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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, September 25, 2018

मेडिकल टूरिज्म विकास हेतु निवेशक सम्मेलन आयोजन रणनीतियां उदाहरण सहित - भाग -1

How to  Organize  Investment  Summit 
मेडिकल टूरिज्म हेतु निवेश सम्मेलन आवश्यकता - 2 
Investment for  Investment  Medical  Tourism  Development  -2
उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति - 165
Medical Tourism development  Strategies -165
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 268
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -268

 आलेख - विपणन आचार्य  भीष्म कुकरेती 
 
   आपके घर में छोटी सी भी पूजा हो आपको धन की आवश्यकता होती है। बिन  धन आप कोई छोटा सा आयोजन नहीं कर सकते हो।  उसी तरह मेडिकल टूरिज्म या अन्य टूरिज्म भी बगैर धन के विकसित नहीं हो सकते हैं।धन हेतु निवेश आवश्यक है।  आज बद्रीनाथ धाम , ऋषिकेश , हरिद्वार में जो भी टूरिज्म विकसित हुआ है उसमे विभिन्न प्रकार के निवेशकों के निवेश का महत्वपूर्ण स्थान है।  बद्रीनाथ धाम में देव प्रयागि पंडों द्वारा दूकान खोलना या प्राचीन काल में बाबा कमली वालों की धर्मशाला निवेश का उम्दा उदाहरण है।  ऋषिकेश में शिवा नंद महाराज , महर्षि योगी आदि द्वारा योग शिक्षण या योग विद्या प्रचार हेतु आश्रम खोले गए वे व्ही मेडिकल चिरज्म हेतु निवेश के ही उदाहरण हैं।  बाबा कमली वालों  या शिवानंद आश्रम में आयुर्वेइक औषधि निर्माण कार्यशाला निर्मित करना भी मेडिकल चिरज्म में निवेशकों का महत्व बतलाता है उसी प्रकार रामकृष्ण आश्रम संस्थान द्वारा  चिकित्सालय खोलना भी मेडिकल टूरिज्म का निवेश नमूना ही है। AIMS खुलने हेतु भी बिभिन्न राजकीय संस्थाओं द्वारा निवेश ही हुआ है। टूरिज्म विकास बिना निवेशकों के निवेश के विकसित ही नहीं हो सकता। 
    आज सरकारों के पास उतना धन नहीं है बल वे हर क्षेत्र में निवेश कर सकें अतः  निजी निवेशकों की अत्यंत आवश्यकता पड़ती है जिसके लिए सरकारें निवेशकों को लुभाने या आमंत्रण हेतु निवेशक सम्मेलन आयोजित करते हैं।  
     विभिन्न प्रकार की सेवा हेतु विभिन्न प्रकार के संभावित निवेशकों को एक मंच पर लाकर निवेश हेतु प्रेरित करने को निवेशक सम्मेलन कहा जाता है। 
  निवेशक सम्मिलन को आकार के अनुसार तीन प्रकारों में बांटा जा सकता है 
लघु स्तरीय   निवेशक सम्मेलन 
मध्यम स्तरीय निवेशक सम्मेलन 
वृहद स्तर निवेशक सम्मेलन 
                        लघु स्तरीय निवेशक सम्मेलन 
 पर्यटन आधारित लघु निवेशक सम्मेलन ग्राम स्तर पर पर्यटक स्थल विकसित करने हेतु भी लघु स्तरीय निवेशक सम्मेलन किये जाते हैं। जैसे ग्राम मंदिर निर्माण या पुनर्निर्माण , ग्राम स्तर पर कोई धार्मिक अनुष्ठान आयोजित करना , क्षेत्र स्तर कोई महोत्स्व आयोजित करना। 
  जसपुर (ढांगू , पौड़ी गढ़वाल ) में नागराजा मंदिर पुनर्निर्माण कार्य हेतु भी नब्बे के दशक में निवेशक सम्मेलन किये गए थे।  मुंबई के कुछ प्रवासियों ने सोचा बल जसपुर के पुराने मंदिर भवन का पुनर्निर्माण आवश्यक है और नागराजा पूजा में प्रवासियों की भागीदारी आवश्यक है।  स्व श्री रमेश कन्हयालाल जखमोला , श्री रमेश चक्रधर कुकरेती , श्री जय प्रकाश कली राम कुकरेती तीनों ने  आपस में बैठकर नागराजा मंदिर पुनर्निर्माण की कल्पना की व श्री चंद्रमोहन गोबरधन प्रसाद जखमोला को भी सहभागी बनाया।  नागराजा मंदिर पुनर्निर्माण की एक मोटा मोटा खाका बनने के पश्चात इन्होने मुंबई में सभी जसपुर के प्रवासियों (भागीदारों , स्टेक होल्डर्स ) की एक सम्मलित बैठक बुलाई।  इस बैठक में प्रवासियों को नागराजा मंदिर पुनर्निर्माण हेतु प्रेरित किया गया व आम सहमति बनाई गयी बल मंदिर निर्माण आवश्यक है व किस तरह मंदिर निर्माण सम्पूर्ण होने के बाद हर तीन साल में पूजा होगी।  एक दो बैठकें फिर हुईं और सभी प्रवासियों को प्रति माह चंदे (निवेश ) हेउ एक छोटी राशि निर्धारित की गयी।  तकरीबन हर महीने प्रवासियों की बैठक होने लगीं , जब मुंबई प्रवासियों की सहमति व धन योगदान पर सहमति बन गयी तो दिल्ली , देहरादून आदि प्रवासियों को सूचना व प्रेरणा पत्र बेहजे गए , सभी ने अपने अपने स्तर पर प्रेरणा संवाद भी स्थापित किये।  इसी दौरान गाँव वासियों के नेतृत्व को भी सम्मलित किया गया।  तकरीबन सभी जगह बैठकें आयोजित हुईं।  कई बैठकें हुईं , कई प्रकार के पत्राचार , कम्युनिकेशन हुए व 91 -92 में मंदिर  पुनर्निर्मित होने के पश्चात प्रथम सामूहिक पूजा प्रारम्भ हुयी जो अब तक तीन साल बाद निरंतर चल रही हैं। जसपुर में सामूहिक नागराजा पूजन टूरिज्म विकास का एक सबसे अनूठा उदाहरण है।  एक आकलन अनुसार सन 2018 में सभी प्रकार सामूहिक व निजी व्यय लगभग दस लाख से अधिक हुआ है .   
             जसपुर का  सरकारी चिकित्सालय   व निवेश सम्मेलन 

 मल्ला ढांगू में ग्वील गाँव  चावल उत्पादन व शिक्षित गाँव होने के कारण प्रसिद्ध गाँव रहा है।  सरकारी महकमे में भी ग्वील वासी प्रभाव शाली पद पर ब्रिटिश काल से ही रहे हैं।  लखनऊ में ग्वील प्रवासी के प्रभाव के कारण 1972 -1973 में उत्तर प्रदेश शासन ने ग्वील में सरकारी चिकित्सालय खोलने का निर्णय लिया व पत्र भी बना दिया।  सरकारी विभागीय आदेश भी तैयार हो गए थे।  किन्तु ग्वील में चिकित्सालय हेतु जमीन नहीं मिल सकी। तब जसपुर में चिकित्सालय खोलने का आदेश मिला क्योंकि तुरंत जसपुर वालों ने जमीन मुहैया कराने की सहमति दे दी। नेपथ्य में जमीन मुहैया कराने हेतु जसपुर में कई औपचारिक  अनुपाउचारिक बैठकें हुईं।  जमीन भी निवेश का ही हिस्सा है अतः ये सभी बैठकें मेडिकल टूरिज्म में निवेश सम्मेलन के उदाहरण हैं।  जखमोला मुंडीत , श्री घना नंद -गोबिंद राम कुकरेती मुंडीत ने लगभग 30 नाळी जमीन चिकत्सालय को मुफ्त में दे दी व लैंसडाउन में रजिस्ट्री कराई गयी।  इसी दैरान जसपुर ग्राम सभा के अंतर्गत अन्य गाँवों सौड़ , छतिंड , बाड्यों के लोगों के साथ कई बैठकें हुईं जिसमे श्रम दान व संसाधन दान , (निवेश ) पर बैठकें (सम्मेलन ) हुए और सभी ने श्रम दान की सहमति दी।  संसाधनों में जसपुर में कईयों ने अपने खेत से मिटटी , पत्थर निकालने की सहमति बैठकों में दी , कुछ ने अपने पेड़ दान देने पर सहमति जताई जैसे स्व चित्र मणि बहुगुणा के पुत्रों ने अपना २०० साल पुराने सेमल पेड़ दारु हेतु दिया।  चिकित्सालय को तीन कमरो का निर्माण हुआ  तब जाकर चिकित्सालय शुरू हुआ। 
आज जसपुर चिकित्सालय ढांगू में आंतरिक चिकित्सा पर्यटन का एक है।  
   हर कार्य हेतु योजना बनीं व कई तरह के कई स्तर की बैठकें हुईं।  चिकित्सा पर्यटन में निवेशकों के सम्मेलन के ये बैठकें अनूठा नमूना व उदाहरण हैं कि  भागीदारों का  सम्मलितीकरण  कैसे किया जाता है  ।   
            
                       ढांगू धार्मिक पर्यटन विकास में झैड़ का   योगदान 

गंगातट पर स्थित झैड़  (तल्ला ढांगू,   )   गाँव का आधुनिक ढांगू में धार्मिक पर्यटन विकास में महत्वपूर्ण स्थान है।  70 -80 दशक में झैड़ के ऋषिकेश व दिल्ली के प्रवासियों ने कई बैठकों में निर्णय लिया बल प्राचीन झैड़  मंदिर का जीर्णोद्धार  जाय।  मंदिर  जीर्णोद्धार हेतु ऋषिकेश , दिल्ली व झैड़  में कई निवेश व योजना सम्मेलन हुए और देवी मंदिर का पुनर्निर्माण सम्पन हुआ।  मंदिर पुनर्निर्माण के पश्चात सामूहिक पूजन संपन हुयी जिसमे झैड़ प्रवासी , निवासी  नहीं अपितु झैड़  के बेटियों के परिवार भी सम्मलित हुए।  अब यह सामूहिक पूजा प्रत्येक चार वर्ष अंतराल में सम्पन होती हैं व जमाई भी परिवार सहित सम्मलित होते हैं।  मैं झैड़ कई वृद्ध जमायियों को जानता हूँ जीने परिवार अपने  गए किन्तु झैड़ देवी पूजन में अवश्य सम्मलित होते हैं . सामूहिक झैड़  देवी पूजन धार्मिक पर्यटन विकास का एक अनूठा उदाहरण ह।  और यह सामूहिक पूजन तब शुरू हुआ जब साधन -संसाधन जुटाने बहुत ही  कठिन थे।  
  आज आधुनिक ढांगू   में जितने  सामूहिक धार्मिक अनुष्ठान  रहे हैं  उनके प्रेरणा स्रोत्र झैड़ देवी मंदिर जीर्णोद्धार घटना है।   हेतु भी कई छोटे स्तर के निवेश सम्मेलन हुए थे।  

          हीरा मणि बड़थ्वाल व  का धार्मिक पर्यटन हेतु भागीदारी सम्मेलन 

  बड़ेथ (मल्ला ढांगू , पौ ग ) के नौगढ़ में स्व श्री हीरा मणि नारायण दत्त बड़थ्वाल व उनके भ्राता श्री ओम  प्रकाश नारायण दत्त बड़थ्वाल ने अपने धन से देवी मंदिर निर्माण किया किन्तु उन्होंने मंदिर नींव रखने से पहले अपने गाँव में कई सम्मेलन किये जिससे भागीदार (स्टेक होल्डर्स ) मंदिर से जुड़ सकें।  अब यह मंदिर व्यक्तिगत मंदिर नहीं अपितु बड़ेथ का सार्वजनिक मंदिर हो गया है और आंतरिक धार्मिक पर्यटन का उदाहरण है। 
   सत्य प्रसाद बहुगुणा का धार्मिक पर्यटन हेतु निवेश सम्मेलन 
     जसपुर ग्वील (ढांगू , पौ ग ) में कुछ कारणों से देवी मंदिर नहीं था।  ढांगू के गुरु वंशीय  प्रसाद बहुगुणा के प्रयास से अब जसपुर -ग्वील सीमा में देवी मंदिर स्थापित हुआ है।  स्व सत्य प्रसाद खीमा नंद बहुगुणा ने जब देवी मंदिर की कल्पना की तो उन्होंने ग्वील व अन्य गाँवों या स्थानों के अपने यजमानों से सम्पर्क साधा व बैठकें कीं।  कई यजमानों ने मंदिर निर्माण में भागीदारी निभायी।  देवी मंदिर में एक बड़ा भव्य धार्मिक अनुष्ठान भी आयोजित हुआ जिसमे सत्य गुरु जी के कई यजमानों , मित्रों सहचरों ने भागीदारी निभायी।  श्री सत्य प्रसाद गुरु जी ने जिनसे भी सम्पर्क सहा होगा वे पर्यटन विपणन की दृष्टि में निवेश व भागीदारी सम्मेलन के ही उदाहरण हैं। 
         मनोहर जुयाल का ढांगू धार्मिक पर्यटन में योगदान 
  देहरादून के प्रसिद्ध उद्यमी श्री मनोहर जुयाल ने नैरुळ  में मंदिर जीर्णोद्धार व आवास निवास , सड़क निर्माण कर ढांगू धार्मिक पर्यटन में मह्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है।  श्री मनोहर जुयाल ने भी कई स्तर पर भागीदार सम्मेलन आयोजित किये है।   
    गोदेश्वर मंदिर हेतु श्री अतुल कंडवाल का ढांगू धार्मिक पर्यटन विकास में योगदान 

  ऋषिकेश में ठंठोली प्रवासी श्री अतुल कंडवाल भी गोदेश्वर मंदिर पर्यटन वृद्धि हेतु कई प्रकार के सम्मेलन करते हैं जो निवेश सम्मेलन के ही उदाहरण हैं व अतुल जी मंदिर प्रसिद्धि हेतु कार्यरत हैं।  

                     ढांगू में धार्मिक पर्यटन की वर्तमान दशा 
  आज धार्मिक व अन्य पर्यटन में ढांगू विकास पथ पर है जैसे ग्वील में प्रवासी सम्मेलन व  रामलीला आयोजन , मित्रग्रम में श्रीमद भागवद अनुष्ठान , कठूड़ में देवी पूजा , खंड में देवी पूजन आदि सभी धार्मिक पर्यटन के उदाहरण हैं।  इन सभी आयोजन हेतु कई स्तर पर निवेश बैठकें होती हैं जिन्हे पर्यटन विपणन  भाषा में लघु स्तर के निवेश सम्मेलन कहा जाता है। 

   अगले अध्याय में मेडिकल टूरिज्म में मध्यम स्तर के निवेश सम्मेलन के बारे में पढ़िए 
Copyright@ Bhishma Kukreti , 2018 
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2 comments:

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments