चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
पुलिस थाणा कुछ ना एक रुस्वड़ च जख खाण पीणै की ही बात हूंदन।
क्वी जेबकतरा पुलिस स्टेसन से भैर आंद त भैर दूर वैक दगड्या पुछद ,"कथगा खाइ अर कखम खाइ ?" कखम खाई माने कैं जगा मार पोड।
जेबकतरा कु कथगा तरां का जबाब हूँदन -
अरे आज त लात बि खैन , पुठों मा डंडा बि खैन। साला हवलदार पूरो माल बि खै गे अर मार खाण से बचणो बान इंस्पेकटर तैं बि खलाण पोड़।
नै ! आज मार त नि खाइ पण जथगा कमाइ नि ह्वे वै से जादा पुलिस अर कोर्ट का नुमाइंदा खै गेन।
इनी आम जनता से पुलिस थाणा बारा मा बात कारो तो जनता बुल्दी बल थाणा ! चाय मा जथगा शक्कर डाळो चाय उथगा मिठी हूंद। इनी पुलिस स्टेसन मा रुप्या खलावो अर बलात्कार केस से बरी ह्वे जावो। हवालात की हवा खाण मुहावरा बि आम जनता मा मशहूर च याने पुलिस स्टेसन अवश्य ही रुस्वड़ च जख पुलिस की लात , घूँसा , डंडा खाये जांदन अर पुलिस की लात , घूँसा , डंडा कम मात्रा मा खाये जावन यांक वास्ता पुलिस वाळ या ऊंक बच्चों का वास्ता मिठै खलाये जांद। सबि वकील (कपिल सिब्बल अर अरूण जेटली छोड़िक ) बुल्दन बल बेईमान पुलिस की बात त जाण द्यावो ईमानदार पुलिस बि खांदी (घूस ) च बस खलाण आण चयेंद।
पुलिस स्टेसन मा पुलिस वाळु दगड़ निगोसिएशन इन हूंद -
साब आप चिंता नि कारो तै अभियुक्त तैं छोड़ी द्यावो अर बाल बच्चों कुण मिठै ल्यावो।
भौत सा जुर्म जब बड़ो हूंद अर जब हवलदार से मिठै खलाणै बात हूंद त हवलदार बुलद ," हरामजादा ! बूढ़े बाप को मारता है और केवल मिठाइ खिलाने की बात करता है !" इन मा फिर पुलिस तैं मटन मच्छी खलाणो बात हूंदी। पुलिस तैं खलाणो निगोसिएशन चाय से शुरू हूंद अर फ़ार्म हाउस मा पार्टी तक पौंछद। चाय माने सौ पचास रुपया अर फ़ार्म हाउस पार्टी माने लाखों रुपया।
जुर्म बि सीजन का हिसाब से घटद बढ़द छन अर जब जुर्म मा रिसेसन हूंद तो पुलिस वाळ इन छ्वीं लगांदन --
कोर्ट परिसर मा एक पुलिस चौकी कु पुलिस वाळ - धंधा कन चलणु च ?
हैंक पुलिस चौकी कु पुलिस वाळ- ख़ाक चलणु च ! अरे अजकाल तो चाय कु बि वांदा हुयुं च। पता नि अचकाल जेबकतरा बि हड़ताल पर किलै जयां छन धौं । त्यार क्य़ा हाल छन ?
पैल पुलिस चौकी कु पुलिस वाळ - हूं उन त रिसेसन ही चलणु च पण कॉलेज नजीक हूण से गांजा चरस कु धंधा से गुजारा करणा छंवां। अचकाल एक साल ह्वे गे क्वी कतल नि ह्वे। वाइफ बुलणि छे पुलिस की नौकरी से बढ़िया त महात्मा गिरी ही ठीक च जख खुले आम चढ़ावा आंद.
हैंक पुलिस चौकी कु पुलिस वाळ- धंधा इन चौपट हुयुं च कि छै मैना से अपण नौनु तैं रोज बौगांदु कि बस जनि क्वी कतल को केस चौकी मा आलु त्वैकुण नई मोटर साइकल लौलु ! रोज पुछणु रौंद कि कब कतल ह्वाल ?
पैल पुलिस चौकी कु पुलिस वाळ - हूं उन त रिसेसन ही चलणु च पण कॉलेज नजीक हूण से गांजा चरस कु धंधा से गुजारा करणा छंवां। अचकाल एक साल ह्वे गे क्वी कतल नि ह्वे। वाइफ बुलणि छे पुलिस की नौकरी से बढ़िया त महात्मा गिरी ही ठीक च जख खुले आम चढ़ावा आंद.
हैंक पुलिस चौकी कु पुलिस वाळ- धंधा इन चौपट हुयुं च कि छै मैना से अपण नौनु तैं रोज बौगांदु कि बस जनि क्वी कतल को केस चौकी मा आलु त्वैकुण नई मोटर साइकल लौलु ! रोज पुछणु रौंद कि कब कतल ह्वाल ?
पुलिस वाळ ख़ास चौकी मा पोस्टिंग का वास्ता मथिन तक मिठै भिजवान्द अर फिर रोज चौकीम बैठिक अपराध्युं से मिठै लीणु रौंद।
पुलिस स्टेसन मा मार खाण अर घूस खलाण की ही बात हूँदन बस
Copyright@ Bhishma Kukreti 24 /2/2014
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