे गेन त सौब अपण नौन्याळऊँ , भतीजों या प्रिय पति जी खुण हमसे चिट्ठी लिखाण बिसे जांदा छ्या बल हे गुंदरु बुबा जी ! ड्यार आन्द दैञ बम्बै बिटेन ठञडो गरम मसाला
बुकणो जरुरात नी च हम इखी रिसेकेश या कोटद्वार-दुगड्ड बिटेन गरम मसालों पर कांड लगै ल्योंला . अर कत्ति त लौंग, काळी मिर्च, आदो जन गरम मसाला
ठञडो ह्वे गेन की खबर सुणिक इ फटाक से अपण ड्यार भाजी जांदा छया अर ड्यारम जु बि गरम मसाला अर आदू होंद छौ वै तैं घाम मा सुकाणो धौरी दीन्दा छ्या बल
कुज्याण पता नी कखी बॉम्बे बीमारी इख गां मा बि सौरी/फैली गे होली त ?
गढवाळ मा सन साठ क्या सहतर तक बि लूण अर गुड़ो किल्लत होंदी छे. बच्चों मंगन दूध खते ग्याई त मुआफ छौ बल बाळ छन त गलती होई जांद.
पण कै तीन सालौ छ्वटो /छ्वटि से लूण-गुड़ खत्याई ना कि पैल त ह्यळि गाडिक गाडिक छ्वटो /छ्वटि क गाळियूँन पड़चतन करे जांद छौ अर फिर
चमकताळ, फड़कताळ से कार्यकर्म को समापन होंद छौ . जब चंदा काका ' उत्तरी भारत के सभी मंडियों में नमक व गुड़ गिरा ' क अनुवाद कौरिक खबर सुणान्दो छौ
बल ' सौब जगा लूण-गूड़ भेळ उन्द पोड़ ' त गाँ मा भिलंकार क्या बड़जात पोड़ी जांदी छे कि साल भर तक क्वी बि लूण-गूड़ क्या द्याखल !, सौब च्याँ च्याँ अपण
घौर अटकी जांदा छया अर अपण ड्यारम बच्युं लूण-गूड़ तैं ढाईपर कूणयों मा लुकै/छिपै दीन्दा छ्या .
कपास या रुवां को बि अपणो महत्व होंद छौ. एक दिन हिंदी मा समाचार छौ, " कपास ऐंठने या कपास टाईट होने से सब जगह कपास पर आग लगी " त चंदा काका अपण हिसाब से बोली "
कपास/रुवां मा ज्यूड़ जन ऐंठन या कपास कडक ह्व़े गे छे अर यां से सौब जगा कपास पर आग लगाये गे ." अर जनि बिबरट्या ददिन या खबर सुणि कि उखमी
बैठयूँ अपण सिमसिमु कजै तैं फणट्योन पीटी दे अर ब्वाल ' मी छै मैना बिटेन बुलणो छयाई बल गद्दा -खंतुड़ बणाणो दुगड जाओ, दुगड जाओ
अब बेटी क ब्यौ कुणि जु गद्दा खंतुड़ बणाण छौ, अब रूंवां जगा तुमारि हडकी भरण ?"
जब चन्दा काका खबर सुणान्दो छौ बल 'तेल लमडि ' त सौब फैसला करदा छ्या बल लयाक खेती बन्द नि होण चयेंद अर कुलड़ो मरम्मत चौड़ होण चयेंद.
सब्यूँ क मनण छौ हम तैं मैदानों (माल) लमड्यूँ तेल नि खाण चयेंद. लमड्यूँ तेल माने भूतूं भिड़यूँ तेल इलै हरेक तैं लया क खेती पर जादा ध्यान दीण चयेंद .
एक खबर से क्वी बि चिंतित नि होंदा छा अर वा न्यूज छे ' घ्यू मा तिडवाळ पोड़ ' , सब्यूँ तैं पता छौ बल घ्यू मा तिड़वाळ तबी पोड़दि जब घी जमाण वळी
तैं घी जमाण नि आन्द . सबी एकमत ह्व़े जांदा छ्या बल घ्यू जमाणो मामला मा गाँ की जननी शहरी जनान्यूँ से होशियार छन . उख घी मा तिड़वाळ पोड़नि
इ रौंदी अर हमर गाँ मा कुसवर्या से कुसवर्या जनानी बि जाणदि च बल घ्यू पर तिड़वाळ पड़ण से कनो बचण.
इनि ' तेल कडक , गुड़ पिगळ, चीनी तीखी, धणिया बैठ अर जीरो उठ, इथगा ह्यूं पोड़ पण कम विकवाली से से ऊन ठंडी ; लोखर नरम अर सोना गरम,
चाँदी खसखसो अर पीतळ भसभसो, ' जन खबरूं से पैल सब्युं पुटकुन्द च्याळ पोडि जांदा छ्या .पण अब बाजार की भाषा सब्युं समज मा ऐ गे
अब गढ़वाळ मा जनान्युंक कोटद्वार आण-जाण वळा बस ड्राईबरूं तैं हिदैत होंद बल जै दिन न्यूज ह्वाओ कि ग्युं लमडिन त ग्यूं लै जयां भैरों .
जै दिन खबर ह्वाओ बल तेल मा चमक कम त द्वी कंटर तेल लै जयां अर जै दिन खबर ह्वाओ कि चीनी तीखी त पगाळ मा बि चिनि नि खरेदण.
,
Humor in Garhwali, Kumauni Humor, Humor of Uttarakhand, Himalayan Humor to be continued......
Copyright@ Bhishm Kukreti 

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