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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, February 25, 2014

पुलिस थाणा याने रुस्वड़ जख खाण पीणै बथ हूँदन

चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती        

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

पुलिस थाणा कुछ ना एक  रुस्वड़  च जख खाण पीणै की ही बात हूंदन। 
क्वी  जेबकतरा पुलिस स्टेसन से भैर आंद त भैर दूर वैक दगड्या पुछद ,"कथगा खाइ अर कखम खाइ ?" कखम खाई माने कैं  जगा मार पोड। 
जेबकतरा कु कथगा तरां का जबाब हूँदन -
अरे  आज त लात बि खैन , पुठों मा डंडा बि खैन। साला हवलदार पूरो माल बि खै गे अर मार खाण से बचणो बान इंस्पेकटर तैं बि खलाण पोड़। 
नै ! आज मार त नि खाइ पण जथगा कमाइ नि ह्वे वै से जादा पुलिस अर कोर्ट का नुमाइंदा खै गेन। 
इनी आम जनता से पुलिस थाणा बारा मा बात कारो तो जनता बुल्दी बल थाणा ! चाय मा जथगा शक्कर डाळो  चाय उथगा मिठी हूंद।  इनी पुलिस स्टेसन मा रुप्या खलावो अर बलात्कार केस से बरी ह्वे जावो। हवालात की हवा खाण मुहावरा बि आम जनता मा मशहूर च याने पुलिस स्टेसन अवश्य ही रुस्वड़ च जख पुलिस की लात , घूँसा , डंडा खाये जांदन अर पुलिस की लात , घूँसा , डंडा कम मात्रा मा खाये जावन यांक वास्ता पुलिस वाळ या ऊंक बच्चों का वास्ता मिठै खलाये जांद। सबि वकील (कपिल सिब्बल अर अरूण जेटली छोड़िक ) बुल्दन बल बेईमान पुलिस की बात त जाण द्यावो ईमानदार पुलिस बि खांदी (घूस ) च बस खलाण आण चयेंद। 
पुलिस स्टेसन मा पुलिस वाळु दगड़ निगोसिएशन इन हूंद -
साब आप चिंता नि कारो तै अभियुक्त तैं छोड़ी द्यावो अर बाल बच्चों कुण  मिठै  ल्यावो। 
भौत सा जुर्म जब बड़ो हूंद अर जब हवलदार से मिठै खलाणै बात हूंद त हवलदार बुलद ," हरामजादा ! बूढ़े बाप  को मारता है और   केवल मिठाइ खिलाने की बात करता है !" इन मा फिर पुलिस  तैं मटन मच्छी खलाणो बात हूंदी। पुलिस तैं खलाणो निगोसिएशन चाय से शुरू हूंद अर फ़ार्म हाउस मा पार्टी तक पौंछद।  चाय माने सौ पचास रुपया अर फ़ार्म हाउस पार्टी माने लाखों रुपया। 
जुर्म बि सीजन का हिसाब से घटद बढ़द छन अर जब जुर्म मा रिसेसन हूंद तो पुलिस वाळ इन छ्वीं लगांदन --
कोर्ट  परिसर मा एक पुलिस चौकी कु पुलिस वाळ - धंधा कन चलणु च ?
हैंक पुलिस चौकी कु पुलिस वाळ- ख़ाक चलणु च ! अरे अजकाल तो चाय कु बि वांदा हुयुं च।  पता नि अचकाल जेबकतरा बि हड़ताल पर किलै जयां छन धौं ।  त्यार क्य़ा हाल छन ?
पैल पुलिस चौकी कु पुलिस वाळ - हूं उन त रिसेसन ही चलणु च पण कॉलेज नजीक हूण से गांजा चरस कु धंधा से गुजारा करणा छंवां।  अचकाल एक साल ह्वे गे क्वी कतल नि ह्वे।  वाइफ बुलणि छे पुलिस की नौकरी से  बढ़िया त महात्मा गिरी ही ठीक च जख खुले आम चढ़ावा आंद.
हैंक पुलिस चौकी कु पुलिस वाळ- धंधा इन चौपट हुयुं च कि छै मैना से अपण नौनु तैं रोज बौगांदु कि बस जनि क्वी कतल को केस चौकी मा आलु त्वैकुण नई   मोटर साइकल लौलु ! रोज पुछणु रौंद कि कब कतल ह्वाल ?
पुलिस वाळ ख़ास चौकी मा पोस्टिंग का वास्ता मथिन तक मिठै भिजवान्द अर फिर रोज चौकीम बैठिक अपराध्युं से मिठै लीणु रौंद।  
 
पुलिस स्टेसन मा मार खाण अर घूस खलाण की ही बात हूँदन बस


Copyright@ Bhishma Kukreti  24 /2/2014 


*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।  
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वालेद्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखकद्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  

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