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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, January 21, 2015

वैदिक आर्यों के धार्मिक विश्वास

 Vedic Aryan Religious Faith in context History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur

                                     हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में वैदिक आर्यों के   धार्मिक विश्वास 

                                                               History of Haridwar Part  --44   

                                                         हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -44                                                                                      
                           
                                                   इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
      आर्य देवताओं के परम भक्त , पौरुष पूजक और आशावादी थे। आर्य औटोसजेसन सिद्धांत में विश्वास करते थे।  आर्यों के देवता भी इन्ही गुणों से सम्पन थे। आर्य पितरों व परलोक पर, स्वर्ग -नरक आदि पर विश्वास करने वाला समाज था।  देवपूजा से आर्य कामना फल की मांग करते थे। 
                           आर्यों के मुख्य देवता 
वैदिक आर्यों के मुख्य देवता निम्न थे -
इंद्र 
वरुण 
मित्र 
अग्नि 
अर्यमा 
सविता 
भग 
रूद्र 
वसुगण 
मरुत 
रोतसी 
भिषग (अश्वनी )
नासत्य -अश्वनी 
सरस्वती 
वायु 
ऋभुक्षा 
पर्जन्य 
आकाश को पिता और पृथ्वी को माता, अग्नि को भ्राता का दर्जा हासिल था 

नदियों का सम्मान /पूजा देवरूप में किया जाता था। 
देवताओं को युग्म रूप में पुकारा जाता था जैसे -इंद्र -सोम , इंद्र -पूसा आदि 
अन्न , प्रकृति , जल के वे कृतज्ञ रहते थे। 
इंद्र मुकुटधारी मुख्य देव था। 
रोग निवारण आदि हेतु मंत्र -तंत्र में आर्य समाज विश्वास करता था। जड़ी -बूटी भी प्रयोग शुरू हो चुका था 
कार्य प्रारम्भ व कार्य सम्पन में देवताओं की स्तुति  का रिवाज था।  विजय , शत्रु नाश , भी नाश , संतति , धन प्राप्ति के लिए स्तुति करते थे। 

**संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड  इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज 
Copyright@ 
Bhishma Kukreti  Mumbai, India 16 /1/2015 

Contact--- bckukreti@gmail.com 
History of Haridwar to be continued in  हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास; बिजनौर इतिहास, सहारनपुर इतिहास  -भाग 45 


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