गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक )फड़क -17
गढ़वाल कि विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 17
Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -17
भीष्म कुकरेती ( Bhishm Kukreti )
यशोवर्मन कु राज मा उत्तराखंड (725-752)
यशोवर्मन: तुक्का अर कुछ काव्य साहित्य क हिसाब से इन बुले जान्द बल यशोवर्मन (कान्यकुब कु राजा ) न उत्तराखुंट पर राज करी थौ. ह्व़े क्या छे बल तिब्बती राजा न नेपाल जितणो परांत गढवाल-कुमाऊं पर आक्रमण करी दे अर काब्य्कुब्ज कु राजा यशोवर्मन न तिब्बती राजा तैं लड़ाई मा हरे दे छौ अर कैंतुरा राजा /प्रशाशक मसंतन या वसन्तं तैं राज करणों मुख्त्यार बणे दे .
बकै खंड 18 मा बाँचो
To be continued in 18th Part ..
Reference: Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas -3 ( History of Uttarakhand - 3
History of Garhwal, History of Kumaun )
बकै खंड 18 मा बाँचो
To be continued in 18th Part ..
गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक )फड़क -18
गढ़वाल कि विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 18
Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -18
भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
कार्तिकेय का कत्युरी -राजवंश (732-1000 AD)
उन त इतिहासु जणगरों इकमत नी च बल कार्तिकेय तैं जोशीमठ का नजीक माने जाओ या कुमाऊं का कत्युर उपत्यका तैं. पण एक बात जरुर छ एक दें सरा उत्तराखुंट पर
कैंत्युराऊं राज छौ
कैंत्युराओं क तीन परिवार
कैंत्युराओं अभिलेख ( जोशीमठ, बागेश्वर, , पांडुकेश्वर , बालेश्वर, कालीमठ अर बडापुर से पता चलद बल एकी राजवंश का तीन परिवारों न न्याड ध्वार अपणी राजधानी बसै थौ अर राज करी थौ
शक- कुषाणों से सम्बन्ध : पुराण लिख्वार (इतिहास लेखक) कनिंघम को मणन च बल कनितुरा शब्द ' कटोर्मन या किटोरान ' से आई. राहुल बोल्दो बल कैंतुरौं सम्बन्ध शक- कुषाणों से थौ
खश जाती से सम्बन्ध : डा डबराल अपणी राय दीन्दन बल कन्त्युरा पैली खश रै होला. ओकले बुलद बल कार्तिकेय राजधानी से कैंत्युरा शब्द बौण.
वसंतदेव की साखी (वंशज) (732-800 AD)
परम भटटारक महाराजाधिराज परमेश्वर वसंतदेव या मसंतदेव या भसंतदेव ( राज्यारम्भ ७३२ ई.) : इन माने जांद बल कन्त्युरा राज की पवाण (शुरुवात) वसंतदेव न लगै थै . वसंत देव धार्मिक वृति अर शौर्य वल़ू रजा छौ . वैन सैत च जोशीमठ को नृसिंह मंदिर की पौ धरी छे (स्थापना की )
राणी सज्यनरा : वसंतदेव की राणी सज्यनरा छे .
परम भटटारक महाराजाधिराज परमेश्वर वसंतदेव को नौनु : ये नौनु को नाम अभिलेखों मा नी च बसपरम भटटारक महाराजाधिराज परमेश्वर की पदवी लिखीं च . यू शिव भक्त थौ
परम भटटारक महाराजाधिराज परमेश्वर खर्पर देव : खर्पर देव वसंत देव को नाती थौ .
परम भटटारक महाराजाधिराज परमेश्वर अधिधज: अधिधज वित्त-विद्या-मान छौ
राणी लद्धा देवी अधिधज की राणी क नौ लद्धादेवी छौ अर वीन्का द्वी नौन्याळ छ्या
त्रिभुवन राजदेव : त्रिभुवन राजदेव कमजोर रज्जा थौ
निम्बर अर वैकी साखी (वंशज ) (800- 876)
निम्बर राजा : निम्बर रज्जा पांडूकेश्वर कु राजा थौ अर धार्मिक गम्भीर रज्जा थौ
राणी नाशुदेवी : निम्बर राजा की अग्रम्हिषी को नाम नाशु देवी छौ
परम भटटारक महाराजाधिराज परमेश्वर इष्टगण देव : इष्ट गण देव निम्बर कु राजकुमार छौ . वैकी द्वी राणी छे . वो अपण तलवार से हाथियुं तैं काटी दींदु थौ
धरादेवी : धरादेवी इष्ट गण देव कि राणी छे
वेग देवी : वेग देवी बि इष्ट गण देव की राणी छे
परम भटटारक महाराजाधिराज परमेश्वर ललितशुरदेव : इष्टदेव कु राजकुमार कु नौ ललितशुरदेव थौ
लयादेवी राणी : लयादेवी ललितशुर देव की राणी छे
परम भटटारक महाराजाधिराज परमेश्वर भूदेव : भूदेव ललित शूर देव कु राजकुमार छौ भूदेव ब्रह्मण भक्त अर बुद्ध-श्रवण शत्रु छौ यानि कि कखी ना कखी वो बुद्ध धर्म को विरुद्ध छौ
सलोणादित्य अर वैकी साखी (वंशज) (876-1000 AD)
सलोणादित्य : सलोणादित्य की राजधानी सुभिक्षपुर छे
राणी सिन्धवली देवी : सलोणादित्य की राणी सिन्धवळी देवी छे
परम भटटारक महाराजाधिराज परमेश्वर इच्छट देव : इच्छ्ट देव सलोणादित्य को राजकुमार थौ
राणी सिन्धुदेवी : इच्छ्ट देव की राणी सिन्धुदेवी छे
परम भटटारक महाराजाधिराज परमेश्वर देशट देव : इच्छ्ट देव कु नौनु देशट देव बामण पूजक अर दानि थौ . वैकी प्रतिहार नरेश से भिडंत ह्व़े छौ जैमा जीत देशट देव की ही ह्व़े . मैदानी खसरों (रिकार्ड) मा इच्छ्ट देव तैं खशाधिपति माने गे
पदमल्ल देवी : देशट देव की राणी कु नौ पदमल्ल देवी छौ
परम भटटारक महाराजाधिराज परमेश्वर पद्मट : पद्मट पराक्रमी रज्जा थौ
राणी दिशाल देवी : पद्मट की राणी दिशल देवी छे
परम भटटारक महाराजाधिराज परमेश्वर पद्मट सुभिक्षराज : इन बुले जांद बल वो बैरी विणास मा कुशल रज्जा थौ. बैर्युं क्ज्यान /राणी कु हरण करण मा उस्ताद छौ अर सलोणादित्य कैंतुरा वंश को आख़री चिराग बि छौ
भट्ट भवशर्मन बामण : भट्ट भवशर्मन बामण सैत च सुभिक्ष राज का आमात्य थौ अर भट्ट रूद्र - भोगा वळी को नौनु थौ
नरसिंह देव : इन माने जांद बल सलोणादित्य कैंतुरा वंश का बाद नरसिंघ देव कैंतुरा न राज सँभाळी थौ अर राजधानी बैजनाथ ल्ही गे छौ
कैंतुरा नरेश चरित्रवान , भड़ , बीर अर जनता का प्रेमी छया तबी त अबी तलक कुमौं अर गढवाल मा कैंत्युरा नचाये जान्दन
कैंतुरा राजाऊं न गढवाल-कुमौं मा तिब्बती राज तैं आण से र्वाक अर मैदानी राजाओं पर बि रोक लगाई
अगने बाँचो शंकराचार्य को गढवाल औण .....
Reference: Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas -3 ( History of Uttarakhand - 3
History of Garhwal, History of Kumaun )
बकै खंड 19 मा बाँचो
To be continued in 19th Part ..
गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक )फड़क -19
गढ़वाल कि विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 19
Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -19
भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
शंकराचार्य (788-820AD) कु गढवाल औण
Arrival of Shankaracharya in Garhwal
शंकराचार्य कु जनम केरल मा कलटी गाँव मा शिव गुरु नाम्बुदिपराद अर विशिष्ठा या सती को ड़्यार ह्व़े . बुबा बाल़ापन मा गुजर गे छौ अर शंकर बाल़ापन मा इ सन्यासी ह्व़े गे छौ
शंकर न बचपन मा ही उपनिषद अर ब्रह्मसुत्रुं ज्ञान ल़े आली थौ . १२ बरस मा कशी मा वैन वेदान्त को प्रचार शुरू करी.
शंकर गढवाल कि तरफ चली जख वैकी मनशा व्यासगुफा मा वेदांत सूत्र लिखणे छे अर ऋषिकेश मा औण पर पता चौल बल पुजारियों न तिबतियों डौर न विष्णु मुरती लुकाई दिनी . शंकर न मुरती को उद्धार करी अर फिर से मन्दिर मा मुरती थर्पी .
बद्रिकाश्रम औण पर पता चली बल तिब्बती लुठेरों डौरन बद्रेश्वर की मुरती नारद कुंड मा लुकायीं च . शंकर ण वा खंडित मूर्ती को उद्धार करी अर फिर से मंदिर मा थर्पी .
शंकर न व्यासगुफा (माणा गौं मथी ) मा ब्रह्म सूत्र, भगवद्गीता, उपनिषदों पर भाष्य लिखी
शंकर न भारत का चरी कूणो मा शृगेरी, गोवर्धन, शारदा अर ज्योतिर्मठ की स्थापना बि करी
शंकर केदारनाथ मा ३२ साल कि उमर मा (८२० ई.) परलोक गेन
शंकरं बद्रिकाश्रम कि पूजा विधान का नियम बि बणेन अर अपनों पैलू च्याला तोटकाचार्य तैं यू काज सौंप.
820 AD--1222 AD तलक बदीनाथ की पूजा अर ज्योतिर्मठ की व्यवस्था आचार्य करदा था . फिर केरल का रावलुं हथ मा या गद्दी आई
820 AD--1222 AD तलक बद्रीनाथ मा तौळ लिख्यान उनीस (19 ) आचार्य ह्वेन जौन बदीनाथ की पूजा अर ज्योतिर्मठ की व्यवस्था करी
तोटकाचार्य
विजयाचार्य
कृष्णाचार्य
कुमारोआचार्य
गरुड़ध्वजाचार्य
विन्ध्याचार्य
विशालाचार्य
वकुलाचार्य
वामनाचार्य
सुन्दरअरुणाचार्य
श्री निवाशाचार्य
सुखनंदाचार्य
विद्यानन्दाचार्य
शिवाचार्य
गिरिआचार्य
विद्याधराचार्य
गुणानन्दाचार्या
नारायणाचार्य
उमापतिआचार्य
शंकराचार्या को भारत मा सांस्कृतिक एकता बणाणो बान बड़ो योगदान च
Reference: Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas -3 ( History of Uttarakhand - 3
History of Garhwal, History of Kumaun )
बकै खंड 20 मा बाँचो
To be continued in 20th Part ..
गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक )फड़क -20
गढ़वाल कि विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 20
Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -20
भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
वैद्यनाथ का कत्युरी राजसाखी (राजवंश 100-1100 )
जु बि वजे रै होली 1000 AD का न्याड ध्वार , कत्युरी राजा नरसिंघ देव अपणो कोट (अपणी राजधानी ) कार्तिकेय बिटेन बैजनाथ ल्ही गे.
इतिहास्कारुं तैं कत्युरी वंश का तीन परिवारून जानकारी मिल्द
डोटी वंशावली : पिथियराजदेव , धामदेव अर ब्रह्म देव
असकोट वंशावळी : प्रीतामदेव , धाम देव, ब्रह्मदेव
पाली वंशावळी : धामदेव , ब्रह्मदेव
जागरुं मा कत्ति राजाओं जागर लगदन
प्रीतमदेव : प्रीतमदेव सैत च नर्सिंग्देव कू वंशज नी छयो अर नरसिंघ देव कू स्व़ार बहार रै होलू . जागरूं मा प्रीतम देव की दस साखुं बिरतांत बुले जान्द
अमरदेव पुंडीर :प्रीतम देव का समौ पर यू हरिद्वार का न्याड धोरा क रज्जा या सामंत छयो अर वैकी बेटी को नाम मोलादेई थौ जैन ब्यौ प्रेतं देव से ह्व़े थौ
राणी मोलादेई : राणी मोलादेई को ब्यौ बुड्या राजा प्रीतम देव से ह्व़े छौ . अमरदेव पुंडीर न अपण राजकुमारी को ब्यौ प्रीतम देव को दगड डौरन करी थौ . राणी मोलादेई बद्रीनाथ बि गे छई .
धामदेव : धामदेव प्रीतम देव को बुद्यांद दें औलाद छे वैकी ब्व़े मोलादेई छे . जग्रून मा धामदेव कि बड़ी बड़ें होंद
ब्रह्मदेव : ब्रह्मदेव धामदेव को उत्तराधिकारी थौ
जगस समवा : जगस समवा न धामदेव अर ब्रह्मदेव की मौ मदद करी छे . ब्रह्म देव न भाभर क्षेत्र समवा की मदद से जीति छे
वीरदेव: इन लगद वीरदेव गढवाळ मा कत्युरा वंश को आखरी रज्जा छौ पन कुमाऊं मा राज राई अर मनराल जात का लोक कन्त्युरा जाती का छन अर वूं कुछ समौ तक कुमौं मा राज करी. नरसिंग देव का वंशजूं राज 1100 AD तलक रै होलू
त्रिभुवन पालदेव की साखी ( वंशज ) (1100 AD- 1223 AD)
रामदत्त त्रिपाठी कि पोथी से वैद्यनाथ - कार्तिकेय मा ११०० बिटेन १२२३ ई तक यूँ राजाओं न राज करी
१- त्रिभुवन पालदेव
२-पता नीच
३- पता नी च
४-उदयपाल देव ( ११५२ ई)
५- अनंत पालदेव (११८१ ई)
६- इंद्र देव ( १२०२ ई)
६ अ - राणी दमयन्ती : दमयंती राणी न चौघाड़पाटा मा एक बग्वान (उद्द्यान) बणे छौ
७- विजयपाल देव (१२१४ ई)
८- लक्ष्मण पाल देव
९- बल्लाल देव ( १२२३ ई.)
गुलण : गुलण (११४३-११४५ ) न द्वारहात अर गोपेश्वर मा मंदिर बणे छ्या
साधुवर देव ; साधुवरदेव न द्वारहात मा बद्रीनाथ मन्दिर निर्माण अर उखमा मा लक्ष्मी जी कि मुरती (११८५) स्थापित करी छे अर गोरिल मंदिर (१२१९ ई) की स्थापना बि करी छे
मण देव : मण देव न केदारनाथ मार्ग पर नालाचट्टी मा एक मन्दिर (१२४२) बणे छौ
माधवा नन्द को गढवाळ औण
वैष्णव धर्म प्रवर्तक ११५३ का करीब बदरीनाथ मन्दिर आई छया
कैंतुरा जागर अर ये रणभूत जागर का नामी मनिख मनख्याणि
कालू भंडारी : यू म्ल्लूं मा श्रेष्ठ मल थौ अर ध्यान्माला क कारण लड़ाई करणों गे
ध्यान माला ; ध्यान माला राजा धर्म देव कि बेटी छे अर कालू भंडारी क मोरण क बाद सती ह्व़े छे
रूपु गंगसारा : रूप गंगसारा गंगाडी हाट को राजकुमार छौ अर ध्यान माला दगड ब्यौ बान धर्म देव की राजधानी आई.रूपु गंगसारा तैं कालू भंडारी न मारी
लूला गंगोला : लूला गंगोला रूपु गंगसारा को भुला छौ अर वैन धोका मा कालू भंडारी तैं मारी
Reference: Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas -3 ( History of Uttarakhand - 3
History of Garhwal, History of Kumaun )
Dr Shiva Nand Nautiyal, garhwal ke Nrity Geet
बकै खंड 21 मा बाँचो
To be continued in 21st h Part ..
गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक )फड़क -21
गढ़वाल कि विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 21
Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -21
भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
उत्तराखंड पर अशोकचल्ल को अधिकार
1170-1209 AD गढवाल अर कुमाऊं पर अशोकचल्ल को अधिकार रै .इन लगद अशोक चल्ल नेपाल को वासिन्दा थौ
क्राचल्ल को उत्तराखंड पर अधिकार
नेपाल विजेता क्राचल्ल न कीर्तिपुर (वैद्यनाथ) का राजौं तैं ध्वस्त करी अर उत्तराखंड पर राज कायम करी. क्राचल्ल न उत्तराखंड पर सामंतों बल पर राज करी .
क्रा चल्ल का साम्न्तुं नौ इन च :
१-बल्लालदेव मांडलिक
२- जय सिंह मांडलिक
३- हरि राज राउत
४- अनिलादित्य राउत
५- चन्द्र देव मांडलिक
६- विनय चन्द्र मांडलिक
७- विद्या चन्द्र मांडलिक
८- याहड देव मांडलिक
९- जीहल देव मांडलिक
१०- मूस देव मांडलिक
अगने ८० गढुं को ब्यौरा
Reference: Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas -3 ( History of Uttarakhand - 3
History of Garhwal, History of Kumaun )
बकै खंड 22 मा बाँचो
To be continued in 22nd Part ..
गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक )फड़क -22
गढ़वाल कि विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 22
Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -22
भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
गढवाळ मा 52 से बिंडी गढ़ी (1250-1450 AD)
क्राचल्ल या वैक उत्तराधिकार्युं राज खतम हूणओ उपरान्त गढवाळ-कुमाऊं मा जगा जगा छ्व्ट छ्व्ट राजा ह्व़े गेन जौन तैं गढ़पति बुले जांद थौ. असल मा य़ी गढ़पति अपण अपण क्षेत्र का सूबेदार/सामंत/मांडलिक छ्या जु बाद मा सोतांतर ह्व़े गेन.डा शिव प्रसाद न जख ८० का करीब गढ़पत्युं का गढ़ूं नाम बताएं उख डा चौहान न १२६ से बिंडी गढ़ूं नाम देनी .असल मा य़ी गढ़पति अपण अपण क्षेत्र का सूबेदार/सामंत/मांडलिक छ्या जु बाद मा सोतांतर ह्व़े गेन.
गढ़ूं नाम अच्काल का परगना
गढ़ तांग , पैनखंडा खाड, दशौली टकनौर, पैनखंडा, दशौली
बधाण, चांदपुर, चौड़ ,तोप, राणीगढ़, लोहाब, धौना, बनगढ़, कांडा, गुज्डू , साबली, बधाण, चांदपुर, मल्ला सलाण
उल्का, एडासु, देवल, नयाल, कोल्ली, धौना, , बन , कांडा, चौन्दकोट देवलगढ़ बारहस्यूं , चंद्कोट, देवलगढ़ बारहस्यूं , चंद्कोट
माबगढ़, बाग़, अजमेर, श्रीगुरु तल्ला सलाण
मवाकोट, गड़कोट, भैरों गढ़, घुघती गढ़ , ढागु गढ़ , जोर, बिराल्टा, सिल गढ़ , गंगा सलाण, भाबर, नरेन्द्रनगर, देहरादून
बदलपुर, लालढांग, चांडी, सान्तुर, कोला, शेर, नानोर, नाला, बीरभद्र, मोरध्वज,
पत्थर गढ़ , कुजणी, रत्न, कवीला (कुइली) , भरपूर,
जोर, बिराल्टा, सिल गढ़, मुंगरा, सांकरी, बडकोट, डोडराक्वांरा , रामी जौनपुर, रवाईं. महासू, शिमला
नागपुर, कंडारा, नागपुर
उल्का, एडासु, देवल, नयाल, कोल्ली, धौना, , बन , कांडा, चौन्दकोट देवलगढ़ बारहस्यूं , चौदकोट
उप्पू,मौल्या, रैन्का, बागर, भरदार, संगेला पश्चमी पठार, (टिहरी)
यांक अलावा गाथाओं मा
मलुवाकोट, अमुवाकोट, कल्निकोट, रामोलिगढ़, लोहानिगढ़, कत्युर गढ़ , कोककोट, कलावती कोट, नंदनी कोट, धरनी गढ़ , मलसिगढ़, कोतली गढ़, भानी कोट, चांडी कोट, जण गढ़युं को नाम बि आन्दन
सजनसिंह : सजनसिंह नागपुर गढ़ को आख़री गढ़पति थौ
दिल़ेबर सिंह : लोहाब गढ़ को गढ़पति छौ
प्रमोद सिंह : इन बुले जान्द बल प्रमोद सिंह लोहब गढ़ को गढ़पति छौ
देवल : इन बुले जान्द बल देवल न देवल गढ़ की स्थापना करी छे
घिरवाण : इन माने जान्द बल बागर गढ़ मा घिरवाण खशपत्युं राज राई
कफ्फु चौहान : भड़ /बीर कफ्फु चौहान उप्पुगढ़ को गढ़पति राई
भूप सिंह : इन बुले जांद बल भूप सिंह जौनपुर गढ़ को आखरी गढ़ पति थौ
Reference: Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas -3 ( History of Uttarakhand - 3
History of Garhwal, History of Kumaun )
बकै खंड 23 मा बाँचो
To be continued in 23nd Part ..
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments