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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, December 21, 2011

Describing Garhwali Creative through Verses


Bhishm Kukreti 
  There have been many experiments in Garhwali literature as happened 
in other languages literature.
 When Chitthi a Garhwali language magazine (?) was of the size 
of ( March 1990) inland letter, Devendra Joshi wrote a humorous poem there 
describing the characteristics of Garhwali creative. No doubt , Devendra Joshi
wrote poem for Holi festival wherein majk, Maskari, teasing is a common factor 
 the poem has its significance today too. The poem is still relevant and will 
be relevant in future course of time. 
 The poem is as follows :

बुरो नि मन्याँ भैरों होरी  मां    
देवेन्द्र जोशी की चबोड्या कविता )

अबोध बंधु बहुगुणा :            बोध बंधु .........
भजन सिंह 'सिंह'    :  छंदबद्ध कवितौं वकील
जीवा नन्द श्रीयाल : हैळ लगायम /
                           कविता करायम .
गुणा नन्द पथिक : क्वी नि सुणदो मेरी 
भगवती चरण निर्मोही : ढिम-ढिम नि सुणेणी  
कन्हैया लाल डंडरीयाल ह्यराँ द कीडू बुबा .....
जीत सिंह नेगी : तू होली बीरा /
                       बोतल बीच 
मोहन लाल नेगी : टेहरी डुबणो ....
                        अर कहानी ?
प्रेम लाल भट्ट :  कैन बोली मि/
                      डाइरेक्टर नि छौं ?
शिव प्रसाद पोखरियाल : फ्योंळड़ी त्वे देखिक औंदा यो मन मा 
                                 पक्की नि पियेंदी मेंगे  का ज़माना मा 
हर्ष पर्वतीय :  कविता मा नी च मन 
                   कारो ट्रेड यूनियन 
बीर सिंह ठाकुर : कबि चौका /कबि छक्का 
अर्जुन सिंह गुसाईं : चुनौ मा उत्तणदंड  /
                           जै हो उत्तराखंड 
दुर्गा प्रसाद घिल्डियाल : हम गढवाळी मा   किलै लिखणा ?
पूरण पन्त 'पथिक' : मेरो ब्वाडा ब्वाद -
                           खवयाँ -पिवयाँ राला 
                           त कब्बी काम आला 
लोकेश नवानी : मेरा मैणा   बींगा धौं 
                     क्या होलू हैंकी संस्थौ  नौ 
ललित केशवान : गौड़ी नी च .....
                       सांड च 
जगदीश बडोला :  पीन्दो छौं त /
                        पिलौंदु बि छौं 
चन्द्र सिंह राही : गैळी सुखी गे .....कामरेड 
नरेंद्र सिंग नेगी ; सैणि को मर्युं छौं .....
रघुबीर सिंह अयाळ : बणे द्याओ मंच वार बटे 
                             प्वार/  ये गुठयार 
महिमा नन्द सुंदरियाल : गीत नमान लछेंगी
 मदन मोहन बहुखंडी : 'धाद' पतंग की थमीं डोर 
 तोताराम ढौंडियाल : डिस्को कवि 
 नेत्र सिंह असवाळ  : क्या सचमुच मा तैंतीस मा ढागु बणिगे  ?
विनोद उनियाल : मंडाण ....
                       कुजाण कुजाण 
महेश तिवाड़ी : गिच बटे गीतुं बात 
                    पण कीसौंद नि जान्दो हात
जब्बर   सिंग कैंतुरा : ह्यल्दी बौडी वीक पोयम 
मदन  मोहन डूकलान : मंच चैणु- कविता छपेण  चैंदी 
                               अर फिलम भी ........
भीष्म कुकरेती ; ठेट गढवाळी मा किलै ना?  
राम प्रकाश : मि चुटकला ई ना गीत बि लिख्दु 
सुरेन्द्र पाल : लिखणा का  बि सल्ली 
प्रेम गोदियाल : अभिनेता , नेता, कविवर , थियेटर , 
                    यूनियन अर अब जागर 
बी मोहन नेगी : रिखडों से कविता प्रयास 
निरंजन सुयाल : ग्याडू ददा धाई लगान्दु 
                      व्यंग्य ल्याखो दौडिकी  
कू.वीना देवशाली : नै कविता कथगा भाग्यशाली 
देवेन्द्र जोशी : फ़ौज मा रयुं पण नि लैडी क्वी जंग/
                  अफ़ी   पर अफ्वी नि डलेन्दु रंग 
Copyright @ Devendra Joshi , Dehradun 

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