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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, March 26, 2012

Garhwali Poem by Dr Gauniyal


************निखणी **********
 
रचनाकार :डॉ नरेन्द्र गौनियाल  

जैको पैली बटी ही
छक्वे  खयूं
वैकी लदवड़ी हौरि बड़ी  ह्वै जान्द 
वे पर
लगि जान्द
भस्मक रोग
अर जैन पैली
कबी नि पाई
कबी नि खायी
वो भोर्यूं भद्यलो देखिकै
रंग्सले जान्द
तातु-तातू खैकी
जीभ जले  दींद
खताफोल कैरिकै
अधा लारों माँ 
आधा भुयां माँ
खैति दींद
कुछ गिच्चा पर
कुछ  बौंलों पर
लपोड़ी दींद
अर सब्बि छंछ्या
अफु ही सपोड़नै मारामारी माँ
भद्यलो ट्वटगो  कैरी के
सब्यों कि निखणी कैरी दींद..................
सर्वाधिकार @ डॉ नरेन्द्र गौनियाल  
Copyright@ Dr.  Narendra Gauniyal  

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