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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, February 22, 2012

इकीसवीं सदी क गढ़वाळी स्वांग/नाटक -6

इकीसवीं सदी क गढ़वाळी स्वांग/नाटक -6
गिरीश सुंदरियालौ नाटक 'असगार' मा चरित्र चित्रण - फाड़ी -4
                 भीष्म कुकरेती 
  
मनोविज्ञान अर स्वान्गुं मा चरित्र निर्माण
 
चाये लोक-स्वांग ह्वावन , संस्क्रितौ शास्त्रीय स्वांग होवन , या ह्वावन आजौ स्वांग , स्वांग रचन्देर तैं मनोविग्यानौ
ज्ञान जरुरी च. यू बि जरूरी नी च बल रचंदेरौ न मनोवज्ञान की किताब बन्ची इ ह्वावन पण लोकुं मनोविग्यानौ अनुभव हो न जरुरी च .
हम सौब समाज मा रौंदा त ज़रा सामजिक मनोविज्ञान पर नजर मारे जावु की समाज मा क्या क्या मनोवैज्ञानिक तत्व होन्दन
१- सामाजिक मानदण्ड
सामाजिक मानदण्ड द्वी किस्मौ होन्दन -
अ- आदर्शात्मक व्यवस्था ज्वा बथांदी बल मनिखौं कन व्यवहार होण चयेंद
ब- यथार्थ व्यवहार जैक द्वी आयाम होन्दन १- सामाजिक मानदंडो क अनुरूप अर २- सामाजिक मानदंडु प्रतिकूल
किंग्सले डेविस को हिसाबन सामाजिक मानदंडो वर्गीकरण
१- जनरीति या रिवाज
२- रूढ़ियाँ (विध्यात्मक अर निषेधात्मक )
३-कानून - प्रथागत अर संवैधानिक
४- संस्था जन कि परिवार, मुंडीत, गाँ, रिश्तेदारी, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक ,
५-प्रथा, नैतिकता
६- परिपाटी अर शिष्टाचार
७- फैशन अर मन की पसंद
सामाजिक मानदण्ड अर अप्रतिमानता
तौळक सामजस्य का ब्यूँतुंन अप्रतिमानता खतम करे जान्द
१- अनुरूपता
२-उत्प्रेषण
३-संस्कारिता
४-प्रत्यावर्तन
५- विद्रोही
२- प्रस्थिति अर भूमिका
लिंटन न बताई बल - कैं ख़ास व्यवस्था मा क्वी व्यक्ति निर्दिष्ट समौ मा जो जगा प्राप्त करदो वा व्यवस्था प्रस्थिति क ज़िना सैन/संकेत करदी
प्रस्थिति द्वी किस्मौ होंद - अ विशिष्ठ अर सामान्य
प्रस्थित्युं प्रकार
१- प्रदत्त या मिल्याँ पद (लिंग, अयुभेद, रिशेदारी अर सामाजिक कारण )
२-अर्जित या कमयूँ पद /प्रस्थिति
पद मा भूमिका निर्वाहन
भूमिका मा भूमिका -पालन, भूमिका वरण अर अभिनय कि भूमिका
पद अर भूमिका मा समन्वय एक सामाजिक काम च .
३- सामजिक समूह
जब बि द्वी या द्वी सेबिंदी मनिख जमा होन्दन अर वो एक हैंक पर असर डाल्दन त वै तैं सामाजिक समूह बुल्दन
समूह द्वी किस्मौ होन्दन
१- व्यक्तिपरक (सब्जेक्टिव )
२-वस्तुपरक (ऑब्जेक्टिव)
समूह मा सदस्यों प्रकार
१-नाम मात्रौ या बरा नामौ
२- सीमास्थित (ऐ पर समूहौ नियंत्रण नी होंद )
३-सदस्यता समर्थ सदस्य
४-स्व-समूह द्रोही
समूहुं वर्गीकरण
१- संख्या क आधार
२-स्थायित्व कु आधार
३-हम भावना क आधार
४- रुचियुं कारण बण्यु समूह
५-आकांक्षा क आधार
व्यक्ति क कै हैंको समूह अ प्रति अभिमुखन
१- सकारात्मक अभिमुखन
२ - नकरात्मक अभिमुखन
३-तटस्थ अभिमुखन
समूह मा एका क समस्या निदान
१- अधिकार प्रयोग
२- समझौता
३-बहुमातीय निर्णय
४-समन्वयता
४- सामाजीकरण
सामाजिक सामाजिकरण क अर्थ च बल सामाजिक मानदंडों तैं सिखण
जब की अर्थशास्त्री खासकर कार्ल मार्क्स अर वैका च्याला जन कि राईट मिल्स क बुलण च बल
सामाजिक संसाधनों पर समजू अधिकार तैं इ सामाजीकरण बुले जान्द
सामाजिकरण मा प्रतिक्रियात्मक पक्ष
१- सामाजीकरण एक आजन्म प्रक्रिया च
२- सामाजीकरण प्रक्रिया सापेक्ष च
३- सामाजीकरण संस्कृति आत्मसात करणै प्रक्रिया च
४ - सामाजिकरण समाज का प्रकार्यात्मक सदस्य बणणो प्रक्रिया च
सामाकीकरण का बारा मा अन्य सिद्धांत छन जन कि टालकट ताल्कत , जौनसन , पियाजो क सिखणो सिधांत,
सामाजिकरण कि अवस्था
१- मौखीकावस्था
२- शौचाव्स्था
३-चार से छ बरसु अवस्था
४- किशोरावस्था
५-अर फिर अगनि कि अलग अलग अवस्था
सामाजिकरण औ कुछ सिधांत
मीड अ सिधांत - बच्चा अपण प्रति त जागरूक होंदी च वो दुस्राऊ व्यहवहार बि ल़े लीन्दु
फ्रायड का सिधांत - फ्रायड ण काम -वृत्युं तैं सामाजिकरण क मुख्य आधार बताई
कूल क सिद्धांत
अ- दुसर म्यार बारा मा क्या सुचदन ?
२-दूसरों राय मा मी अपण बारा मा मी क्या सुचदु
३- मी अपण बारा मा क्या सुचदु -हीन या श्रेष्ठ
दुर्खीम क हिसाब से सामाजिकरण मा व्यक्ति कुछ नि होंद समाज इ महत्वपूर्ण होंद
सामाजिकरण अर सम्बन्धित संबोध
१- नकारात्मक सामाजिकरण
२- विसामजिकरण
३-पुनर्सामजिकरण
सामाजिकरण कि संस्थाएं
१-प्राथमिक -परिवार, दगुड़, पड़ोस, नातेदारी , ब्यौ,
२-द्वितीयक - सिखणो संस्था , राजनैतिक संस्था, आर्थिक संस्था , धार्मिक संस्था, सांस्कृतिक संस्था, व्यवसाय, अंजाणो से से व्यवहार
५- सामाजिक स्तरीकरण
स्तरीकरण क कारक
१- नातेदारी
२-व्यक्ति क अपण गुण
३- कमयूँ पद
४-मालिकाना हक क्या च
५-सत्ता
६- शक्ति
६-सामाजिक स्तरीकरण क ख़ास खासियत
१- सामाजिक स्तरीकरण कि प्रकृति सामजिक च
२- सामाजिक स्तरीकरण पुराणो च
३- हरेक समाज मा सामाजिक स्तरीकरण राई च अर रालों
४-सामाजिक स्तरीकरण क स्वरूप मा बदलाव हूणा रौंदन अर हेरक समाज मा मानदंड अलग अलग होन्दन
अ- जाति व्यवस्था
ब-वर्ग व्यवस्था
स-जागीर व्यवस्था
ड़- दास प्रथा
५-सामाजिक स्तरीकरण से जीवन अर जीवन शैली पर फरक पड़दु
गाँ अर शहरूं मा फ़रक बि ये इ विषय को अंग च
७-सामाजिक प्रक्रिया
नाटककार तैं अनुभव गत या ज्ञानन सामाजिक प्रक्रिया क तौळआ विषयूँ ज्ञान ल़ीण चयेंद
१-सामान्य सामाजिक प्रक्रिया
२- सहयोगी सामाजिक प्रक्रिया
३-असहयोगी सामाजिक प्रक्रिया
४- संपर्क क साधन अर सामाजिक प्रक्रिया पर असर
५-जागरूकता , जागरूकता क खुलो सन्दर्भ, जागरूकता क शक वळ सन्दर्भ, जागरूकता क नाटकीय सन्दर्भ,
६- भौं भौं उत्तेजना
७- सहयोग अ स्वरूप - प्रत्यक्ष अर अप्र्त्यक्स
८- सहयोग की प्रक्रिया
८- असहयोगी प्रक्रिया
९- प्रतिस्पर्धा क स्वरूप ( आर्थिक, सांस्कृतिक, परिस्थिति स्वरूप अर भूमिका स्वरूप, पर्जातीय प्रतिस्पर्धा )
१०- प्रतिस्पर्धा क आधार ( मूल्यों इंतजाम , समूह संरचना, )
११- संघर्ष ( व्यक्तिगत, प्रजातीय, वर्ग, राजनैतिक, )
८- सामाजिक परिवर्तन, उद्विकास अर प्रगति
इख्मा नाटककार तैं तौळ क बथुं तैं समजणै जर्वत होंद -
१-सामाजिक परिवर्तन की भूमिका
२- सांस्कृतिक अर सामाजिक बदलौ
३- सामाजिक परिवर्तनौ गति
४-सांस्कृतिक विलंबन,
५- सामाजिक बदलौ सिद्धांत जन कि-मार्क्स, चक्रीय, सोरोकिन, पैरेटो क सिद्धांत
६- सामाजिक बदलौ वजै
७- सामाजिक उद्विकास
८- उद्विकासौ मान्यतायें
९- सामाजिक प्रगति
१०- उद्विकास अर प्रगति मा भेद
११- प्रगत्यौ मापदंड
१२- सामाजिक बदलौ अर आधुनिकीकरण
१३- सामाजिक बदलौ अर ग्लोबलिजेसन
९- सामाजिक नियंत्रण
१- सामाजिक नियंत्रण औ सम्बोध
२- सामाजिक नियंत्रण क स्वरुप
३-विपथगामी व्यवहार अर विपथगमन
४- सामाजिक नियंत्रण क साधन
५- प्रथा अर जनमत
६- धर्म नैतिकता कि भौत सि बथा
७-शिक्षा
८- शिक्षा अर सामाजिक नियंत्रण
९-क़ानून
१०- क़ानून अर सामाजिक नियंत्रण
इ सौब बात भौत क्या जादातर समौ स्वांगकारू समणि आन्दन अर यूँ बथों जानकारी होण जरूरी च
सन्दर्भ -
१- भारत नाट्य शाश्त्र अर भौं भौं आलोचकुं मीमांशा
२- भौं भौं उपनिषद
३- शंकर की आत्मा की कवितानुमा प्रार्थना ४-और्बास , एरिक , १९४६ , मिमेसिस
५- अरस्तु क पोएटिक्स
६- प्लेटो क रिपब्लिक
७-काव्यप्रकाश, ध्वन्यालोक ,
८- इम्मैनुअल कांट को साहित्य
९- हेनरिक इब्सन क नाटकूं पर विचार १०- डा हरद्वारी लाल शर्मा
११ - ड्रामा लिटरेचर
१२ - डा सूरज कांत शर्मा
१३- इरविंग वार्डले, थियेटर क्रिटीसिज्म
१४- भीष्म कुकरेती क लेख
१५- डा दाताराम पुरोहित क लेख १६- अबोध बंधु बहुगुणा अर डा हरि दत्त भट्ट शैलेश का लेख
१७- शंकर भाष्य
१८- मारजोरी बौल्टन, १९६०. ऐनोटोमी ऑफ़ ड्रामा
१९- अल्लार्ड़ैस निकोल
२० -डा डी. एन श्रीवास्तव, व्यवहारिक मनोविज्ञान
२१- डा. कृष्ण चन्द्र शर्मा , एकांकी संकलन मा भूमिका
२२- ए सी.स्कौट, १९५७, द क्लासिकल थियेटर ऑफ़ चाइना
२३-मारेन एलवुड ,१९४९, कैरेकटर्स मेक युअर स्टोरी

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