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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, December 26, 2011

Work in Lok Sabha !लोकसभा मा क्य काम-काज हूंद भै ?


लोकसभा मा क्य काम-काज हूंद भै ?
 
( Garhwali Satire, Garhwal Humorous essays, Satire in Uttarakahndi Languages, Himalayan Languages Satire and Humour )
                       Bhishm Kukreti
                अच्काल पार्लियामेंट मा रोज इथगा हंगामा/घ्याळ होंद बल लोकसभा या राज्यसभा खुल्दा नीन
अर दुसर दिनों बान मुल्तबी/ 'ऐडजौर्नड फॉर द डे' करे जान्दन. बस याँ से पारिलियामेंट सदस्य बिसरी गेन , भूलि गेन
की लोक सभा या राज्य सभा मा काम काज क्य हूंद ? एम् पीयूँ तैं अब पता इ नी च बल लोक सभा या राज्य सभा सदस्यों मा क्वी कम
बि होंद.
             अब सी पर्स्या की त बात च . परसी मि अपुण एम्.पी (राज्य सभा सदस्य) दगड्या कु इख ग्यों बल मि बि ज़रा पार्लियामेंट
देखूं अर उख क्य क्य होणु च वांको जायजा बि ल्हीयूँ. अब जन कि मेरो दगड्या बिना बातौ अहिंसक मनिख च
त वै तैं कमांडो की सेक्युरिटी त छ्वाड़ो एम् पी होंउस कुणि एक चौकीदार बि णि मील. म्यार दगडया एम्. पी. न
बीस पचीस माख मारिन, दस पन्दरा मूस पकड़ीन अर पिंजरा मा बन्द कौरिन अर औथेरिटयूँ तैं बि दिखाई
तबी बि मेरो दगडया तैं जेड त छ्वाड़ो ए सेक्युरिटी बि नि मील उलटां एक चौकीदार छौ वै तैं बि के हैंक
नगर पालिका सेवक को इख भेजी दे . त मै तैं दगड्या एम् पी क इख जाण मा क्वी अट्टवांस/दिक्कत/ बेरियर
नि होंदी , जब जाओ ज़ब आओ . उन अच्काल इन मुस्किल ही होंद पण गांधी जी क सचा च्याला हों त ह्व़े बि जांद .
म्यार दगड्या अहिंसक एम् पी. ईं बगत बि जंग्या अर बन्याण मा पुराणो मर्फी कलर टेलीविजन (यू मीन भेंट मा दे छौ)
          मा हिस्टरी चैन्नेल मा क्वी इतिहासौ सीरियल देखणु छौ. विचारू अहिसक गाँधी बादी एम् पी अबि बि माणदो बल 'हिस्टरी रीपीट्स इटसेल्फ़ बेकौज
नो बडी लर्न्स फ्रॉम हिस्ट्री .'
           मीन ब्वाल ," हे! भै एम् पी ! काम पर नि जाण ?"
           अहिंसक गांधी बादी एम् पी न पूछ, " यू काम क्य हूंद ?"
        " हैं ! पार्लियामेंट मा कथगा इ काम होंदन. जन कि जु तुम सरकारी पार्टी मा छवां त मंत्री जी क बोल्यां पर ताळी बजाण अर मेज थपथप्याण
ही काम होंद. " मीन ब्वाल
           अहिंसक गांधी बादी एम् पी न पूछ, : अछा ! अर हौर काम ?"
           मीन अहिंसक गांधी बादी एम् पी तैं याद दिलाई , " अर जु तुम विरोधी पार्टी क एम्. पी. छवां त बस जब बि सरकारी एम् पी या मंत्री अपण बयान
दीण बिस्याई कि घ्याळ करण बिसे जाण . कुछ नी त शेम शेम बुलण बिसे जाण."
                  " बस य़ी काम च ? " अहिंसक गांधी बादी एम् पी न फिर पूछ
           " नही हौर काम बि छन जं कि कबि कबि टी वी कैमरा उना नि हो त जरा सी ऊँगी बि ल्याओ ." मीन खुलासा कार
          अहिंसक गांधी बादी एम् पी न ब्वाल , " ए मेरी ब्व़े ! और अच्छा उख उंगण बि पड़दो? हौर ..?"
    मीन फिर से याद दिलाणे पुट्ठ्या जोर लगाणे/ कोशिश करी , " नै जु पार्लियामेंट मा हो हल्ला , घ्याळ, घपरोळ नि होणु राउ
त एम्. पी. सरकारी मंत्री से सवाल बि पूछी लीन्दन अर मन मारिक मंत्री जीयूं तैं सवालू जबाब बि दीणी पड़दन ."
          " हे नागराजा ! हे ग्विल्ल! बस / य़ी काम ! पण क्य क्वी बि एम् पी कुछ बि सवाल पूछी सकद ?" अहिंसक गांधी बादी एम् पी न पूछ
            "  ना क्वी बि एम् पी अफिक सवाल नि पूछी सकद . एम् पी तैं वैकी पार्टी टैम दींद अर तबी एम् पी सवाल कौरी सकद ."मीन खुलासा कार
           अहिंसक गांधी बादी एम् पी न अगनै पूछ, " त अच्काल क्य हो णु च उख ..?"
          मीन बथाइ,' अच्काल त द्वीइ याने राज्य सभा अर लोक सभा मा कुछ नि होणु च बस सभा अध्यक्ष खुर्सी मा जनी बैठदन तन्नी पार्लियामेंट
मा घ्याळ/ घपरोळ होण बिसे जांद. स्पीकर सब्युं तैं शांत हूणे सल्ला दीन्दन पण ना त हल्ला ना ही घ्याळ अर ना ही घपरोळ बन्द होंद अर स्पीकर
 पार्लियामेंट तैं दुसर दिनु खुणि अडजोर्न करी दीन्दन . अच्काल बस ई होंद .."
              " य़ी स्पीकर क्य होंद? क्या यूंक काम बुलणों क काम हूंद .", अहिंसक गांधी बादी एम् पी न टक्क लगैक पूछ
             मीन बिंगाणों कोशिश कार," ना ! ना ! स्पीकर का मतबल स्पीक करण नी च मतबल स्पीकर इख सुणदो च , बुळणों काम त एम् पीज. या मंत्र्युं क होंद.
पारिल्यामेंट मा स्पीकर स्कूल कु क्लास मोनिटर जन होंद "
अहिंसक गांधी बादी एम् पी न इन पूछ जन बुल्यां कै हैंको प्लैनेट बिटेन अयूँ ह्वाऊ , " एक बात त बतादी कि य़ी राज्य सभा, लोक सभा या पार्लियामेंट क्य होंदन भै?"
             अब मि क्य बथों बल लोक सभा, राज्य सभा या पार्लियामेंट क्य होंद. जै देस कु पार्लियामेंट मा रोज/हर घड़ी अडजोर्न पर अडजोर्न ही होणा राल त उखाक
एम्.पी एक दिन बिसरी ही जाल बल पार्लियामेंट क्य होंद! अर पार्लियामेंट मा क्य काम काज होंदन
Garhwali Satire, Garhwal Humorous essays, Satire in Uttarakahndi Languages, Himalayan Languages Satire and Humour
to be continued in next issue.....
Copyright@ Bhishm Kukreti , Mumbai 

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