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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, September 25, 2018

सोनपाठा कृषिकरण/ वनीकरण से स्वास्थ्य पर्यटन विकास

Broken Bone Tree, Midnight Horror tree Plantation for Medical Tourism Development 

औषधि पादप वनीकरण - 54
Medicinal Plant Community Forestation -54

उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन  रणनीति -158
Medical Tourism Development Strategies -158
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 261
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -261 

आलेख : विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती 

लैटिन नाम - Oroxylum indicum 
संस्कृत /आयुर्वेद नाम -श्योनाक 
सामान्य   नाम - सोनपाठा 
आर्थिक उपयोग --
सब्जी व कई भोज्य पदार्थ अवयव 

-----औषधि उपयोग ---
 
 रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं 

जड़ें 

पत्तियां 

छाल 

फूल 

फल 

बीज 
रोग जिनके निदान में पादप उपयोगी है 
अतिसार 
आमवात 
मूत्राशय शोथ 
अपाचन 
स्वास , कफ सर्दी जुकाम , सरदर्द 
हड्डी दर्द 
दस्त।  पेचिस 
मुख कैंसर आदि में संसार के कुछ भागों में प्रयोग 
त्वचा 
रक्तशोधक 
बाम का अवयव 

दशमूलारिष्ट व च्यवनप्राश में अवयव 
बाजार में उपलब्ध औषधि 

पादप वर्णन 
यह जाती खतरे में है 
समुद्र तल से भूमि ऊंचाई मीटर  - हिमायी श्रेणियों की घाटी में , 500 -900 , भारत में सर्व्रत्र , गदन किनारे , धुपेली पसंद 
तापमान अंश सेल्सियस - 20 -35 
वांछित जलवायु वर्णन -पर्वततल  घाटी 
वांछित वर्षा mm- 850 -1300 
वृक्ष ऊंचाई मीटर -9 -15 , कहीं  कहीं 50 भी 
तना गोलाई सेंटी मीटर - 40 से 50 
छाल -मटमैला भूरा 
टहनी -लम्बी 
पत्तियां -लम्बे 
पत्तियां आकार , लम्बाई X चौड़ाई cm और विशेषता - युगल एक मीटर 
फूल आकार व विशेषता -
फूल रंग -सफेद -बैंगनी  रात को चमगादड़ों को आकर्षित करने हेतु खिलते हैं 
फल रंग -मटमैले टांटी या फली 
फल आकार व विशेषता 
टांटी तलवारनुमा 
फूल आने का समय - जुलाई -अगस्त 
फल पकने का समय - दिसंबर मार्च 
बीज निकालने का समय -टांटी फटने से पहले 
बीज/गुठली  कितने समय तक अंकुरण हेतु क्रियाशील हो सकते हैं - एक साल 


संक्षिप्त कृषिकरण विधि -
बांछित मिट्टी प्रकार pH आदि -तकरीबन सभी मिटटी 
वांछित तापमान विवरण - धुपेला स्थान 
बीज बोन का समय - मार्च और सिंचाई प्रबंधन सही 
बीजों को मंतत पानी में 24 घंटे हेतु भिगोना आवश्यक 
नरसरी में बोते समय बीज अंतर -  पॉलीथिन बैग में अन्यथा जुताई हेतु गेंहू जैसे खेत त्यार करना होता है ,, गड्ढे 60 x 60 x 60 cm 
मिटटी में  बीज कितने गहरे डालने चाहिए - 6 cm गहराई  व दूरी दो  मीटर , रोपण हेतु दूरी दो मीटर 
अंकुरण प्रतिशत 80 -90 , 18 -20 दिनों में अंकुरण आ जाते हैं , सिचाई सालभर में छह से आठ किन्तु ग्रीष्म में अधिक 
क्या कलम से वृक्ष लग सकते हैं ? हाँ किन्तु बीज भी  सही हैं 
क्या वनों में सीधे बीज या पके फल छिड़के जा सकते हैं ? हाँ गोबर गोले बनाकर अधिक  उत्पादक हो सकते हैं /अथवा  कटे-पके फलों व बीजों को नदी या गदनों में बहा देना श्रेयकर 
वयस्कता समय वर्ष - तीन साल में फूल आने लगते हैं पांच साल में बीज 
कृषिकरण लाभकारी 
 
यह लेख औषधि पादप कृषिकरण /वनीकरण हेतु जागरण हेतु लिखा गया है अतः  विशषज्ञों , कृषि विद्यालय व कृषि विभाग की राय अवश्य लें 

कृपया इस लेख का प्रिंट आउट ग्राम प्रधान व पंचायत को अवश्य दें 


Copyright@ Bhishma Kukreti , 2018 , kukretibhishma@gmail.com 

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