Bhishm Kukreti
There have been many experiments in Garhwali literature as happened
in other languages literature.
When Chitthi a Garhwali language magazine (?) was of the size
of ( March 1990) inland letter, Devendra Joshi wrote a humorous poem there
अबोध बंधु बहुगुणा : बोध बंधु .........
describing the characteristics of Garhwali creative. No doubt , Devendra Joshi
wrote poem for Holi festival wherein majk, Maskari, teasing is a common factor
the poem has its significance today too. The poem is still relevant and will
be relevant in future course of time.
The poem is as follows :
बुरो नि मन्याँ भैरों होरी मां
( देवेन्द्र जोशी की चबोड्या कविता )
भजन सिंह 'सिंह' : छंदबद्ध कवितौं वकील
जीवा नन्द श्रीयाल : हैळ लगायम /
कविता करायम .
गुणा नन्द पथिक : क्वी नि सुणदो मेरी
भगवती चरण निर्मोही : ढिम-ढिम नि सुणेणी
कन्हैया लाल डंडरीयाल ह्यराँ द कीडू बुबा .....
जीत सिंह नेगी : तू होली बीरा /
बोतल बीच
मोहन लाल नेगी : टेहरी डुबणो ....
अर कहानी ?
प्रेम लाल भट्ट : कैन बोली मि/
डाइरेक्टर नि छौं ?
शिव प्रसाद पोखरियाल : फ्योंळड़ी त्वे देखिक औंदा यो मन मा
पक्की नि पियेंदी मेंगे का ज़माना मा
हर्ष पर्वतीय : कविता मा नी च मन
कारो ट्रेड यूनियन
बीर सिंह ठाकुर : कबि चौका /कबि छक्का
अर्जुन सिंह गुसाईं : चुनौ मा उत्तणदंड /
जै हो उत्तराखंड
दुर्गा प्रसाद घिल्डियाल : हम गढवाळी मा किलै लिखणा ?
पूरण पन्त 'पथिक' : मेरो ब्वाडा ब्वाद -
खवयाँ -पिवयाँ राला
त कब्बी काम आला
लोकेश नवानी : मेरा मैणा बींगा धौं
क्या होलू हैंकी संस्थौ नौ
ललित केशवान : गौड़ी नी च .....
सांड च
जगदीश बडोला : पीन्दो छौं त /
पिलौंदु बि छौं
चन्द्र सिंह राही : गैळी सुखी गे .....कामरेड
नरेंद्र सिंग नेगी ; सैणि को मर्युं छौं .....
रघुबीर सिंह अयाळ : बणे द्याओ मंच वार बटे
प्वार/ ये गुठयार
महिमा नन्द सुंदरियाल : गीत नमान लछेंगी
मदन मोहन बहुखंडी : 'धाद' पतंग की थमीं डोर
तोताराम ढौंडियाल : डिस्को कवि
नेत्र सिंह असवाळ : क्या सचमुच मा तैंतीस मा ढागु बणिगे ?
विनोद उनियाल : मंडाण ....
कुजाण कुजाण
महेश तिवाड़ी : गिच बटे गीतुं बात
पण कीसौंद नि जान्दो हात
जब्बर सिंग कैंतुरा : ह्यल्दी बौडी वीक पोयम
मदन मोहन डूकलान : मंच चैणु- कविता छपेण चैंदी
अर फिलम भी ........
भीष्म कुकरेती ; ठेट गढवाळी मा किलै ना?
राम प्रकाश : मि चुटकला ई ना गीत बि लिख्दु
सुरेन्द्र पाल : लिखणा का बि सल्ली
प्रेम गोदियाल : अभिनेता , नेता, कविवर , थियेटर ,
यूनियन अर अब जागर
बी मोहन नेगी : रिखडों से कविता प्रयास
निरंजन सुयाल : ग्याडू ददा धाई लगान्दु
व्यंग्य ल्याखो दौडिकी
कू.वीना देवशाली : नै कविता कथगा भाग्यशाली
देवेन्द्र जोशी : फ़ौज मा रयुं पण नि लैडी क्वी जंग/
अफ़ी पर अफ्वी नि डलेन्दु रंग
Copyright @ Devendra Joshi , Dehradun
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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