Animal Husbandry , Ranching in by Vedic Aryan Era
History of Haridwar Part --39
हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -39
हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -39
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
वैदिक आर्यों के लिए गाय -बैल प्रधान सम्पति मानी जाती थी। भेड़ -बकरी व घोड़े भी पाले जाते थे।
गायों को सुबह , दोपहर व संध्या समय दुहा जाता था। गोपाल गाय -बच्छियों के देखरेख हेतु जानवरों के संग चलते थे। गायों आदि की पहचान हेतु कान चिन्हित (branding ) किये जाते थे। रात्रि समय दूध देने वाली गायें मकान में रखी जाती थीं बाकी जानवर गोठ /गोष्ठ में रखे जाते थे।
पशु धन वृद्धि हेतु कर्मकांड /प्रार्थना की जाती थी। वैदिक साहित्य में अप्सराओं की तुलना गायों से की गयी है।
दूध , घी , दही की प्रचुरता थी।
पूजा , दही , घी का प्रयोग संभव था। शायद बैलों को बधिया करने की परम्परा भी चल पड़ी थी।
**संदर्भ - ---
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज
Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 3 /1/2015
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