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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, March 27, 2012

डॉ नरेन्द्र गौनियाल Ki Garhwali Poems


****** एक वक्त जब पहाड़ का गाँव-गाँव माँ कच्ची शराब की भट्टी चलनीं* छै (बेशक आज नि छन या बहुत कम छन ) तब की एक कविता ******
*********आत्मनिर्भरता ***********
 
रचयिता - डॉ नरेन्द्र गौनियाल  
वार भीती-पार भीती
बीच माँ
सोना की सीती
कनस्तर थडकना  छन
वेस्ट मैटीरियल को
बेस्ट यूज कना छन
लाल ब्लैडर ट्रांसपोर्ट कंपनी द्वारा
डोर टू डोर सर्विस
मांग का अनुसार
उत्पादन अर पूर्ति
क्य चचगारो हुयुं च
हाँ भै
ख़ुशी की बात च
आखिर कखि ना कखि
हमारू पहाड़
आत्मनिर्भर हुयुं च ..........डॉ नरेन्द्र गौनियाल   

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