गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -39
पृथ्वी पति शाह महान पराक्रमी, भड़, साहसी , विपदा मा भौत धीरू , बैर्युं बिणासी छयो .
References;
गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 39
Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -39
भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
महाराज पृथ्वीपति शाह (रा.का. 1634 -1664 या 1631 -1664 ई. )
पृथ्वी पति शाह महान पराक्रमी, भड़, साहसी , विपदा मा भौत धीरू , बैर्युं बिणासी छयो .
पृथ्वी पति शाह को जादा तर समौ जुद्ध अर बैरी बिणास मा ही व्यतीत ह्व़े.
पृथ्वी पति शाह का समौ की कुछ बड़ी घटनाउन बान याद करे जान्दन :
१-पच्छिम का तरफ राज्य बढ़ोतरी : पृथ्वी पति क टैम पर गढवाळ राज्य सतलज तक पौंची गे थौ.
फिर हिमाचल का राजा एक्ब्न्द ह्वेना अर हाट कोटी तक राज राई
२- शाहजहाँ से राज्य रक्षा ; पृथ्वी पति तैं शाहजंहा से कथगा दें गढवाल राज्य की रक्छा करण पोड़ .
पैथर पृथ्वी पति के डरा शिकोह दगड दोस्ती होई गे
३- पृथ्वी पति को नौनु मेदनी शाह को दिल्ली दरबार मा जाण
४- जब औरंगजेब न अपण भायुं तैं गिरफ्तार करीक दिल्ली को राज हथियाई त दारा शिकोह को नौनु सुलेमान सिकोह
तैं पृथ्वी पति न श्रीनगर मा शरण दे छे
५- सुलेमान शिकोह तैं पृथ्वी पति को नौनु मेदनी शाह न औरंगजेब तैं सौंप
६- मेदनी शाह न औरंगजेब को तरां अपण बुबा को राज्य हथियाई
पृथ्वी पति शाह का दरबारी:
पुरोहित : श्री कंठ
राजगुरु : सारंगधर नौटियाल अर वृहस्पति
बजीर: माधो सिंह भंडारी
सेना नायक : माधो सिंह भंडारी को ब्यटा गजे सिंह
देवत्री : डोभाल
दीवान ; बंदे सिंह भंडारी
राणी : पृथ्वी पति शाह की भौत सी राणी छे .
मथुरा बौराणी : मथुरा बौराणी को एक रजत पत्र देव प्रयाग मंदिर मा च (1664 AD ). मथुरा बौराणी गजे सिंह की कज्याण छे
गजे सिंह भंडारी: गजे सिंह भंडारी बि अपण बुबा ज्यू माधो सिंह भंडारी जन बड़ो भड़ (बलशाली, वीर ) थौ.
गजे सिंह त्यागी छौ. गढवाल राज्य रक्छा बान वैन कथगा इ लड़ऐयूँ मा भाग ल़े
गजे सिंह का कत्ति पावडा /जागर/लोक गीत गढवाळ मा अबी तलक चलदन
राणी बर्त्वाल जी, राणी सिरमौर जी : पृथ्वी पति शाह को मोरणो परांत सात साल तक फतेशाह की अभिभावक का रूप मा
राणी बर्त्वाल जी न राज सम्बाळ , ए बीच मेदनी शाह मुग़ल दरबार मा ही राई . बीच मा राणी सिरमौर जी न बि अभिभावक का रूप मा राज करी
References;
1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4
History of Garhwal, History of Kumaun)
2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas
3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir oof Garhwal as translation by Tara Datt Gairola
बकै अगने खंड 40 मा बाँचो ...
To be continued part 40
गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -40
गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 40
Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -40
भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )मेदनी शाह (रा.का.1664 -1684 ई. )
मेदनी शाह एक अवसरवादी मनिख छयो. वैन 1661 ई. मा अपण बुबा ज्यू क राजगद्दी छीनी पण
मेदनी शाह एक अवसरवादी मनिख छयो. वैन 1661 ई. मा अपण बुबा ज्यू क राजगद्दी छीनी पण
लोखुंन वै तैं तबी राजा मान जब वैका बुबा ज्यू गुजरी गेन
सुलेमान सिकोह तैं मेदनी शाह न औरंगजेब तैं सौंप
बुटोळगढ़ पर अधिकार : मेदनी शाह की सेना मा सेनानायक तुंवर न बुटोऊळ गढ़ जीति
अर तुंवर सेनानायक तैं मेदनी शाह न बुटोला नेगी कि उपाधि दे थै.
पृथ्वीपुर कस्बा बसाण : औरंगजेब से मेदनी शाह तैं दून को पट्टा मील अर मेदनी शाह न अपण बुबा ज्यू का नाम पर उख
एक कस्बा बसै.
बाज बहादुर को आक्रमण : ये समौ पर पूरबी सीमा क रज्जा बाज बहदुर न गढवाळ पर आक्रमण करी थौ.
पुरिया नैथाणी : पुरिया नैथाणी एक होशियार राजनायक छौ . जब कै स्य्यिद न भाभर पर कब्जा करी त
मेदनी शाह न पुरिया नैथाणी तैं औरंगजेब का दरबार मा भेजी अर सईद बिटेन भाभर वापस ल़े .
पुरिया नैथाणी न औरंगजेब से कथगा ही कर ख़तम कर्रें. पुरिया नैथाणी क होशियारी का कथगा इ किस्सा
लोक कथाओं मा प्रसिद्ध छन अल्पवयस्क राजा प्रदीप शाह के रक्छा बि पुरिया नैथाणी न करी छे
मेरी गंगा ह्वेली तो मीमा आली: हरिद्वार मा जब हौरी राजाओं न गढवाली राजा से पैलि नयाणो
खड़यंत्र रच गंगा न अपनों रस्ता बदली अर गढ़वाळी राजा मेदनी शाह क शिविर का पास बगण बिसे गे
गुरु राम राय तैं जगा : मेदनी शाह न निरंकारी गुरु गुरु राम राय तैं देहरादून मा धामावाला गाँव डेरा बसाणे दे
मेदनी शाह क टैम पर कुमौं नरेश न उत्तरी गढवाळ पर आक्रमण बि करी
मेदनी शाह न डोटी नरेश से संधि करी छे
मेदनी शाह का टैम पर रानीतिक उठा पटक ही राई
मनसबदार भीमसिंह /भीमसिंह बर्त्वाल:: १६५८-१६७८ ई. तलक मुग़ल दरबार मा गढवाल का द्वी प्रतिनिधि (मनसबदार ) छया.
एक को नाम भीम सिंह या भीम सिंह बर्त्वाल थौ. भीमसिंह तैं १००० जात अर ६०० सवार को मनसब मिल्युं थौ . सैत च
भीम सिंह राणी बर्त्वाळी को भै बंद राय होलू
मनसबदार प्रेम सिंह : प्रेम सिंह तैं बि १००० जात अर ५०० सवार को मनसब मिल्युं थौ.
References;
1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4
History of Garhwal, History of Kumaun)
2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas
3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir of Garhwal as translation by Tara Datt Gairola
बकै अगने खंड 41 मा बाँचो ...
To be continued part 41
गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -41
गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 41
Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -41
भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
महाराज फतेपति शाह (फतेशाह ) (रा.का. १६६४-१७१६ ई. )
महाराज फतेपति शाह (फतेशाह ) (रा.का. १६६४-१७१६ ई. )
फतेपति शाह को राज्य काल क बारा मा इतियास कारुं मा घंघतोळ इ च .
फतेशाह वीर, पराक्रमी , भड़, सांसदार (साहसी) थौ जैक राज मा , पड़ोसी राजाओं दगड कथगा जुद्ध ह्वेन .
महाराज फते शाह न जिंदगी का भौत सा हिस्सा जुद्ध भूमि मा बितायेन . प्रजा क दगड वैको संपर्क बरोबर रौंदो थौ.
गढवाल का सीमान्त अडगै (क्षेत्र) मा आक्रमणकारियूँ से प्रजा की रक्षा करें मा अगने छौ .
महाराज फते शाह कवियों, विद्वानुं , चित्र्कारून बड़ो मान करदो छौ .
गुरु व पुरोहित : फते शाह का राज मा वृहस्पति ओझा, धीरेन्द्र जी, बागेश्वर ज्यू, गुणा नाथ जोशी
, मणि कंठ दुयाल, पूर्ण नन्द कंडवाल पुरोहित अर गुरु छाया
बजीर: चन्द्र मणि डंगवाल अर गजे सिंह भंडारी
राज ज्योतिषी : जटा धर मिश्र
बक्षी : केसर सिंह सुकेत्या , भोजवाण , भादल का बणिया
दीवान : चारो खत्री , गुलाब सिंह
भंडारी ; नित्या नन्द डोभाल
लेखवार : धीरज मणि पैन्युली
फौन्ज्दार ;
घाल का - बीरा नेगी
रवांई का : अर्जुन सिंग रायजादा, बलराम सकन्यानी
सल़ाण का : औतार सिंह भंडारी
भांग का : रौथाण , मेघा बुगाणि , गुणा, नत्थू , मिसर, सिद्ध साह
टकसाली : केसोपुरी, निर्मल पुरी
उमराव : असवाल, झिन्क्वाण , बर्त्वाल , सजवाण
मंत्री : धमादों दीना नाथ पल्याल
नागपुर खान को कारिन्दा : गरीबदास
नागपुर का कमीण : मदु रावत
दालिपोथा का खिदमत गार : दीना बुगाणों
बद्रीनाथ का रावल : नारायण, सीताराम
केदारनाथ का रावल : महालिंग
देहरा का महंत : माता पंजाब कौर
२४ राणियाँ ; महाराज फते शाह के चौबीस राणियां छे
१- सुकेत जी - २
२- कुमैणी जी -२
३- पश्चिम की -२
४-कहलूर की - २
५-बघाट कि -२
६ - मडी की - १
७- बिसर की -२
८- बर्त्वाली - २
९- झिन्क्वाणी -२
१०-बड़े पुरिया की- २
११-जस रोटा की -२
१२- जम्मू की -१
गुरु राम राय तैं गाँव दान : फतेशाह न गुरु राम राय तैं सात हौरी गाँव दान मा दिनी . अर फिर ड्यारा दू ण (देहरादून )
सहर बसणे शुरुवात ह्व़े
श्रीनगर मा गुरु राम राय मंदिर :फते शाह न एक गुरु राम को मंदिर श्रीनगर मा बि बणे छयो जु बिरही गंगा औगळ-बौगळ (बढ़ ) मा बौगी गे
सिरमौर से युद्ध : फतेशाह की सिरमौर से जुद्ध ह्व़े छौ .सिरमौर का हिसा पर कब्जा बि करी, पण औरंगजेब का दबाब में वापिस करी.
गुरु गोविन्द सिंग का दगड झडप : फते शाह की ख्द्प गुरु गोविन्द सिंह से अपण समद्युळ का वजे से ह्वीं
दाबा गढपति को दगड लड़ाई: दाबा रज्जा न जब कर दींण बंद करी त फते शाह न वै पर आक्रमण करी एर वै तैं हराई
श्रीनगर पर कुमौं क रज्जा को अधिकार : १७०९ ई मा कुमाऊं का रज्जा को अधिकार श्रीनगर पर होई फिर १९१० मा
फते शाह न श्रीनगर अर बाकि जगाओं पर दुबार अपण अधिकार करी.
पुरिया नैथाणी का दौत्य कार्य: पुरिया नैथाणी के राज्नैयीक चतुरता का वजे से दिल्ली का बादशाह न गढवाल पर आक्रमण नि
करी.
कवि भूषण को गढवाल औण : फते शाह कवियुं आदर करदो छौ. इन बुले जांद कवि भूषण १६८५ का करीब गढवाळ ऐ थौ.
कवि मतिराम को गढवाळ औण : कवि मतिराम गढवाळ ऐ छौ अर गढवा ळ मा ' व्रितकौमादी' की रचना करी छे
कवि रतन (क्षेमराज) को गढवाळ औण : क्षेम राज कवि भौत सा साल श्रीनगर राज दरबार मा राई अर क्षेम राज न
कथगा इ संस्कृत ग्रन्थ रचेन जु अबी बि सेंट पीट्स बर्ग पुस्तकालय मा छन
राज सभा का नवरत्न : श्रीनगर दरबार मा नौ रत्न छया जौंक नाम इन छन :
सुरेशा नन्द बडथ्वाल
रेवत राम धष्माना
रुद्री दत्त किमोठी
हरि दत्त नौटियाल
वासबा नन्द बहुगुणा,
किर्ती राम कैंथोला
शशि धर डंगवाल
सहदेव चंदोला
हरि दत्त थपलियाल
ज्योतिषी जटाधर मिश्र : जाता धर मिश्र न ज्योतिष पर कति ग्रन्थ लेखिन .
नीलकंठ : नीलकंठ संस्कृत को प्रकांड विद्वान् थौ
सुखदेव मिश्र : सुखदेव मिश्र संस्कृत को बड़ो विद्वान् छौ
राम चन्द्र कंडियाल : सभा कवि राम चन्द्र कंडियाल न संस्कृत मा ' फतेहशाहयशोवर्णन ' की रचना करी थौ.
चित्रकार श्याम दास ; चित्रकार श्याम दास दरबारी तसवीरदार छयो जो मेदनी शाह का टैम पर सुलेमान सिकोह का दगड श्रीनगर ऐ गे छयो
चित्रकार केहिर दास : केहिर दास श्याम दस को नौनु छौ अर दरबार क तस्वीर दार छौ
चित्रकार मंगत राम : श्याम दास को नाती मंगत राम बि दरबारी तस्वीर दार छयो.
References;
References;
1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4
History of Garhwal, History of Kumaun)
2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas
3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir of Garhwal as translation by Tara Datt Gairola
बकै अगने खंड 42 मा बाँचो ...
To be continued part 42
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