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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, December 3, 2017

गढ़वाळम पैल बोर नि हूंद था, अब हूण मिसे गेन

(Best  of  Garhwali  Humor , Wits Jokes , गढ़वाली हास्य , व्यंग्य )
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 चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती    
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     मीन डा डबराल का उत्तराखंड इतिहास का सब खंड बाँचिन पर कखि  नि पौढ़  बल गढ़वाळम लोग बोर (हिंदी मा ऊबना ) हूंद छा।  डा डबराल की खोज अनुसार गढ़वळि मर्द महा अळगसी हूंद छा पर सन 47 तलक मजाल च जु  गढ़वळि कबि बोर ह्वे ह्वावन धौं। 
    मीन म्यार बड्या बडा  जी ,  अपण बडा जी , अपण बड्या ददि जी से कबि नि सूण बल हमर गाँव वळ क्वी भाग्यवान या अभागी , अभागण कबि  सुपिन मा बि बोर ह्वे हो धौं।  
     पता नी  मी बि जब तलक गढ़वाळम रौं कबि बि बोर नि होऊं ना ही म्यार उमराक दादा -भाई या काका -ब्यटा बोर ह्वे ह्वाल धौं। 
      असल मा तब गढ़वाळम बाछी हूंदी छै त बोर हूणै जरूरत नि छै।  कुछ काम नि  हो त छन्नी या ड्यारम बंधी या खुली बाछी का कांध  मलास ल्यावो।  फिर यदि बाछी नी बि मीलली  त कुत्ता क पूछ इ मरोड़ दींद छा अर एकाध घंटा कुकरौ क़लकळू किर्राट से आनंद ले लींद छा।  
     उन गढ़वळयूं  बोर (ऊबना ) नि हूणो पैथर हौर बि कारण रैन किन्तु द्वी मुख्य कारण छा बल। 
     सबसे बड़ो कारण छौ बल गढ़वाळी मा ऊबना शब्द इ नि छौ।  हिंदी क्षेत्र का लोखार ऊबदा था बल ऊंक शब्दकोश मा ऊब शब्द थौ।  अब जब कैमा कुछ ह्वावो तो उ प्रयोग कारल कि ना ? जब तक हमम नर्यूळ  नि छा त हम जणदा  बि नि छा बल कच्चु नर्यूळ साग भुज्जी मा बि प्रयोग करे जांद।  अब कच्चो नर्यूळ उपलब्ध च त गढ़वाळम बि नर्यूळो चटणी बणन शुरू ह्वे गे।  ऊब , ऊबना शब्द हमर शब्दावली मा नि छौ  त गौक सौं हम कबि बि ऊबदा नि छा। गढ़वाळी मा उबण शब्द च , उब शब्द च  अर जौंका अर्थ हूंद सुकण या सुक, उबे गे को अर्थ हूंद सूख गया ।  तो कै तैं पड़ीं छे कि वु सूको या ड्राई हो।  
एक हैंक शब्द च उब्ब या उबैं अर वैक अर्थ च मथि , बेड़ या ऊपर की ओर।  तो गढ़वळि ऊबदा नि छा।  हर समय मजा से रौंदा छा। 
      जब तलक गढ़वळयूंन  अंग्रेजी नि सीख तब तक गढ़वळि जणदा इ नि छा कि मनिख बोर बि हूंद। गढ़वळयूंक बोर नि हूणो दूसर कारण च बल हमर शब्दावली मा 'बोर ' , 'बोरिंग ', 'बोरडम' जन उटपटांग शब्द नि छा।  
  गढवाळी मा ऊब या बोर शब्द का नजिकौ  शब्द च बिखळाण।  किन्तु बिखळाण शब्द ऊब या बोर का सौत्या स्वार -भ्वारौ शब्द च।  गढ़वळि मा बिखळाण स्वाद तक सीमित च अर कमी से संबंधित शब्द नी च अपितु अधिकता से संबंधित च।  रोज एकि चीज खावो तबि बिखळाण पड़दी।  अर एकि चीज तबी खयानद जब वा चीज भौत ह्वावो।  
      ऊब याने बोर याने समय काटणै परेशानी।  किन्तु हमम समय काटणो कुण भौत सा टुटब्याग छा जन कि कैकि जड़ काट द्यावो , छ्वीं छ्वीं मा कैक बि नाक काटी द्यावो या कुछ नी तो पीठ पैथर कैकि काट ही कौर ल्यावो। कुछ नी त विधवा काकी क वाड इ सरकै द्यावो।  उन गढ़वाल की सनातनी संस्कृति याने कखड़ी चोरी वास्तव मा समय काटणो एक साधन छौ। हमम ऊब अर बोर शब्दावली नि छे त हम ऊबदा बि नि छा ना ही बोर हूंदा छा।  किन्तु जड़कट्वा शब्द च तो हम जड़ काटण मा आज बि सर्वश्रेष्ठ जड़कट्वा छंवां। 
     फिर हम समय काटने के लिए शुरू करो अंताक्षरी लेकर हरी का नाम बी सीकी गे छा तो समय काटणो परेशानी नि राई। 
 
      अब शहर आण से अर हिंदी -अंग्रेजी सिखण से हमर डिक्सनरी मा ऊब अर बोर द्वी शब्द जुड़ गेन त हम शहर या गांवका सब गढ़वळि अब ऊबण मिसे गेवां अब हम भौति ज्यादा बोर हूण लग गेवां।  खासकर जब हमर भाई बंध हमर ड्यार आंदन त हम भौति बोर हूंदा अब।  अब हम स्वार भारों से बोर हूंदा पर पैल  हम भला छा तब हम बोर ना अपितु रिस्तेदार , भाई बंधों से चिरड्यांद छा।  चिरड़ शब्द हमारी अपणी शब्द संपदा छै तो हम चिरड्यांद छा।  हमम जु ह्वाल वेको ही तो इस्तेमाल करला कि ना ?
       जब बिटेन हमर डिक्सनरी मा बोर अर ऊब शब्द ऐन हम तै यूं बैर्यूं तैं भगाणो बान भौत सा खटकर्म करण पड़दन।  बोरडम या ऊब हटाणो सबसे उमदा, नायब  अर कारगर तरीका च दारु पे ल्यावो। 
       तो यदि गढ़वाळयूं दारु छुड़ाणै त गढ़वळयूं शब्दकोश से ऊब अर बोर शब्द हटाण पोड़ल।  जैदिन ऊब अर बोर शब्द गढ़वळि शब्दकोश से हट जाला  तैदिन समझो कि दारु शराब बंद। 
       चलो मेरी झकझक सुणी तुम बि बोर ह्वे गे ह्वेल्या मि बि बोर ह्वे ग्यों।  मि त ब्याळै बच्युं अद्धा खुलण वाळ छौ।   तुमर क्या विचार च ?
      
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11/11 / 2017, Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India

*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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    ----- आप  छन  सम्पन गढ़वाली ----
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