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चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट ::: भीष्म कुकरेती
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चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट ::: भीष्म कुकरेती
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मीन चिर सुंदरी भुंदरा बौ कुण फोन लगाई।
चिर सुंदरीभुंदरा बौ -. पछ्यण क्या च। ह्वेल त अपणी ब्वे बुबाक ही ना।
मि -पहचान कौन ?
भुंदरा बौ -. जिओ फोन लाण से , आवाज बदलण से भीषम कीषम त नि ह्वे जांद ना।
मि -मानी ग्यों हां।
भुंदरा बौ -. अच्छा इन बोल इन कुबगत पर फोन ?
मि - ह्यां ये बौ !मि तैं कुछ ख़ास लिखणौ प्रिगनेंसी पेन उठी गे।
भुंदरा बौ -. औ इन बोदी कि लिखणै बड़ी जोर की झाड़ा लग गे।
मि -द्वी एकि ह्वे।
भुंदरा बौ -. कै विषयै जोर की झाड़ा लग ?
मि - बीरांगना तीलू रौतेली , भड़ माधो सिंह अर बाबा साहेब अम्बेडकर पर लिखणो प्रिगनेंसी पेन उठ्युं च।
भुंदरा बौ (नाराज भौण )-. त लेखी लेदी। मीन त रोक नी च।
मि - ना ना पर तेरी सहायता चएणी च।
भुंदरा बौ (व्यंग्यात्मक स्वर )-. अरे तुम शहर वळुं तैं हम गंवड्यों से क्यांकि मदद चयेंदी ?
मि - वु क्या च कि तुम गाँव वळुं तीलू रौतेली बारा मा क्या धारणा च। माधो सिंह भंडारी से क्या प्रेरणा लींदन गाँव वळ अर ..
भुंदरा बौ (करकस ) -. अर क्या ?
मि - अर बाबा साहेब आंबेडकर कु कथगा प्रभाव च गाँव मा ?
भुंदरा बौ -.एक बात बथादि बल तीलू रौतेली पर अब तक कथगा लिखे गे होलु ?
मि - सैकड़ों दैं लिखे गे होलु, चालीस पचास टेप अर फिल्म बणीं छन , नाटिका लिखे गेन , नाटक खिले गेन. अर दुसांत जिना मूर्ति बि लगीं च।
भुंदरा बौ (कसैली भौण )-. औ। अर बागण जयोरु बारा मा आज तक कथगा दैं लिखे गे या समिण गांवक रिखणी जयोरु बाराम क्या क्या लिखे गे ?
मि - बागणी दादी त मेरी ख़ास झड़ बूड ददि छे।
भुंदरा बौ -. पता बि च तेरी बूड ददि नाम कुंती से बागणी किलै पोड़ ह्वाल ?
मि - उ उ त उ ...
भुंदरा बौ (गुस्सा ) -. उ उ क्या। मि बथांद जब चार रोहिला गुज्जर नागराजा मंदिर लुठणो ऐ छा तेरी बूड ददिन अकेला थमळिन तीन रोहिलाओं तै छणकै छौ कि ना ? अर तिसर भाजी गे छ्याइ कि ना ? अर फिर वैक बाद कबि बि रोहिला गुजर हमर गाँव त राइ दूर हमर क्षेत्र मा धावा बुलणो कबि नि ऐन। झूठ कि सच ?
मि - हां एक गीत बि लग छौ बल -- कुंती बांद ब्योली बगणी बण गे, कुंती छोरी बगणी बण गे। थमळी लेकि चमुंडा बण गे ....
भुंदरा बौ (ओज मा )-. अर इनि बिधाता जयोरुन रिखणी मारी छे तो रिखणी नाम पाई कि ना ?
मि -हाँ
भुंदरा बौ (वक्रोक्ति ) -. अर कांडै गांवक कुद्या सौकारक नौनौ नाम सट्टी सौकार किलै पोड़
मि - नाम त धनसिंग छौ पर एक रौल का ऊपर बीस हाथक कुंळैं डाळ कोरिक कूल लगाइ उंन अर अपण जमीन पण चर कार। चार पांच साल लगिन कुंळैं डाळ लाण , कुर्याण अर रौलक द्वी धारुंम धरणम। आज कांडै गाँव पणचर गाँव च। गीत बि च धन हो रे धनसिंग , रगड़ तै स्ट्यण बणाई।
भुंदरा बौ -.तीन के दैं पुरिया नैथाणी पर लेख लिखी छौ। लिखी छौ कि ना ?
मि - हाँ।
भुंदरा बौ -.गुरख्याौं तै लंगूरगढ़ जितद जितद कथगा साल लगिन ?
मि -बारा साल।
भुंदरा बौ -. यूं बारा सालम लंगूर , शीला , डबरालस्यूं , अजमेर, बदलपुर अर ढांगू का लोगुं गढ़वाल बचाणम , रक्षाम क्वी भूमिका बि रै होली कि ना ?
मि - राजा से अधिक त सलाण्यूं भूमिका छै।
भुंदरा बौ (वक्रोक्ति ) -. अर हमर सलाणम शिल्पकारुं क्या क्या आंदोलन चल ह्वाला बगैर आंबेडकर की प्रेरणा से ?
मि - आर्य समाज का जनेऊ आंदोलन, आर्य समाज प्रेरित डोला पालकी आंदोलन , कुछ जगा जमीन हक्क आंदोलन।
भुंदरा बौ (रौद्र ) -. क्या बागणी अर रिखणी जयोरुं योगदान तीलू रौतेली से कम छौ।
मि -नै।
भुंदरा बौ (रौद्र )-. क्या सलाण वळुं क्षेत्र रक्षा मा लोदी रिखोला से कम छौ ?
मि -न बिलकुल बि ना।
भुंदरा बौ -. क्या धनसिंग कु योगदान अपण हिसाब से माधो सिंह भंडारी से कम छौ
मि - ना ना।
भुंदरा बौ (कसैली भौण ) -. तो साहित्यकार माराज ! वी आटु दुबर किलै पिसणु छे जु पैली पिस्युं च ?
मि - ऊं उं
भुंदरा बौ -. कूं कूं नि कौर अपण क्षेत्र का तीलू रोतेल्यूं पर खोज कौर , अपण क्षेत्र का माधो सींगों की खोज कौर , अपण क्षेत्र का लोदी रिखौलों तै जाण , अपण क्षेत्र का आंबेडकरूं कार्य तै समझ। फिर यूं तै सब तै बताओ। जौं पर साहित्य उपलब्ध च वां पर त क्वी बि आम लिख्वार लेखी सकद , असली बुद्धिमान लिख्वार तो वु हूंद जु छुप्यां हीराओं तैं दुनिया समिण लावो।
मि - मि धन्य ह्वे ग्यों मेरी विदुषी गार्गी ! चलती क्या खंडाला ?
भुंदरा बौ -.अपणी सैणि तै लिजा खंडाला। मेकुण त मयारु गाँव प्यारु।
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16/11 / 2017, Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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