गढवाळऐ बड़ा आदिम (मलारी काल से लेकी अब तलक: फड़क - 4 )
(गढवाल कि विभूतियाँ : मलारी युग से आज तक भाग- 4 )
( Great Personalities of Garhwal from Malari Era to till Date Part - 4 )
भीष्म कुकरेती
गढवाळऐ बड़ा आदिम (मलारी जुग बिटेन अब तलक: फड़क - 5 )
(गढवाल की विभूतियाँ : मलारी युग से आज तक भाग- 5 )
( Great Personalities of Garhwal from Malari Era to till Date Part - 5 )
गढवाळऐ बड़ा आदिम (मलारी जुग बिटेन अब तलक: फड़क - 6 )
(गढवाल की विभूतियाँ : मलारी युग से आज तक भाग- 6 )
( Great Personalities of Garhwal from Malari Era to till Date Part - 6 )
( ये लेख कु उद्देश्य नवाड़ी साख/छिंवाळी/न्यू जनरेशन तैं गढवाळी भाषा मां अपण ऊँ लोकुं तैं याद कराण जौंक कारण आज गढवाळ च , जौंक वजै से आज हम तैं घमंड च / गर्व च )
गढवाळऐ कुलिंद राज ( 118- B.C to 175 A .D .) का नामी गिरामी मनिख-मनख्याणि (Great Garhwalis 118-22 B.C)
काद ; काद गढ़वाळ कु रज्जा छौ अर कनैत बंश ये या यीं जात कु नाम से पोड़
कदैक शाखा : इन बुले जांद बल कुलिंद की एक शाखा कु नाम कदैक ह्व़े जन से कनैत जाती क नाम पोड़ . कनैती राज यमुना बिटेन काली नदी, सहारनपुर तक थौ
खरोष्ठी अर ब्राह्मी लिपि : कनैती राज मा खरोष्ठी अर ब्राह्मी लिपि छे अर सहित च वैबरी कुमौं अर गढवाल राजनीति क हिसाब से एकी छ्या
अगरज : अगरज एक कनैती रज्जा छौ
गागी : गागी एक कनैती राणी छे
धनभुती : एक कनैती रज्जा थौ
वाछी : धनभुती की राणी क नौ वाछी थौ
नागरखिता : नागरखिता धनभुती की राणी छे
बाधपाल : बाधपाल एक कनैती रज्जा थौ
धनभुती दुसर : धनभुती दुसर एक कनैती रजा थौ
बलभूति : बलभूति एक कनैती रज्जा थौ
वाछी : वाछी बलभूति की राणी छे
विश्व देव : विश्व देव कनैती रज्जा छौ अर अमोघभूति क बुबा थौ
कौत्सी: कौत्सी विश्व देव की राणी छे
अमोघभूति (87-165 AD ) :इन माने जांद बल ए समौ क बीच मा मा कनैत रज्जा अमोघभूति न या हौरी बि कनैती ठकुरयों न गढवाल कुमाऊं मा राज करी थौ अर अमोघभूति भौत बड़ो रज्जा ह्व़े.
वाछी : अमोघभूति की राणी वाछी छे
मगभत : मगभत एक कनैती रज्जा छौ
शिव दत्त : शिव दत्त एक कनैती रज्जा छौ
हरिदत्त : हरिदत्त एक कनैती रज्जा छौ
शिवपालि : शिवपालि कनैती रज्जा छौ
भद्र मित्र : भद्र मित्र एक राज कर्मचारी थौ जु देहरादून मा चुंगी उग्राणि करदो छौ
शक-पह लव अधिकार जुग का नामी गिरामी गढवाळी
शकादित्य : बद्री दत्त पांडे कु लिखण च बल उत्तराखंड कु रज्जा शकादित्य न मौर्य बंश को आख़री रजा राजपाल तैं मारी थौ
कुशाण जुग मा नामी गिरामी गढ़वाळी )
विम : इन बुले जान्द बल कुशाण नरेश विम कु राज मायापुर (हरिद्वार ) पर अधिकार करी थौ
कुशाण रज्जा कु मुख्त्यारी रजा (क्षत्रप) एधुराया अधुजा : क्वी क्वी इन बुल्दु बल एधुराया अधुजा उत्तराखंड पर कुशाण बंश कु क्षत्रप ह्वेक राज करी
कार्तिकेय की जन्मभूमि उत्तराखंड : डा शिव प्रसाद क हिसाब से कार्तिकेय अर गणेष कि जन्म भूमि उत्तराखंड च
वासुदेव : वासुदेव न उत्तराखंड पर २०६-२५० तक राज करी
छत्रेश्वर, भानु, रावण : भैड़गाँव (डाडामंडी पौड़ी ग ), देहरादून, बेहत से प्राप्त सिक्कों से पता चलद बल कबि गढवाळ की यीं अडगें मा छत्रेश्वर, भानु, रावण रज्जुं राज थौ (240 से 290 ई ) ई रज्जा कुशाण नि छया
शिव भवानी अर शीलवर्मन रज्जा : देहरादून का अभिलेखों से पता चल्दु बल शिव भवानी पोण बंश का अर शीलवर्मन रज्जा राजाओं न देहरादून पर राज करी थौ अर दुयूंन अश्वमेध यग्य करी छौ (290 - 350 ई..) ई रज्जा कुशाण नि छया
राजा मात्रिमित्र : काशीपुर से मिलयां सिक्कों क अनुसार (अनुमान) मात्रिमित्र उत्तराखंड कु एक रज्जा छौ (सैट च वैकी राजधानी गोविषाण छे (मित्र बंश 250 - 290 AD .
राजा पृथ्वी मित्र : इन लगद प्रिथवीमित्र मित्र बंश कु रज्जा छौ
अगने बाँचो ....फडक - 7
(This write up is not historical details but just to inform about Great Garhwalis and is based on book Uttarakhand ka Itihas by dr shiv Prasad Dabral, History of Uttarakhand by Dr Shiv Prasad Dabral )
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