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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, March 29, 2012

धीत-परतीत :A Garhwali Poem By Dr Narendra gauniyal


धीत-परतीत *******
 
रचनाकार - डॉ नरेन्द्र गौनियाल

ये मुल्का पञ्च-परवाण
क्वी नवाण -क्वी पुराण
क्वी ठगणी कु ठग
क्वी जाति कु ठग
झूठ-परपंच
मुख्य सरपंच
आदर्शों कि बात
बुसे गे रात
सेवाभाव स्वार्थों माँ रळी गे
कर्तव्यभाव कामचोरी माँ गळी गे
देशभक्ति रुपयों माँ बिकी गे
प्रेम-सौहार्द धर्म-पंथ माँ बँटी गे
भाई-बंदी जात-पांत माँ हर्ची गे
पिठ्या-ल्वटी का भै
बिन बात लड़ना छन
अर सिर्फ अपणो
स्वार्थ  द्यखणा छन
न मंख्यात न भयात
न प्रीत न मीत
न क्वी
धीत-परतीत ..........................
Copyright@ डॉ नरेन्द्र गौनियाल 

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