Vedic Aryan Religious Faith in context History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur
History of Haridwar Part --44
हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -44
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
**संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 16 /1/2015
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हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में वैदिक आर्यों के धार्मिक विश्वास
History of Haridwar Part --44
हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -44
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
आर्य देवताओं के परम भक्त , पौरुष पूजक और आशावादी थे। आर्य औटोसजेसन सिद्धांत में विश्वास करते थे। आर्यों के देवता भी इन्ही गुणों से सम्पन थे। आर्य पितरों व परलोक पर, स्वर्ग -नरक आदि पर विश्वास करने वाला समाज था। देवपूजा से आर्य कामना फल की मांग करते थे।
आर्यों के मुख्य देवता
वैदिक आर्यों के मुख्य देवता निम्न थे -
इंद्र
वरुण
मित्र
अग्नि
अर्यमा
सविता
भग
रूद्र
वसुगण
मरुत
रोतसी
भिषग (अश्वनी )
नासत्य -अश्वनी
सरस्वती
वायु
ऋभुक्षा
पर्जन्य
आकाश को पिता और पृथ्वी को माता, अग्नि को भ्राता का दर्जा हासिल था
नदियों का सम्मान /पूजा देवरूप में किया जाता था।
देवताओं को युग्म रूप में पुकारा जाता था जैसे -इंद्र -सोम , इंद्र -पूसा आदि
अन्न , प्रकृति , जल के वे कृतज्ञ रहते थे।
इंद्र मुकुटधारी मुख्य देव था।
रोग निवारण आदि हेतु मंत्र -तंत्र में आर्य समाज विश्वास करता था। जड़ी -बूटी भी प्रयोग शुरू हो चुका था
कार्य प्रारम्भ व कार्य सम्पन में देवताओं की स्तुति का रिवाज था। विजय , शत्रु नाश , भी नाश , संतति , धन प्राप्ति के लिए स्तुति करते थे।
**संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 16 /1/2015
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