चबोड़्या, चखन्यौर्या , मरखुड्या ::: भीष्म कुकरेती
अचकाल हर क्वी राजनैतिक समर्थक ह्वे गे। तुम बि जु म्यार 'IAS कनै बणन' लेखम मोदी समर्थन की गंध बॉस खुज्याणा रौंदा , वी बि जु म्यार मेडिकल टूरिज्म की छाण निराळ मोदी समर्थक अम्बानी का चश्मा से करणा रौंदन अर मी बि जु मंगलेश डबरालै ब्वे कविता म घोर मोदी विरोध दिखुद। अब कण कण म भगवान न अकन कण म भगवान ना राजनैतिक समर्थक छन।
अबि सि ब्याळि प्रधान मंत्रीन पोस्ट मैनूं से चलदो -फिरदो बैंकिंग सेवाौ पैत धार ब्वालो या पवाण लगै. अब बैंकिंग तुमर चौकम ना तुमर चुलुम पोंछी जाली। तुम त घड्याणा ह्वेल्या बल कन पोस्टमैन भुला बैंकिंग संबाळल अर जनसेवा कार्ल त मि उपद्रवी , उछदी सुचणु छौं बल नई बैंकिंग व्यवस्था म राजनैतिक छैल कब्जा कारल बल । टिड्वाs टेढ़ी जर बल।
अब नवाड़ी बैंकर भुला (पोस्टमैन ) कै तै फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम सिखाल पढ़ाल , खूब जोर से समजाल बल फिक्स्ड डिपॉजिटन (से ) क्या क्या फायदा छन। फिर सेल्स क्लोजिंग करणो बान ग्राहक बाडा से पैसाौं मांग करदो पूछल , " त बाडा कथगा रुपया भरणा छां फिक्स्ड डिपॉजिट मा ?"
बाडा खूंकार ह्वेक डुंकरताळी मारिक उल्टां पूछल बल , " क्या मतलब ? मीन रुप्या भरणन ? "
पोस्टमैन कळकळि आवाज म जबाब द्याल , " हाँ तो !"
बाडा कतल्यौ करणो भौण म ब्वालल , " स्कीम म सरकार पैसा दींदी या जनता पैसा भरदी ?"
पोस्टमैनs न बोली बल बाडा फिक्स डिपॉजिट सरकार लुटे तो लुटे राजनैतिक दल तै फैदा इ फैदा वळि स्कीम नी च या त बैंकिंग स्कीम च। रुप्या भवारो अर तीन सालम दुगण पावो वळि स्कीम च।
बाडौ गुस्सा तिपुर पौन्छ्यूँ छौ , पोस्टमैन तै हड़कांद बुलण लगेन , " आग लगिन इन स्कीम पर , फंड फूक इन स्कीम तै। आण दे वै भाजपौ एजेंट तै भोट लींद दैं त बुलणु छौ बल मोदी भोट द्यावो अर रोज फोकट की स्कीम खावो अर अब सरकार हम मंगन इ रुप्या घुळणि च। "
कॉंग्रेस समर्थक ग्राहक तो सीधो ब्वालल , " हम तै त पता छौ बणिया मोदी कै तै क्या द्याल उल्टां हम मंगन ही मांगल जी। यांकुंणी बुल्दन बल द रांड अब खा बिंडि ग्युं। द्यावो मोदी तै दबल भोरि भोरिs भोट । लुटेरा कहींका ! हमर सोनिया बौ कन भग्यान छे। एक घंटा मनरेगाम काम कारो अर आठ घंटाs पगार पावो। "
पोस्टमैन पर बैंकरौ ठप्पा लग न बल पोस्टमैन सेल्समैन बण जालो। संभावित ग्राहकों की खोज करणम पोस्टमैन उस्ताद ह्वे जाल। जनि नवाड़ी चलते फिरतो बैंकर तै पता चौलल बल फगुण्यान ब्याळि एक हजारौ आदो ब्याच त पोस्टमैन दादा फगुण्याs चौकम पौंछि जाल अर सेल्समैनौ जाळ पसारदो पसारदो ब्वालल , " काका पैसा इनि धर्यां राल तो कबि सिगरेटो अग्यो म जळ जाल , कबि लैमचूसौ स्वाद म गैब ह्वे जाल अर नि ह्वाल त काकीs लिपस्टिक पुटिस्टिक म खतम ह्वे जाल। "
पोस्टमैन जणदु छौ बल फगुण्या तै लिपस्टिक से जनमजाति दुसमनै च। तीर सीधा ग्राहक का दिल पर लग जावो तो गाहक हताहत ह्वेइ जांद। ऊनि ह्वे फगुण्यान पूछ , "त ब्यटा कुछ तरीका त बता ?"
नव बैंकरौ जबाब होलु , " काका जनतौ पैसा लिपस्टिक म बर्बाद नि हो कुणि PPB (Post Payemnt Bank ) की बड़ी भड़िया स्कीम लयीं च "
फगुण्या," क्या च स्कीम ? क्या च स्कीम ? जरा मै बि बतादि "
पोस्टमैन 'अटल बिहारी कुबेर बॉन्डम हजार रुप्या भ्वारो अर तीन सालम द्वी हजार रुप्या ड्यार लावो "
फगुण्या ह्वाइ मोदी भक्त। फगुण्यन ज्यादा कुछ नि पूछ बस ब्वाल , " अटल जी नाम च त जरूर स्कीम फैदामंद ही ह्वेलि। मी तैं द्वी हजार रुप्यौं बॉन्ड देदी। "
पोस्टमैन जी कुण भाजपा या कॉंग्रेस महत्वपूर्ण नि होलि अपितु फिक्स डिपॉजिट टारगेट महत्वपूर्ण होली जी।
जनि पोस्टमैन दादा उत्फ नव बैंकर तै पता चौलल बल हुकम दान सुबेर द्वी हजार रुप्याs मर्च बिचेन त बैंकर पौंछि जाल हुकम दाs डिंडळिम अर ब्वालल , " भेजी अचकाल यी लीचिंग फीचिंग भौत बढ़ गे , ड्यारम रुप्या नि धरण चयेंद। क्वी लीचर फीचर रुप्या लूठि ल्ही गे त ?"
इखम बि तीर जगा पर इ लगल । हुकुम दा ह्वे पक्को आरएसएस विरोधी तो छटछटाक से ब्वालल , " हाँ साले सुधरेंगे नहीं। अब तो पता नी कब ये गाँवों में बी पौंच जाएंगे। पर क्या करूँ ?
पोस्ट मैं दादाs जल्दीबाजी म बोली बैठ , " छ न अटल बिहारी कुबेर बॉन्ड स्कीम ! द्वी हजार रुप्या भ्वारो अर तीन सालम चार हजार रुप्या पावो "
अटल बिहारी नाम सूणी इ हुकुम दा पर डौंड्या नर्सिंग चढ़ गे , " चल फंड इख बिटेन , नाम नि ले कबि म्यार समिण यूँ फांदेबाजुं १ चोर साले। भाजपा वाळ "
पोस्ट मैं जी से जल्दीबाजी म गलती ह्वे गे छे। हुकुम दा ह्वाइ पक्को इंदिरा गांधी भक्त अर पोस्ट मैनन अटल बिहारी जी नाम ले दे तो हुकुम दान उछ्यंडाण ही छौ। पर उ क्यांक सेल्समैन जु प्रतिकूल परिष्तिथि तैं अनुकूल स्थिति म नि बदलो।
पोस्टमैन जबाब होलु , " जी जी इंदिरा गांधी कुबेर स्कीम बि च ना ?"
इंदिरा जीs नाम सूणिs हुकुम दाs जिकुड़म सेळ पौड़ी गे बुलण लगल , " बल जरा बथा त सै स्यें भग्यानी स्कीम !"
पोस्टमैन , " इंदिरा धनलक्ष्मी बॉन्डम हजार रुप्या भवारो चार सालम द्वी हजार रुप्या पावो "
हुकुम दा फट भितर जाल अर पांच हजार रुप्या लेकि आला अर ब्वालल , ले वीं भग्यानी नाम पर मेर तरफ से पांच हजार रुप्या बॉन्ड दे दे "
पोस्ट मैनौ क्या जांद जब क्वी राजनैतिक चश्मा लगैक फिक्स डिपॉजिट धारो तो।
इनि कथगा इ बात होली तो तुम बि त कुछ स्वाचो पोस्टल बैंकिंग से क्या क्या ह्वाल ?
Copyright @Bhishma Kukreti
- एक बगत रेबुवा ओर्री देबुवा दोई सखा गों जाणा छा रेबुवा नी देबुवा थै दोई हजार चुकाणे छे , पर वो टालमटोल करण लागुरै। एक सुनसाण बाटों ऐ त समांण भतेक क्वी लुटेरे ऐता दिखै। लुटेरों जोर से आवाज दे कुछे वख रुका। रेबुवा णी झट सुलार की फेंट मा टाक्कों की गड्डी निकली देबुवा थै थामेदा और बोली भगतो मित्रा ऐ ले एक हजार आठ सौं टाकका संभाली I अबै दोई सौं टाकका बाकी छा बस जी।😂😂😂😂😂😂😂
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