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फेसबुक माँ घट्ट /घराटौ फोटो अर इन्नोवेसन इन गढ़वाळ
खरोळया , खुचर्यट्या, खमखमो : भीष्म कुकरेती
18/1/15, Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
Garhwali Vyangya , Garhwali Hasya,
परसि मि अपण गौं मा छौ अर मीन अपण गांवक उजड़ीं तिबार्युं फोटो फेसबुक मा क्या डाळि कि फेसबुक का प्रवासी फेसबुक्या पहाड़ी गाँव की उजड़ती व्यवस्था, उजड़दा कूड़ों अर पलायन पर इथगा रोइन कि ऊँका आंसू फेसबुक से बगद -बगद म्यार गौं तक पौंछि गेन। भूको तैं एक कत्तर रुटी मिल जावो अर फेसबबुक का पोस्टकार तैं Likes व कमेंट्स मिल जावन तो वो अफु तैं स्वर्गवासी समजण मिसे जांद। अर बेथां Likes अर कमेंट्स से मि गद गद ह्वे ग्यों, म्यार रोम रोम पुळेण बिसे गेन अर मि स्वर्गवासी सि ह्वे ग्यों। फेसबुक का Likes -कमेंट्स से प्रेरित ह्वेक मीन गदन जैक बांज पड्या क्याड़ -झ्याडों रौ की फोटो लेन अर फेसबुक मा पोस्ट कर देन। बांज पड्या क्याड़ -झ्याडों रौ फोटो देखिक प्रवासी फेसबुक्योंन अपण गाँव वळु तैं चट्टेलिक खूब गाळी देन जु अपणबांज पड्या क्याड़ -झ्याडों रौ तैं छोड़िक नौकरी खोज मा देस ऐ गेन। मि हौर प्रेरित ह्वे ग्यों अर फोटो खैंचणो घराट -घट्ट जिना चल ग्यों। फोटो खिंचणो इ छौ कि मि तैं कैन धै लगै -" ये भीषम ! ये भीषम ! "। मीन इना -उना द्याख पर क्वी नि दिखे। मेरी ददि अर ब्वेन बतयूं छौ कि घट्ट का पास भूत नि हूंदन त मि उन नि डौर पर बि डर त हुंदी च। मि इना उना हिरणु छौ कि घट्ट बटें अवाज ऐ।
घट्ट -ये भीषम ! मि घट्ट बुलणु छौं।
मि -घट्ट ?
घट्ट -क्यों जब तू बांज पड्यां रौ की फोटो से फेसबुक्या प्रवास्युं तैं रुलै सकद त मि घट्ट ह्वेक नि बचळे सकुद।
मि -हाँ , या बात त सै च।
घट्ट -अच्छा तो तू बि हौर प्रवास्युं तरां मेरी फोटो लीणो अयुं होलि हैं ?
मि -हाँ।
घट्ट -तीन मेरी फोटो याने घट्ट , घराट , पनचक्की की फोटो लेक क्या करण ?
मि -फेसबुक मा डळलु।
घट्ट -अर शीर्षक मा लिखिल कि -उजड़ते घट्ट -घराट-पनचक्कियां और ग्रामीण बजार में चमकती बिजली की चक्कियां। फिर तू अपण गौं वळु पर दोषारोपण करिल कि ये जाहिल लोग अपनी संस्कृति छोड़ बजारी चक्कियों का आटा खा रहे हैं।
मि -त्वे तैं कनकै पता कि हम प्रवासी चाहते हैं कि ग्रामीण अभी भी आदि वासी जिंदगी बिताएं और अपनी संस्कृति बचाएं। हैं ?
घट्ट -अरे जथगा बि मेरी , उर्ख्यळ -गंज्यळु , जंदरुं फोटो फेसबुक मा पोस्ट करदन वु सब यांको इ रुण रुंदन कि गाँव वाळ गौं तैं बर्बाद करणा छन , कुछ नि करणा छन।
मि -पर हम प्रवासी और कर बि क्या सकदवां ?
घट्ट -हाँ ! तुम गढ़वाल का गढ़वळि अर प्रवासी गढ़वळि रुणो अलावा कौर बि सकदां ? निक्कज्जा गढ़वळि कहींके ! अरे ये अळगस्युं गोशी लोगो ! यदि घट्ट -घराट , खेती खतम हूणि च त कुछ नया किलै नि सुचदा ?
मि -हम प्रवास माँ रैक क्या कर सकदां ?
घट्ट -यां रुण -धूणो जगा इन्नोवेट त कौर सकदां कि ना ? अब जन कि म्यारि उदाहरण लेदि। चूँकि बिजली चक्की से मेरि जरूरत अब नी च तो घट्ट -घराट -पनचक्की मा यदि सुधार यानी टेक्निकल इम्प्रूवमेंट करे जाव तो नया तराका घट्ट गढ़वळयुं वास्ता उत्पादन का नया स्रोत्र नि बण सकुद क्या ?
मि -हाँ पर !
घट्ट -पर क्या मेरी वर्टिकल ऊर्जा तैं लौंगिच्यूडनल इनर्जी मा बदलिक क्या नि करे सक्यांद ?
मि -हाँ पर ?
घट्ट -मेरी इनर्जी से गदनौ पाणी मथि धार तलक लिजाँद तुम गढवळयूँ तीक टुटी गे क्या ?
मि -हाँ पर ?
घट्ट -तुम गढ़वाळ का गढवळयूँ अर प्रवास का गढवळयूँ तैं इन्नोवेसन गढ़वाल अर इन्नोवेसन फोर गढ़वाल की वैचारिक क्रान्ति लाण चयेंद कि ना ?
मि -हाँ मेक इन इंडिया का तहत मेक इन गढ़वाल एवम इन्नोवेसन इन गढ़वाल फॉर गढ़वाल की विचारधारा तो मुंबई मा बैठिक बि उरये सक्यांद।
घट्ट -एक बात बथादि कि इन्नोवेसन का वास्ता तीन आवश्यकताएं क्या छन ?
मि -पैली च आधारभूत आवश्यकता
घट्ट -दुसर बात ?
मि -फिर सक्षम लोग जु तकनीक मा बदलाव लावन अर जु तकनीक तैं प्रयोग कर सौकन।
घट्ट -तिसरी बात ?
मि -इन्नोवेसन तैं प्रयोगिक धरातल पर लाणो वास्ता संसाधन।
घट्ट -अर फिर इन्नोवेसन का रस्ता क्या छन ?
मि -ज्ञान ,इन्नोवेसन का प्रति एक सकारात्मक सामाजिक सोच , निर्णय , इन्नोवेसन की सोच तैं प्रयोगिक धरातल पर लाण अर फिर इन्नोवेसन का प्रयोग। फिर हर पग पर इन्नोवेटिव रूप से इम्प्रूवमेंट।
घट्ट -क्या इन्नोवेसन केवल तकनीक याने वैज्ञानिक तकनीक तक ही सीमित हूंद ?
मि -नै नै ! इन्नोवेसन तो विचार से हूंद। हरेक क्षेत्र मा इन्नोवेसन की जरूरत हूंदी।
घट्ट -तो सूण ! तू म्यार फोटो ना ले अर फेसबुक्यों तैं नि रुला अपितु फेसबुक्यों का मध्य इन्नोवेसन इन गढ़वाल फौर गढ़वाल की विचारधारा की बात कर। अब जा ! अर इन्नोवेटिव विचारों से इन्नोवेसन इन गढ़वाल फौर गढ़वाल की विचारधारातैं दुनिया मा फैला।
18/1/15, Bhishma Kukreti , Mumbai India
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