चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
Copyright@ Bhishma Kukreti 3/2/2014
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी द्वारा जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वालेद्वारा पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले द्वारा भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी द्वारा पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखकद्वारा सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ]
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
घरवळि - तुम से भलो त वी ठीक छौ जु नयो फ्रंट बणान्द छौ
मि - यु सौभागयशाली कु च भै ?
घरवळि - कबि ध्यान दींदा त पता चल जांद कि उ को च।
मि - कुज्याण क्या बुलणि छे धौं.
नौनु - पापा वो नही हैं देहरादून में विवेक खंडूरी के मुहल्ले में जो साल नई संस्था खड़ी करते है और समाचार पत्रों में खबर छपवा देते हैं कि प्रवासी गढ़वालियों की एकता के लिए नई संस्था बन गयी है।
मि - हाँ हाँ ! जो प्रवासी गढ़वाली एकता का बिगुल बजाता रहता है और बिगुल की जगह बांसुरी साथ में रखता है। पण वैसे म्यार क्या लीण दीण ?
घरवळि - वू बिचारु नौकरी करदो करदो बि साल भर मा एक नई एकता संस्था खोली दींदु छौ।
मि - तो ?
घरवळि -तो क्या ! अजकाल तुम घौरम खाली बि बैठ्या छंवां त कुछ त कारो।
मि -अब क्या करण ?
घरवळि -एकाद पोलिटिकल फ्रंट ही खोली द्यावदी।
मि - कन एकाद फ्रंट ही खोली ल्यावदी ?
घरवळि -जन मुलायम सिंगन फ्रंट ख्वाल , जन देवी गौड़ा अर नितीश कुमारन ख्वाल अर जयललिता अर कम्युनिस्ट पार्टिन अलग फ्रंट ख्वाल।
मि - ह्यां पण वु लोग प्रधान मंत्री बणन चाणा छन तो फ्रंट खुलणा छन।
घरवळि -त तुम किलै ना प्रधान मंत्रीक दौड़ मा शामिल ह्वे जांदा ?
मि - प्रधान मंत्रीक दौड़ मा शामिल ह्वे जांदा ?
घरवळि -हाँ
मि - प्रधान मंत्री पद पाण क्वी खाणै चीज च ?
घरवळि -खाणै चीज नी च पण पाणै चीज त छैं च.
मि - अरे पर प्रधान मंत्री पद का वास्ता कुछ योगयता बि त हूण चयेंद।
घरवळि -जन कि ?
मि - जन कि अपण नीतेश जी छन जो ये ब्रह्मांड का सबसे बड़ा सेक्युलर नेता छन। तो ऊंको हक प्रधान मंत्री पद पर स्वत: ही बणद।
घरवळि -क्यांक सेक्युलर छन ? ता जिंदगी भाजापा की खुकलिउंद सत्ता की खीर घुळणा रैन अर बुड्यांद दैं याद आयी बल भाजापा त नॉन सेल्युलर पार्टी च।
मि - मायावती बैणि त सेक्युलर च कि ना तबि त भाजापा तैं सत्ता से दूर करणो बान कॉंग्रेस तैं समर्थन दींदी।
घरवळि -हां भाजापा का पिनस पर बैठिक ज्वा मुख्यमंत्री भवन जावु वीं तैं बि पैथरां याद आंद बल भाजापा त राजनैतिक अछूतण च अर अछूतण तैं सत्ता का करीब नि आण दिए चयेंद।
मि - अपण जय ललिता बि त महान सेक्युलर च। तबि त वा बि एक फ्रंट बणाणि च।
घरवळि -अच्छा ! अर जब जरुरत पड़दि त भाजापा का ड्यार स्वाळ -पक्वड़ खैक ऐ जांदी अर अब सेक्युलर कु चदरु ढिकांण लीणि च।
मि - नै नै ! कम्युनिस्ट पार्टिन जय ललिता तैं सेक्युलर पार्टीक सर्टिफिकेट दियाल।
घरवळि -किलै ना ! अब कम्युनिस्टों मा एकी काम त रयुं च पार्ट्यूं तैं सेक्युलर अर नॉन सेक्युलरौ सर्टिफिकेट बँटणो , जन केजरीवालम इमानदारिक सर्टिफिकेट बंटणो काम च।
मि - अर अपण मुलयम सिंग जी बि सेक्युलर छन तो स्वमेव प्रधान मंत्री लैक छन।
घरवळि -हाँ वु त मुजफरनगर का दंगा साबित करदन कि मुलायम सिंग कथगा बड़ो सेक्युलर छन।
मि - त्यार बुलणो अर्थ क्या च ?
घरवळि -द्याखो यूं सब पार्ट्यूंन प्रधान मंत्री पद कु मजाक बणै याल। यूंन प्रधान मंत्री पद तैं सेक्युलर -नॉन सेक्युलरौ जाळ फँसाइ इ याल तो तुम बि प्रधान मंत्री की दौड़ मा शामिल ह्वे जावो।
मि - मतबल ?
घरवळि -मतबल एक फिफ्थ -सिक्ष्त फ्रंट घोषित करी द्यावो अर इलेक्सन रिजल्ट की प्रतीक्षा कारो।
मि - तीतैं उम्मीद च कि …।
घरवळि -हाँ नेतास्य भाग्यम , इलेक्सन रिजल्टम गौड बि न जानति , कुतो राजनीतिज्ञम !
मि - ठीक च मि फिफ्थ फ्रंट की घोषणा कौरी दींदु अर ह्वे सकद च कि केजरीवाल जन भाग जगी जावन …। Copyright@ Bhishma Kukreti 3/2/2014
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी द्वारा जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वालेद्वारा पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले द्वारा भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी द्वारा पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखकद्वारा सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ]
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