जैविक खेती (Organic Farming )
डा. बलबीर सिंह रावत
जैविक खेती का प्रचलित अर्थ , जो आज समझा जाता है, वो है कृत्रिम उर्वरकों/रसायनों और कीट/फफूंदी नाशक जहरों से मुक्त व्यावसायिक कृषि उत्पादन।लेकिन जैविक खेती का उद्द्येश्य पर्यावरण, मिट्टी, जल और वायु को खेती में प्रयोग होने वाले रासायनिक पदार्थों के द्वारा हो रही हानि से बचाना है। सब से अधिक हानिकारक हैं नाइट्रोजन वाले कृत्रिमउर्वरक,जिनके नाइट्रेट के घुलनशील पदार्थ भूगर्भीय जल में जमा हो रहे हैं, मिट्टी के अंदर के जीवाणु संसार को धीरे धीरे समाप्त करके उसकी नैसर्गिक उर्वरता को घटाते जा रहे हैं और इन नाइट्रेटों को हवा में भी उत्सर्जित कर रहे हैं। इस प्रकार की स्थायी हानि से बचने के लिए जैविक खेती ही एक मात्र विकल्प है।
जैविक खेती का उद्द्येश्य एक ऐसे एग्रो -इको-सिस्टम को सृजित करना है जिस के सुप्रभाव से संबंधित विभिन्न समुदायों,जैसे मिट्टी के अंदर का सूक्ष्म जीव संसार, वातावरण, वनस्पति,पशुधन और मानव की उत्पादकता अनुकूलतम समन्वयित स्तर पर आ सके। इस के लिए कृत्रिम उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग न्यूनतम करते हुए बंद करन होता है और मिट्टी की उर्वरक शक्ति को बढ़ाने के लिए जैविक खाद, जैसे वर्मी कम्पोस्ट,हरी खाद, बायोगैस स्लरी ,गोबर की खूब सड़ी हुयी खाद, जैविक कल्चर (नाइट्रोजन फिक्स करने जीवाणु ) पिट कम्पोस्ट,मुर्गीखाने की खाद का उपयोग किया जाता है। साथ साथ फसल चक्र भी यथोचित रखना होना है ताकि हर प्रकार के पौधे विभिन्न प्रकार की खुराकें मिट्टी से लेते रहैं।
कृमि और फफूंद को हटाने के लिए गौ मूत्र, लकड़ी की राख, नीम पत्ती /खली, करड की खली का घोल, मट्ठा , मिर्च/लहसुन का घोल उपयोग में लाया जाता सकता है।
सयुंक्त राष्ट्र के ऍफ़ ये ओ की सिफारिश है की एक फसली कृषि को छोड़ का बहु फसली कृषि होनी चाहिए, छोटे और मध्य स्तर के किसान जैविक खेती से अपने परिवार, पशुधन और व्यापार से आय अर्जित करने के लिए जैविक खेती अपनाय, क्यों की इस से सबसे पहिले तो उनके खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार आएगा, मिटी की नमी बनाये रखने की शक्ति बढ़ेगी ,भूक्षरण घटेगा , लाभदायक फसल चक्र को अपनाने से हमेशा, हर मौसम में कुछ न कुछ उपज संभव होगी तो स्थानीय, क्षेत्रीय कृषि उपजों की मांग पूरी करने के लिए व्यावसायिक खेती और दूध, अंडे, मुर्गी उत्पादन अधिक लाभकारी होंगे क्योंकि एक तो फलसों की उत्पादकता बढ़ेगी और दुसरे लागत में कमी आएगी तीसरे भूमि/मिट्टी का स्थायी सुधार हो पायेगा।
इस लिए जैविक खेती को लम्बे काल के लिए किसाम मित्र अधिक समझना चाहिए और लाभ कमाने का जरिया कम. . लाभ कमाने के लिए जैविक खाद्य पदार्थों का प्रमाणीकरण करवाना जरूरी होता है, जिसका प्रमाण पत्र संबंधित विभाग,खेती के तरीकों की समुचित जाँच के बाद ही देता है। जिन किसानों ने व्यापर के लिए जैविक खेती करनी है उन्हें अपनेब्लॉक और कृषि विभाग से इस विषय में पूरी जानकारी लेने के और जैविक खाद उत्पादन का प्रशिक्षण लेने के बाद ही इस व्यवसाय में पदार्पण करना चाहिए। व्यवसाय इस लिए लाभ दायक है की ऐसे पदार्थ कुछ ऊंची कीमत पर बिक जातेहैं।
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments