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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, February 19, 2014

ब्यौ -बरात्यूंक भिन्न भिन्न नचाड़

चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती        

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
              जब बिटेन ब्यौ संस्था अस्तित्व मा आयि तब बिटेन ब्यौ मा बरात , नाच, गान ब्यौवक आवश्यक अंग ह्वे गेन। खुजनेर अबि बि बरमंड फुड़णा  रौंदन कि ब्यौ -बरात से नाच -गान शैली परिष्कृत ह्वे कि नाच गान से ब्यौ -बरात शैली परिष्कृत ह्वे ! हाँ  बात सै च कि ब्यौ -बरात कु नाम ल्यावो तो नाच -गाण आयि जांद। 
 अचकाल न्युतेरुं दिन  अर बरात जांद -आंद दैं घराती -बराती नि नाचन तो वु ब्यौ नि माने जांद वू ब्यौ कोर्ट मैरिज माने जांद।  जै ब्यौ मा नाच गाण नि ह्वावन वु  ब्यौ इन लगद जन बगैर सिंदूर भरीं मांग की अर बगैर आभूषण पैरीं स्वागवंती नार; बगैर बयार कु बसंत !
ब्यौ बरातुं मा भौं भौं किस्मौ नचाड़ हूँदन -
महावीर नचाड़ - ब्यौ बरात मा  इन नचाड़ बि हूँदन जु शुरू से लेक आखरी तलक नचणा रौंदन।  यी नाच वृत्त से भैर नि आंदन।  जब तलक वादक वाद्य बंद नि कारल यूंकि मुंडी , हथ या टंगड़ी हिलणी रौंदन। 
भिभरट्या या भभताट्या  नचाड़ - यी जब नाचद छन तो इन लगद जन यी नाचणो नि अयां छन बल्कि नचण वाळु तैं तितर बितर करणा अयां छन। 
लत्तिबाज नचाड या पत्यड्या -पतेड़ डांसर - यूं तैं नाच नि आंद बस यी कबि इना लत्ति -लात चलांदन त कबि उना हाथ-पात  चलांदन। कति बार दुसर डांसरूं  खुट पत्यड़णा रौंदन।   अन्य नचाड़ यूंक हाल चाल  देखिक अपण नाच -दायरा  अलग करी दीन्दन पण यी लत्तिबाज या पत्यड्या -पतेड़ नचाड हमेशा  अन्य नचाडुं दायरा पुटुक ही आणा रौंदन।  
स्टाइलबाज नचाड़ - यी स्टाइल मा रौंदन अर दुसर तैं दिखाणो बान ही नाचदन।  नचद दैं स्टाइलबाज नचाडुं  नजर वै या वीं पर हूंद जै तैं यी या या प्रभावित करण चांदन।  बीच मा यूंक कंघी  अपण बुलबुलों या धमेली घुमणि रौंद।  कति नृत्यागना बार बार लिपस्टिक लगाणी रौंदि। 
पेटेंट या मोनोटोनस अथवा इकजनि नचाड़ - बैंड वाळ क्वी बि संगीत बजावन मोनोटोनस या इकजनि नचाड़ गरुड़ जन हाथ फफतान्दन या पंडो जन क्वी डांस करणा रौंदन। यी मोनोटोनस नचाड़ "ले जायेंगे , ले जायेंगे दुल्हनिया ले जायेंगे " या 'ले चला अपना कफन का सामान ले चला पर इकजनि डांस करणा रौंदन।  
ससुरास से प्रभावित नचाड़ -  कुछ इन नचाड़ हूंदन जु सिरफ अपण जड़ज्यु , स्याळि या वाइफ का बुल्युं मानिक नाच करदन। 
ठसठस नचाड़ -इन नचाड़ तबि नाचदन जब यूंकि पूजा अर्चना करे जावो।  बगैर रिक्वेस्ट या प्रार्थना का यी नचाड़ नि नाचदन। 
पेयर या जोड़ीदार नचाड़ - यी हर समय विपरीत लिंग (बौ , स्याळि , वाइफ या जीजा अथवा द्यूर ) खुज्यांदन अर बगैर जोड़ी का पेयर या जोड़ीदार नचाडुं खुट पर लछम्वड़ ह्वे जांद। 
ल्हतम्वड्या नचाड़ - यी इन नचदन जन बुल्यां यूं पर लकवा मारी गए हो अर ल्हतम्वड्या नचाडुं बॉडी लैंग्वेज देखिक अन्य नाचाडुं तैं निंद   आण बिसे जांद। 
अहंकारी नचाड़ - यी नचाड़ अफु से पद या पैसा मा बड़ लोगुं ब्यौ मा नचदन पण अफु से पद या पैसा मा छुट  लोगुं ब्यौ मा नचण अपण बेज्जती समजदन  ।
डरख्वा नचाड़ - यी नचाड़ नचण त चांद छन पण अपण वाइफ से भौत   डरदन अर जब तलक वाइफ आँख्युं -आंख्युं मा आदेस नि द्याली यी डरख्वा नचाड़ नि नचदन। 
धुत्त नचाड़ - यी नचाड़ जब तक आधा बोतल नि घटकांदन तब तलक यूँ पर नृत्य दिवता नि आंदो। अधिकतर इ  शराबी नचाड़ सामूहिक नाच गान की खुसी मा बाधक ही हूंदन।  घराती हर समय परमेश्वर से प्रार्थना करणा रौंदन कि यूँ पर नृत्य दिवता नि चौढ़ !
जणगरा नृत्यकार या नृत्यांगना - यी ट्यून का हिसाब से नचदन।


Copyright@ Bhishma Kukreti  18 /2/2014 


*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।  
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वालेद्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखकद्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  

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