उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Tuesday, September 25, 2018

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन रणनीति - 167

मेडिकल टूरिज्म विकास हेतु आपूर्ति रणनीति - 1 
Supply Strategies for Wellness or Medical Tourism Development in Uttarakhand -1 
उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति - 167
Medical Tourism development  Strategies -167
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 270
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -270 

आलेख - विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती 

शहद स्वास्थ्य पर्यटन विकास हेतु  एक आवश्यक उत्पादन है।  
म्धुम्खियाँ फूलों के पराग एकत्रित करती हैं और अपने छत्ते के अंदर रख कर उसे सुखाते हैं जिससे पराग से पानी निकल जाय।  मधु में 20 प्रतिशत लगभग जल होता है बाकी मीठे तत्व फ्रुक्टोज होते हैं।  मधु का Ph  5-6 मध्य होता है जिससे मधु बैक्ट्रिया वाइरस प्रतिरोधक होता है। 
शहद से लाभ 
रक्त सफाई 
लाल रक्त कण निर्माण में सहायक 
रक्त में ऑक्सीजन वृद्धि 
रक्तचाप में लाभकारी 
स्फूर्तिदायक 
कीमोथेरेपी में प्रभावकारी 
योगाभ्यासियों हेतु लाभदायी 
हृदय हेतु लाभकारी 
सर्दी जुकाम में कामगार 
एंटी बैक्ट्रियल व एंटी सेप्टिक गुण
उर्जादायक भोजन 
चीनी का विकल्प 
पाचन में सहायक 
त्वचा की स्नक्र्मं निरोधक शक्ति वृद्धि कारक 
बच्चों की नींद में लाभकारी 

   मधुमक्खी पालन हेतु आवश्यक सामग्री 

मौन पेटिका 
मधु निष्कासन यंत्र 
स्टैंड 
छीलन छुर्री 
खुरपी 
रानी रोक पट 
रानिरोक द्वार 
नकाब 
रानी कोष्ठ सुरक्षा प्रबंध 
दस्ताने 
धुवांकर 
ब्रश 
मधु मक्खी पालन हेतु देसी या इतालियन म्द्धू मखी को ही चुना जाता है और रिंगाळ- चिमुल्ठ/ततया को दूर रखा जाता है। 
शीत ऋतू में शीत रक्षा का प्रबंध शरद ऋतू से ही आवश्यक है 
वसंत ऋतू व ग्रीष्म ऋतू में मौन गृह प्रबंध आवश्यक हैं 
वर्षा ऋतू में भी प्रबन्धन आवश्यक है 
 यह लेख मेडिकल टूरिज्म विकास हेतु लिखा गया है अतः  मधु मक्खी पालन हेतु विकास अधिकारी व विशेहगयों की राय अवश्य लें। 



Copyright@Bhishma Kukreti

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments