Sapsindhu Rivers , Sarswati and Unaware of Haridwar by Vedic Aryas
सप्तसिंधु
***संदर्भ - ---
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज
Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 1 /1/2015
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वैदिक आर्य साहित्य में सप्तसिंधु नदियां , सरस्वती एवं हरिद्वार के बारे में अनभिग्यता
History of Haridwar Part --38
हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -38
हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -38
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
वैदिक साहित्य में उत्तर पश्चिम की 31 भारतीय नदियों व इनके तटों पर कई घटनाओं का वर्णन मिलता है। 31 में से 25 नदियों का वर्णन वैदिक प्राचीनतम साहित्य ऋग्वेद में भी मिलता है। इन नदियों के वर्णन से पता चलता है कि आर्यों का प्रसार यमुना नदी के पूर्व तक हो चका था । वेद में वर्णित मुंजावत शिखर शायद जम्मू है। इसी क्षेत्र में वेदों की रचना हुयी थी।
ऋग्वैदिक आर्यों की मुख्य भूमि सप्तसिंधु रही है। ये सात नदियां हैं -
१- सिंधु
२- परुष्णी
३- अस्कनी
४-विपास
५- वितस्तता
६-शुतुद्रि
७-सरस्वती
सरस्वती वर्तमान की सिंधु , रावी , चिनाव , व्यास , झेलम , सतलुज और कुरुक्षेत्र में बहने वाली नदी माना गया है।
ऋग्वेद में सप्तसिन्धव: का प्रयोग एक बार हुआ है और अन्यत्र अधिक बार हुआ है।
सरस्वती नदी
ऋग्वेद में नदियों को पूर्व याने गंगा से पश्चिम की और अफगानिस्तान की और गिना गया है-
गंगा
यमुना
सरस्वती
शुतुद्रि (सतलुज )
परुष्णी (रावी )
अस्किनी (चिनाव )
मरुदृघा
वितस्ता (झेलम )
आरजीकिया
सुषोमा
त्रिष्टामा
रसा
श्वेता
सिंधु
कुभा
गोमती (गोमाल )
क्रमु
महत्नु
इस तरह सरस्वती की पहचान वर्तमान सरसुती नदी से की जाती है जो अम्बाला के निकट शिवालिक पहाड़ियों से नीचे उतरती है और भटनेर मरुस्थल के निकट लुप्त हो जाती है।
ऋग्वेद में गंगा का प्रयोग केवल एक ही बार हुआ है। और गंगा के बारे में कुछ भी नही कहा गया है।
अतः हरिद्वार के बारे में प्राचीन वैदिक साहित्य सर्वथा अनभिज्ञ रहा है।
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राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
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History of Haridwar to be continued in हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास; बिजनौर इतिहास, सहारनपुर इतिहास -भाग 38 History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ; History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ; History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ; History of Telpura Haridwar, Uttarakhand ; History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ; History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ; History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand ; History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand ; History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ; History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ; History of Sultanpur, Haridwar, Uttarakhand ; History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ; History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ; History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar; History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;History of Bijnor; History of Nazibabad Bijnor ; History of Saharanpur
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