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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Monday, December 12, 2011

Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -23 -26

गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक )फड़क -23
गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 23
Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -23
भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
चाहमान गढ़पतियुं क गाथा ( 13 वीं ईस्वी सदी मा )
जै बगत मोहम्मद घोरी को आक्रमण अर अर दिल्ली मा पृथ्वी राज चौहान अर दिल्ली मा तोमर साम्न्तुं राज छयो वै बगत सैत च गढवाल का भौत सा गढून पर चौह्मान या चौहाण
१- अजमेर का चौहाण गढ़ पति : सलाण अजमेर (अजयमेरु) मा चौहाण गढ़पत्युं राज रायो
२- पयाळ गढ़पति : इन बुले जांद बल पैठारा अजमेर पर पयाळ जाती वालुं राज ह्व़े छौ
३- क्राचाल्ल को बाद भौत सा चौहाण सामंत /मांडलिक न अपणो अपणो गढ़ों पर अधिकार करी छौ
चौहाण की बारा तेरा (12- 13 ) शाखाओं क ब्योरा मिल्द ( रतूड़ी : गढ़वाल का इतिहास) : य़ी चौहाण ज़ात छन
१- झिन्क्वाण
२-तुलसारा
३-मकरोला रावत
४- परसारा रावत
५- धम्मादा बिष्ट
६- अस्वाळ ( या जात घवा डों की सवारी मा प्रवीन छे अर घ्वादों चित्र बि बणादा छ्या इलै अश्वारोही से अस्वाळ ह्व़े )
७- लोभन नेगी / लोहवान नेगी : य़ी साखि मा दिलवर सिंह अर प्रमोद सिंह नामी गढ़पति छ्या . यीं ज़ात की बड़ें गढ़ राजवंश मा भौत च
८- रमोला
९-अजमेर का चाहमान
१०-खैलपुर का चाहमान
११- चांदपुर का चाहमान
१२- उप्पुगढ़ का चाहमान
१३- कंडारा गढ़ का दुमग चौहान
दक्षिण गढ़वाळ का चौहाण १- अजमेर का चौहान
२- रतनगढ़ का धम्मादा चौहाण : कुंजणि मा ब्रह्मपुरी का मथिन रतनगढ़ छौ अर वख एक दें धम्मादा बिष्टउन को राज थौ
३--मायापुर हाट : मा पुंडीरूं राज थौ
४- ज्वालापुर हाट या खैलपुर का चाहमान : इख का छै साख्युं /पीढी का राजाओं नाम इन छया
अ- उर्मी नाग
ब- कुर्मी नाग
स- राय मंगल
ड़- अफती
ई. धामदेव अर वैका छै भाई . इन बोले जांद बल पुंडीरूंन धाम देव अर वैका छै भैयुं तै मारिक कब्जा करी छौ
धामदेव का ७ नौन्यालुं मा से तीन नाम (ओकले अर गैरोला )
१- जीत सिंह
२- भूप सिंह
३-केदार सिंह
४- उत्तम सिंह
उप्पू गढ़ का कफ्फू चौहान : क्फ्फु चौहाण बड़ो भड़ छौ पण पंवार नरेश अजयपाल ण क्फ्फु चौहाण तै हरैकी उप्पू गढ़ पर अधिकार करी थौ
चांदपुर गढ़ का चौहाण
चांदपुर गढ़ युद्ध व्यूह रचना को हिसाब से महत्व पूर्ण गढ़ छयो.
भानु प्रताप : चांदपुर गढ़ी मा सबसे प्रसिद्ध गढ़ पति भानु प्रताप ह्व़े
मंगल सिंह : मंगल सिंग भानुप्रताप को राजकुमार छौ जैन अपण राज भौत फैलाई
हालांकि रतूड़ी को मत कुछ अलग ही छौ
भिलंग गढ़ का चौहान
सोनपाल : सोनपाल भिलंग गढ़ को राजा छौ अर वैक एकी नौनी औलाद छे . नौनी कू ब्यौ पंवार बंश को पैलो रज्जा कंक्पल क दगड कौरिक
पंवार बंश को श्रीगणेश करी थौ
पैन खंडा का बयालीस गढ़ पति
जुमल़ा चौहाण : टिहरी हस्तलेखऔ मुताबिक पैन्ख्नाडा मा हरेक गाँव एक गढ़ (राज) छौ . ए हिस्सा मा ४२ जुमला चौहान गढ़पत्युं राज छौ ( 1270 - 1321 AD)
Reference: Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas -3 ( History of Uttarakhand - 3
History of Garhwal, History of Kumaun )
बकै खंड 24 मा बाँचो
To be continued in 24th Part
गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक )फड़क -24
गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 24
Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -24
भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
देवपाल राजा अर उत्तराधिकारी (1250 -1280 ई.)
देव पाल अर वैका उत्तराधिकारी (१२५० - १२८० ई) : देवपाल अर वैका उत्तराधिकार्युं न पच्छमी गढ़ देश पर बलवन का करीब राज करी. राज बलबन न देव पाल को राज्य प्र१२५७ ई मा आक्रमण करी छौ .
एकचक्रा को बाहुबाण (चाहुबाण) राजबंश (तकरीबन 1280 -1390 AD )
जण श्रुति, अर अल्लाठनाथ की द्वी संस्कृत पोथी ' निर्णय सूत्र' अर 'सकलपुराण सम्मुचय' को हिसाब से डा. शिव प्रसाद डबराल न बतायी बल पच्छमी गढवाल अर जमुना का पूर्ब (चकराता जिना)
चौहाण (बाहु बाण ) जाती क 1230 - 1420 ई. राज राई अर राजधानी क नाम एकचक्री थौ .
सरूप बाहुबाण (चौहाण ): सरूप एक बीर भड़ थौ अर वैन बाहुबाण राज्य की स्थापना 1230 AD का करीब करी.
कर्ण देव : कर्ण देव राजा सरूप को नौनु थौ अर त्यागी, दानी, भड़ व शिव भक्त छौ
उद्धरण : कर्ण देव कू लौड़ एक बड़ो भड़, गंभीर, धीरू अर सुमति वल़ू राजा थौ, वैकी लड़ाई सीमा पर दिल्ली क रज्जा/सामंत का दगड बि ह्व़े
चन्द्र सेन : उद्धरण कू नौनु बि बड़ो दानि अर शैव्य थौ
सूर्यसेन : चन्द्र सेन कू बड़ो नौनु का नाम सूर्यसेन छौ अर वै ही राजा न अल्लाट नाथ तै 'निर्णय सूत्र ' लिखणो प्रेरणा दे थै .
अल्लाट नाथ सूरी : अल्लाट नाथ सूर्यसेन को राज दरबार मा संकृत को पंडित छौ. अल्लाट नाथ सुरी न 'निर्णय सूत्र' अर सकल पुराण सम्मुचय ' पुस्तक लेखिन.
'निर्णय सूत्र ' एक धर्म शाश्त्र पर नामी किताब छे अर पैथराँ निर्णय सिन्धु, तीर्थ निर्णय , कालनिर्णय , निर्णय दीपक जन किताबुं मा 'निर्णय सूत्र' का उदाहरण दिए गेन
निर्णय सूत्र का पैली भाग मा अल्लाट नाथ सुरी न सूर्यसेन की चार साख्युं (पीढी ) का वर्णन करी
प्रताप सेन : सूर्य सेन कू भुला कुंवर प्रताप सेन अपण बड़ा भैजी क बान लक्ष्मण को जन आज्ञाकारी थौ
देव सेन : देव सेन बि अपण ददा बुबा क तरां बीर अर शिव भक्त थौ
रतन सेन अर उत्तराधिकारी (1390-1420)
रतनसेन अर उत्तराधिकारी : रतन सेन अर वैका उत्तराधिकार्युं समौ १३९०-१४२० का माने जांद अर यूँ राजाओं क राज पच्छमी गढवाल ही थौ .तैमुर लंग न यूँ को राज पर चढ़ाई करी थै .
देवसेन : देवसेन रतनसेन को वंशज थौ
तुगलक उत्तराधिकारी तैं शरण : तुगलकों पर जब मुगलों न आक्रमण करी त देव सेन या रतन सेन न फिरोज तुगलक का बेटा मुम्मद खां तैं शरण दे छे
Reference: Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas -3 ( History of Uttarakhand - 3
History of Garhwal, History of Kumaun )
बकै खंड 25 मा बाँचो
To be continued in 25th Part

गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक )फड़क -25
गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 25
Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -25
भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
तुगलक का समौ का पूरबी गढवाळ का रज्जा
तुगलक समौ पर पूरबी गढवा ळ मा तौळ लिख्यां रज्जा छाया :
वत्सराज (बहरूज़ ) , श्रीधर : यूँ का राज 1390 -1440 ई. बताये जांद
जगतपाल रजवार : जगतपाल रजवार को राज समौ तकरीबन 1440 - 1460 ई. माने जांद
जितपाल, आनंद पाल : जितपाल, आनंद पाल को राज कू समौ 1460 -1500 ई. माने जांद
श्रजयपाल : श्रजयपाल को राज को टैम 1500 -1548 ई. माने गे
सत्यनाथ सम्प्रदाय : ये समौ पर गढवाल मा गुरु गोरखनाथ का सत्यनाथ शाखा को प्रभाव ह्व़े गे छौ
Reference: Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas -4 ( History of Uttarakhand - 4
History of Garhwal, History of Kumaun )
बकै खंड 26 मा बाँचो
To be continued in 26th Part
गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक )फड़क -26
गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 26
Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -26
भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
पंवार बंश को मूल पुरुष अर राज्य स्थापना वर्ष मा घंघतोळ (भरम)
गढवाळ मा पंवार बंशी राज की स्थापना कब अर कैन कार याँ पर क्वी बि इतिहासकार एकरायी नी च.
इतिहासकारुं मा तौळ क कुछ आधार छन :
भोग दत्त की जनश्रुति ; या जनश्रुति लिखीं च अर सबसे पुराणी जनश्रुति माने जान्द. य़ी जनश्रुति क हिसाब से अहमदाबाद कू बासिन्दा व्यवसाय की खोज मा
भोगदत्त अपण भुला सेज्दत्त क दगड श्रीनगर आये अर चांदपुर रज्जा क इख नौकरी करी फिर वैन चांदपुर राजा की गद्दी छीनी अर राजा बौणि गे .
पैथर वैन हौरी बि गढी जीतें. 900 साल उपरान्त भाग दत्त का 15 वां उत्तराधिकारी अजेयपाल ह्व़े अर तिहातरवीं पीढ़ी मा प्रद्युम्न शाह ह्व़े
भौन पाल की जनश्रुति : भौन पाल की जनश्रुति क हिसाब से भौनपाल धारा नगरी को छौ अर हरिद्वार ऐका खेती करदो छौ. एक जोगी क प्रेरणा से वैन गढवाल का बावन
गढीयों जीतिक पंवार बंशी राज की स्थापना करी
कनक पाल की अनुश्रुति : कनक पाल की अनुश्रुति क हिसाब से गुजरात बिटेन कनकपाल गढ़देश आई छौ , वैकी मृत्यु 699 ई मा ह्व़े सतरवां बंशज अनंतपाल की
राजधानी मलुवाकोट, एकीसवाँ बंशज विक्रम शाह की राजधानी अम्बुवाकोट अर चौबीसवां बंशज सोनपाल की राजधानी भिलंग घाटी मा छे.
सोनपाल न अपणी बेटी क ब्यौ धारा नगरे क राजकुमारकनक पाल को दगड करी अर वै तैं अपणो उत्तराधिकारी बणाय़ी
अगने बाँचो पंवार रज्जों की नामावली
Reference: Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas -4 ( History of Uttarakhand - 4
History of Garhwal, History of Kumaun )
बकै खंड 27 मा बाँचो
To be continued in 27th Part

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