( शिवानंद , रामकृष्ण चिकित्सालय उदाहरण )
How to Organize Medical Tourism Investment Summit -A Guide
मेडिकल टूरिज्म हेतु निवेश सम्मेलन आवश्यकता - 3
Investment for Investment Medical Tourism Development -3
उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन रणनीति - 166
Medical Tourism development Strategies -166
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 269
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -269
आलेख - विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती
मेडकल टूरिज्म विकास हेतु लघु स्तरीय निवेशक सम्मेलन के अतिरिक्त अधिकतर मध्यम श्रेणी व वृहद श्रेणी के निवेशक सम्मेलन होते हैं।
मध्यम श्रेणी मेडिकल टूरिज्म निवेशक सम्मेलन
अधिकतर सामाजिक या धार्मिक संस्थानों /संस्थाओं द्वारा किसी विशेष स्थल पर चिकित्सालय खोलने हेतु जो निवेशक सम्मेलन होते हैं वे प्रायः मध्यम श्रेणी के मेडिकल टूरिज्म निवेशक सम्मेलन होते हैं।
स्वामी शिवानंद चेरिटेबल चिकित्सालय , शिवानंद आश्रम , टिहरी गढ़वाल , उत्तराखंड वास्तव में मेडिकल चिरज्म का जीता जागता नमूना है , डाक्टर कुप्पूस्वामी उर्फ़ शिवानंद महाराज द्वारा स्थापित यह चिकित्सालय ऋषिकेश आये महात्माओं , पर्यटकों , ऋषिकेश वासियों को ही चिकत्सा सुविधा प्रदान नहीं करता अपितु आस पास के टिहरी गढ़वाल क्षेत्र , पौड़ी गढ़वाल के ढांगू , उदयपुर पत्तियों के मरीजों की भी चिकत्सा करता है।
साधना प्राप्ति पश्चात चिकित्स्क डा कुप्पूस्वामी उर्फ़ स्वामी शिवानंद स्वर्गाश्रम में स्थापित होने के पश्चात जब अप्रैल 1927 में इंस्युरेन्स के पैसे मिले तो उन्होंने लक्ष्मण झूला में 'सत्य सेवाश्रम ' छोटी डिस्पेंसरी खोली। इस डिस्पेंसरी का उद्देश्य महात्माओं व पर्यटकों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करना था। सन 1934 में उन्हें 6 शिष्य मिले जिनकी मानसिकता स्वामी शिवानंद की मानसिकता के साथ मेल खाती थी। उन्होने कई बैठकें कीं (निवेशक सम्मेलन ) और सातों मनीषियों ने 17 जनवरी 1934 को गंगा तट पर एक गौशाला बनवायी व 28 मार्च 1934 से यहां डिस्पेंसरी चलने लगी। छः शिष्यों के मध्य सम्मेलन आज लघु स्तर का सम्मेलन लगता है किन्तु यदि उस काल को समझा जाय तो ये सम्मेलन वास्तव में मध्यम स्तरीय निवेशक सम्मेलन थे। निवेशक का अर्थ धन से नहीं अपितु जो भी विभिन्न प्रकार के संसाधन जुटाए वः निवेशक कहलाता है
इस दौरान शिवा नंद महाराज ने अपने आध्यात्मिक सम्मेलनों में चिकित्सालय की छ्वीं बात भी करते थे। इन सम्मेलनों व व्यक्तिगय छ्वीं बातों से प्रेरित हो कई प्रसिद्ध चिकित्स्क सेवाश्रम में कार्य करने हेतु तैयार होते चले गए।
1947 में स्वामी डा अच्युतानंद , स्वामी ा वेंकटेशानंद शिवा नंद होमियोपैथी चिकित्सालय की ततपश्चात डा ब्रिज नंदन प्रसाद भी इस अभियान से जुड़ गए। इस दौरान औपचारिक व अनऔपचारिक निवेशक सम्मेलन हुए।
दृष्टि दान मेडिकल कैम्प
विभिन्न आध्यात्मिक सम्मेलनों में शिवानंद महाराज से प्रेरित हो कई चिकित्स्क आश्रम आने लगे और चिकित्सा सेवा वृद्धि हेउ औपचारिक व अनौपचारिक वार्ता -सम्मेलन करने लगे। इन्ही वार्ताओं व सम्मेलनों का फल था कि एक प्रसिद्ध चक्षु विशेषज्ञ के तहत 1950 में प्रथम चक्षु निरीक्षण कैम्प चलाया गया। इस कैम्प में टिहरी व पौड़ी गढ़वाल के सैकड़ों चक्षु रोगी आये। स्वामी शिवानंद इन चक्षु रोगियों की दुःख से दुखी हुए और फिर प्रत्येक वर्ष दृष्टि दान कैम्प लगने लगे। बाद में शिवानंद चिकित्सालय में विशेष चक्षु कोष्ठ खोला गया। इस लेखक ने भी 1962 में इस चिकित्सालय में अपने चक्षुओं का निरिक्षण करवाया था।
कई सम्मेलन व वार्ताएं
प्रत्येक वर्ष शिवानंद चिकित्सालय में कई व्याधि निवारण कोष्ठ खुलते गए जैसे मलेरिया गोली देना , सर्जरी व्यवस्था , X रे व्यवस्था आदि। इन सभी चिकित्सा सुविधाओं हेतु लघु या मध्यम स्तरीय सम्मेलन हुए व दसियों डाक्टर शिवा नंद हॉस्पिटल से जुड़ते गए।
इसी तरह शिवा नंद आश्रम में आयुर्वेद औषघि निर्माण हेतु भी कई निवेशक सम्मेलन आयोजित हुए जो लघु व मध्यम स्तरीय वार्ताएं व सम्मेलन थे। योग सेंटर खोलने हेतु भी कई निवेशक सम्मेलन हुए
स्वामी रामकृष्ण मिसन हॉस्पिटल कनखल , उत्तराखंड
स्वामी रामकृष्ण मिसन हॉस्पिटल कनखल , हरिद्वार का मेडिकल टूरिज्म इतिहास में स्वर्णिम स्थान है। जब स्वामी विवेकानंद 1893 के शिकागो धर्म सम्मेलन से हरिद्वार आये तो उन्होंने यहां चिकित्सा की बुरी स्थिति देखी और उन्होंने अपने एक शिष्य स्वामी कल्याणा नंद को कनख क्षेत्र में चिकित्सा हेतु भेजा (1901 सन ) बाद में उनसे एक अन्य विवेकानंद शिष्य स्वामी निश्चयानन्द भी मिले और उन्होंने सर्व प्रथम व्यक्तिगत स्तर पर लोगों की चिकित्सा की बाद में अन्य भागीदारों की सहायता से औपचारिक रूप से स्वामी रामकृष्ण मिशन हॉस्पिल स्थापित किया। इस दौरान वे कई निवेशक /भागीदारों से मिले उनसे वार्ताएं व सम्मेलन हुए। इस चिकित्सालय ने पर्यटकों को कई तरह की चिकित्सा सेवा दी। निवेशकों (दान दाताओं ) के बदौलत ही आज इस चिकित्सालय में 150 बेड हैं।
एक झोपड़ी से रामकृष्ण मिशन हॉस्पिटल की शुरवात हुयी थी और आज 150 बिस्तरों का चिकित्सालय है तो अवश्य ही स्थानीय व अन्य क्षेत्र के के निवेशकों की भागीदारी से ही यह सम्भव हुआ होगा। निवेशक प्रेरणा हेतु कई बार मध्यम स्तरीय सम्मेलन हुए और निवेशकों को जोड़ा गया। निवेशक केवल धन जोडू ही नहीं होते अपितु कई प्रकार के भागिदार होते हैं जिनमे राज्य प्रशासन भी एक इकाई होता है।
Copyright@ Bhishma Kukreti , 2018
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