Satire and Fatkar
चबोड़ इ चबोड़ मा
(Garhwali Satire, Kumauni Irony, Uttarakhandi Humour, Himalayn Wits )
जन कि हर साल होंद अर हर मौसम मा हून्द् उनि ये बरस बि ह्व़े. सब्युंन ब्वाल बल ये साल से बिंडी जड्डू त
म्यार पड़-ददा न बि नि द्याख. म्यार पड़ -ददा न बि हरेक ह्यूंद मा ब्वाल छौ, " इन जड्डू कबि नि प्वाड़. जन ये बरस पोड़ .."
त मी ये साल जणगरों/स्पेसिलिस्ट तैं पुछणु रौं बल जड्डू मौसम /ह्युन्दो मौसम मा जड्डू से कनै बचे जाव.ए साल ना सै हैंक
साल त इ नुस्का भोळो साल त काम आइ जाला ।
१- गढवाळ से भागो अर दूर ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड , मौरिसिस क तर्फां घुमणो जाओ .
२- जु तुमन इन कामयाब नौना पैदा नि कौरिन जु ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड , मौरिसिस मा
ह्वावन त मुंबई, गुजरात, हैदराबाद, बेंगलोर का तरफ भागो . मी तैं सोळ आना उम्मेद च इख त क्वी ना क्वी नौनु ह्वालू .
अब जब साग-भुज्जी नि ह्वाओ त लूण से काम चलाण पोड़द . नौनु ना सै त रिश्तेदार होला त जड्डू मा दक्खिण का
रिश्तेदारूं इख अड्डा जमाओ. पगाळ बौडाणो बान रुड्युञ/गर्मी मा रिश्तेदारूं आवभगत गढवाळ मा कारो.
३- उत्तरी भारत वाळु कुण सला च जडडू /ह्यूंद मा काम पर कबि नि जाण. अपण ना सै दसरौ ड्यारम आग तापो.
४- हाँ ! जु तुमर औफ़िस मा हीटिंग रेडिएटर लग्याँ छन त ऐत्वारो बि मय बालबच्चों/यार दगड्यो सैत औफ़िस जावो.
५- हीटिंग रेडिएटर खरीदो. हैं! पैसा नीन ! ये भै यूँ विदेशी बैंकु भट्टा किलै बैठाणा छंवां ? विदेसी /परदेसी बैंकु से उधार मा, पगाळ मा,
इंस्टालमेंट मा हीटिंग रेडिएटर खरीदो. आप जड्डू से बची जैल्या, विदेसी बैंक मुनाफ़ा कमाला अर भारत की इकोनोमी ग्राफ
ऐंच जाण बिसे जालो. अपण खातिर ना सै , देसौ खातिर उधार मा हीटिंग रेडिएटर खरीदो अर देस की इकोनोमी सुदारो.
इनी नयाणो बान इम्पोर्टेड गीजर इ इस्तेमाल कारो.
६- जड्डों मा इम्पोर्टेड जिंजर, इम्पोर्टेड ब्लैक पेप्पर, इम्पोर्टेड क्लोवऔ पेस्ट/इम्पोर्टेड मस्टर्ड ऑइल ड्यारम रखो . मीन रिसर्च से पता लगाई बल अब
हम भारतियुं बौडी निखालिस भारतीय चीजुं से हंड्रेड परसेंट इम्युन्ड ह्व़े गे याने की हमर सरैल पर अब भारतीय नुस्कों से
क्वी फ़रक नि पोड़द. जन अब हम अपणि बोली -भाषा नि बींग/समज सकणा छंवां उनि हमारो पवित्र भारतीय शरीर का क्वी बि अंग
निखालिस भारतीय आदु/अदरक/काळी मिर्च/मुलेठी आदि से प्रभावित नि होंद. हमर सरैल पर केवल इम्पोर्टेड ब्रांड को इ असर होंद.
अर मनमोहनी इकोनोमिक्स का हिसाब से इम्पोर्ट करण से भारतीयता को हरण ह्व़े जाओ त हूण द्याओ पण इन्डियन इकोनोमी अळग भगण
लगी जाली. त अपण शरीर की केमिस्ट्री अर इन्डियन इकोनोमी का खातिर विंटर सीजन मा कम्पलसरी इम्पोर्टेड जिंजर,
इम्पोर्टेड ब्लैक पेप्पर, इम्पोर्टेड क्लोवऔ पेस्ट, इम्पोर्टेड मस्टर्ड ऑयल यूज कारो.
७- केवल इम्पोर्टेड गरम कपड़ा अर इम्पोर्टेड डिसाणो कपड़ा ही खरीदो. जब तलक हम देशभक्त भारतीय मीलिक हरेक ग्रामीण उद्यम पर
ताल़ो नि लगौला तब तलक हमारि ठंड कम नि ह्व़े सकदी. जड्डू बचाणो खातिर, भारत मा क्वी बि गरीब जड्डू से नि मोर का वास्ता केवल
इम्पोर्टेड गरम कपड़ा अर इम्पोर्टेड डिसाणो कपड़ा ही खरीदो.अमेरिकी राष्ट्रपति की सौं छन जैदिन भारतीयूँन बच्यां -खुच्यां सबि ग्रामीण उद्यम खतम
कौरी द्याई त समज ल्याओ वैदिन भारत मा क्वी बि ठंड से नि मोर सकद .उन हम गढवाळी ये मामला मा हौर इन्डियनूं से जादा प्रगतिशील /प्रोग्रेसिव छंवां
अब कै बि गढवाळी तैं पता बि नी च बल ग्रामीण उद्योग हुंद क्या छन.
८- नाक पुंजणो इम्पोर्टेड हैण्ड कर्चीफ/ रुमाल, टिस्स्यु पेपर, इम्पोर्टेड चाइनीज बाम आदि गाड़ी मा या खिसाउन्द धर्युं रौण चयेंद.खादी क रुमाल भूल से बि यूज नी होण
चयेंद . अच्काल खादिक रुमालऔ प्रयोग से हमर नाक लाल ह्व़े जांद.
९- ह्युन्दुं मा गाजर आदि को रस सौब दकियानूसी बात इ ना अवैज्ञानिक बात ह्व़े गेन . ह्युन्दुं मा दिन मा चार पंच दें रम या व्हिस्की पीण जरूरि च . अमेरिका मा एक नामी गिरामी मेडिकल रिसर्च कम्पनी न सिद्ध कौर याल बल अब हम भारतीयूँ
ल्वे/खून मा भौत बड़ो बदलाव ऐ गे. अब हमारो हिन्दुस्तानी ल्वे/खून बदलिक वेस्टर्नाइज्ड अफेक्टेड क्रुओर( ब्लड) ह्व़े गे . त अब हमारू ब्लड मा हर समौ
अल्कोहल का कुछ डोज जरूरी हूण चयेंदन . अब इन मा हरेक भारतीय तैं खासकर जडडू मा टक्क लगैक ध्यान दीण पोड़ल बल हर समौ ल्वे/खून मा दारु/अल्कोहल
क मात्रा कतै बि कम नि ह्वाऊ . जनि इंडियन ब्लड मा अल्कोहल की मात्रा कम ह्व़े ना तनी इन्डियन ब्लड हिन्दुस्तानी खून मा बदली जालो अर आज हिन्दुस्तानी खून
ह्यूंद तैं बरदास्त नि कौर सकद. यो इ कारण च अच्काल प्युअर इंडियन टी.वी चैनेल प्रकृति दत्त ह्यूंद, हेमंत अर शिशिर मौसम /जलवायु तैं ठञडासुर, मौत का सौदागर, मानव विरोधी
बरफ का कहर, जन नाम दीन्दन. हाँ त ! ह्युन्दुं मा, दिन मा हरेक इंडियन तैं चार से पांच दें दारु पीण चयेंद.सरैल बि गरम रौंद अर इन्डियन इकोनोमी मा बि उच्छाला रौंद.
१०- जब बि क्वी पौण/मेंमान तुमर ड़्यार आण चांदो त वै खुण कडक शब्दुं मा हिदैत दीण चएंद बल दगड मा दारु-सारु क बोतळ अर मुर्गा-सुरगा बि जरुर लाओ.
हम तैं अपण इकोनोमिकल डेवलपमेंट का खातिर अपणि संस्कृति मा कल्चरल इवोल्युसन ल़ाण जरूरी च.त यांक बान जरूरी च कि जडडू मा चा या गरम पाणि से ना
बल्कि मेहमानों स्वागत मुर्गा-सुरगा अर दारु-सारु से ही ह्वाओ.
११- जब कबि आप जडडू मा कैक पौण/ मैमान बणनो जावन त घर्वाती/घराती/मेजवान मा साफ़ बोली दीण चयेंद, " जड्डों मा पौणों स्वागत मा वेलकम ड्रिंक मा जिन का एक या द्वी पैग ह्वावन.
सुस्ताणों ड्रिंक मा द्वी रम का पैग ह्वावन अर लेजर (मौज) ड्रिंक मा व्हिस्की ही होण चयेंद. मंचिंग त मुर्गा से तौळ हूण इ नि चयेंद.अर सी औफ़ ड्रिंक वाइन या .."
१२- ह्यूंन्दुं , मा अपणी सोच सकारात्मक बणाओ अर गरम जोशी से राओ जां से गर्मी चौड़ /जल्दी ऐ जाओ.
Satire from Garhwal, Satire from Kumaun, Satire from uttarakhand, Satire from Himalayas to be continued..........
Copyright@ Bhishm Kukreti
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