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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, February 10, 2014

क्वी बि नि चांदु कि पटवरी जी इमानदार ह्वावो !

चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती        


(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
                    उन त हरेक चांदु कि भारत मा , हमर इलाका मा भगत सिंग सरीखा जवान पैदा ह्वेन पण अपण ड्यार ना दुसरो ड्यार पैदा ह्वेन , दुसर गां मा भगत सिंग पैदा ह्वेन।  ऊनि सब चांदन कि सरकारी दफतरुं से भ्रस्टाचार खतम ह्वे जावो पण क्वी नि चांदु कि हमर पट्टी कु पटवारी इमानदार ह्वे जावु। इमानदार पटवारी  अफकुण बि नुकसानदायक हूंद त जनता का वास्ता बि हानिकारक या बरबादी कु एजेंट ह्वे जांद।   जैं पट्टी मा पटवारी इमानदार हूंद त समज ल्यावो वा पट्टी विकासका बान तरसण वाळ पट्टी च। अचकाल लोग अपण बेटी वीं पट्टी मा दींदी नि छन जैं पट्टी मा पटवारी घूस नि खावु।  भारत मा बि द्याखो त बंगाल मा कम्युनिष्ट नेता अर ऊंक कार्यकर्ता सबसे अधिक इमानदार कौम माने जांद अर विकास का मामला मा बंगाल की हालात ममता बनर्जी का काल मा बि  बुरा ही ना बहुत बदतर छन. जख बेइमान नेता अर ऑफिसर जादा छन तख ही विकास हूंद अर जनता तैं फैदा हूंद।  उनी जैं पट्टी मा  पटवारी , प्रधान , ब्लॉक प्रमुख , ब्लॉक अधिकारी जथका जादा बेइमान हूंदन वीं पट्टी मा मनरेगा , बनरेगा , कुज्याण-कनरेगा  आदि योजना बड़ी भंयकर गति से चलणा रौंदन।  सरकारी पैसा पट्टी मा तबि जादा आंद जब पटवारी बेइमान ह्वावो।
        अब द्याखदि डक्खु दा तैं रात निंद नि आदि छे कि बेटिक ब्यौ कनकै करे जावो।  पुरण दिन हूंद त भयात साथ दींदी अर बेटिक ब्यौ ह्वै जांद।  डक्खु दा तैं पता छौ कि यीं बीमारी की दवा असपतालुं मा नि मिलण।  डक्खु दा उठ अर पटवारी मा सलाह लीणो चली गे।  पटवारी भलो आदिम छौ केवल पांच सौ रुपया की पिठै मा पटवारी जीन डक्खु दा तैं सलाह दे कि एक बड़ी दुकान खोल।  जी हां डक्खु दान दुकान खोलि अर बड़ी धूम धाम से बेटीक ब्यौ करी।  इखमा प्रधान जीकी बि बड़ी कृपा छे। दुकान का वास्ता सरकारी लोन पास कराणों  ठेका पटवारी जीन खुद ले छौ त पंदरा दिन मा डक्खु दाक इख दुकानि नाम पर राशन, तेल , लूण , गूड , कपड़ा लता सब पौंछि गे अर बेटी ब्यौ भली तरां से निभ गे । अब इन मा क्या डक्खु दा ब्वालल कि हमर पट्टी मा इमानदार पटवारी आण चयेंद ?
                     सि बनवारी काका की ही बात ले ल्यावो।  एक मैना बाद ससुराल बिटेन बेटी अपण एक बर्षकुल  नौनु लेकि मैत आणि छे अर बनवारी काका की दिल की   इच्छा छे कि पैल पैलाक नाती आणो खुसी मा झलसा करे जावो कुछ चखळा -पखळी करे जाव।  पण बिचारा बीपीएल सर्टिफिकेट से काम चलाणा छन तो इथगा बड़ी चखळा -पखळी बीपीएल स्कीम से त संभव नि छौ।  पैल जब बि इन समस्या ह्वावो तो लोग पुछेर या जागरी मा जांद छा।  अब लोग इन आर्थिक समस्या निदान का वास्ता प्रधानम जांदन।  प्रधानी  जीन सब गणत कार त प्रधानी  जीक समझ मा नि आयी कि बीपीएल मा इन क्वा स्कीम ह्वे सकद जखमा लोन बि मिल जावो अर लोन बि वापस नि बौड़ाण पड़ो।  प्रधानी  जी क मालिक याने पति  विकास प्रेमी  मनिख  छन। प्रधानी जीक पति अर बनवारी काका पटवारी जीक चौकी पटवारी जी से सलाह लीणो पौंछि गेन।  पटवारी जी बि ये भारत से गरीबी दूर करण मा विश्वास करदन अर गरीबी उन्मूलन का वास्ता सब तरह से कार्यरत रौंदन।  ऊन सलाह दे कि बनवारी काका तैं नाती आणो खुसी मा चखळा -पखळी करणो वास्ता मुर्गी पालन करण चयेंद। याने कि मुर्गी पालन का वास्ता लोन बैंक से लीण चयेंद। जैक ममा कृष्ण वै तैं क्यांक घाटो।  जब प्रधानी कु पति अर पटवारी जीक हाथ बनवारी काका कु मथि छौ त बीस दिन मा बनवारी तैं मुर्गी पालन का वास्ता दस हजार रुपया कु बैंक लोन मिल ग्याई।  पांच हजार रुपया प्रधान , पटवारी , बैंक अधिकार्युं मुगदान मा गे अर पट्ट गौणिक पांच हजार रुपया बनवारी काकाक हाथ मा ऐन।  पांच हजार रुपया भौत हूँदन चखळा -पखळी करणो वास्ता। बनवारी काकाक समदि बि खुस अर पटवारी -प्रधान बि खुस।  द्वी तीन मैना बाद रिकॉर्ड मा बनवारी काका का मुर्गी कै अनजान रोग से मोरी गेन अर बनवारी काकाक लोन माफ़ बि  ह्वे गे। अब इन मा क्या बनवारी काका पैरवी कारल  कि पटवारी ईमानदार ह्वावन ?
                    अब सि द्याखदि ! गां मा भौत दिनु से लोग चाणा छा कि नागर्जा मंदिर दूर च त एकाद मंदिर गांक  न्याड़ ध्वार ह्वे जावो त जरा हफ्ता मा कीरतन वगैरा ही करे जावु।  प्रधान जी अपण गांवक समस्या लेक पटवारी जी मा गेन कि जनता कु भारी दबाब च कि गां मा मंदिर चिणे जाव।  पटवारी जीन प्रधान जी तैं याद दिलाइ कि अचकाल सार्वजनिक शौचालय की योजना जल्दी पास हूणा छन।  तय ह्वाइ कि पैसा सार्वजनिक शौचालय का स्वीकृत करे जावन पण असल माँ मंदिर बणाए जालु।  पण फिर पटवारी जीन प्रधान जी तै सावधान कार कि यदि एक मंदिर चिणे जाल तो वै मंदिर मा आप हरिजन लोगुं तैं आण से नि रोक सकदा।  फिर पटवारी जीन ही समस्या निदान कार अर सलाह दे कि गां मा द्वी सार्वजनिक शौचालय की योजना का वास्ता पैसा मांगे जाय।  बस कुछ दिनु मा द्वी शौचालय योजना स्वीकृत ह्वे गे।  तो एक मंदिर बिठणम चिणे गे अर हैंक मंदिर हरिजनु ख्वाळम चिणे गे।  अब बीच गां मा द्वी मंदिर छन लोग बाग़ भक्ति रस मा नयाणा छन -धुयाणा छन।  वो अलग बात च कि विधान सभा मा मुख्यमंत्री बड़ा जोर शोर से बुलणा छन कि फलां गां मा , अलां गां मा इथगा शौचालय चिणे गेन।   
         या बात क़ाग़जुं मा ही भलि लगदी कि लोग घूसखोरी नि चांदन।  वास्तव मा घूसखोरी कि शुरुवात तो जनता ही करदी।  हमर पट्टी मा त क्वी नि चांदो कि पटवारी इमानदार ह्वावो।  पटवारी इमानदार ह्वे जालो तो हम तैं मनरेगा -जनरेगा मा बगैर हथोड़ा चलायां, बगैर काम कर्या सौ रुपया  ध्याड़ी  कु द्यालु ? हमर गाँव वाळु बुलण च बल प्रधान अर पटवारी जथगा भ्रस्ट होला उथगा ही जादा हमर क्षेत्र मा विकास का वास्ता पैसा आलु।  एक दै क्षेत्र मा आवो त सै पैसा फिर दिखे जाल कि कैन कथगा खाइ ! 




Copyright@ Bhishma Kukreti  8 /2/2014 


*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।  
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वालेद्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखकद्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  

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