उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Thursday, February 27, 2014

प्रवासी गढ़वाळि सामाजिक कार्यकर्ताऊँ ख़ास पछ्याणक

चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती        

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

जख जख गढ़वाली प्रवास करदन उख उख गढ़वाली पैदा ह्वावन या नि ह्वावन पण सामाजिक कार्यकर्ता पैदा ह्वे जांदन।  भारत मा यदि 600 लोगों मा एक NGO च त हरेक दुसर प्रवासी गढ़वाली सामाजिक कार्यकर्ता च अर हर दस प्रवासी का पैथर एक सामाजिक संस्था त होली ही। 
सामाजिक कार्यकर्ता माने कैं संस्था कु चेयरमैन , मंत्री या अधिकारी।  बगैर संस्था बणयां सामजिक कार्यकर्ता ज़िंदा नि रौंद . 
अधिसंख्य प्रवासी सामाजिक कार्यकर्ता कु मानण च कि सामाजिक कार्यकर्ता तैं सामाजिक कार्य करण उथगा जरूरी नी हूंद जथगा कि कैं संस्था कु प्रजिडेंट या जनरल सेक्रेटरि हूण आवश्यक च ! 
जैदिन बिटेन ब्रिटिश लोगुन गढ़वाळियुं तैं भैर नौकरी दे वैदिन से अर आज तक हरेक प्रवासीकु एकि रूण च कि गढ़वाळ की पैली परेशानी पलायन च अर हरेक प्रवासी प्रवास मा संस्था इलै बणान्दु कि गढवाळ से पलायन रुक जाव । 
रात प्रवासी गढ़वाळि मीटिंग मा ह्यळि गाडि गाडि रूंद कि गढ़वाळ से पलायन हूणु च अर दुसर दिन अपण भतीजो , भणजो या भौं कै तैं बि अफुम भटे दींद। 
हरेक  प्रवासी सामाजिक कार्यकर्ता रुणु रौंद कि गढ़वाळ मा खेती खतम हूणि च मकान उजड़ना छन।  यदि सर्वे करे जाव त गढ़वाल मा जादातर मकान प्रवासी सामाजिक कार्यकर्ताओं का ही उजड्या होला। 
हरेक प्रवासी सामाजिक कार्यकर्ता गढ़वाळ मा शराब व्यसन से दुखी रौंद अर ये दुःख मा खुद ही शराब गटकाणु रौंद अर जब गां जांद त पेटी भोरिक शराब गां लिजांद।   
शहर मा प्रवासी न्युतेरौ दिन शराब की पार्टी करद पण रुणु रौंद कि गांऊं मा ब्यौ -काज मा लोग सुबेर इ बिटेन शराब पींदन।  
प्रवासी सामाजिक कार्यकर्ता गढ़वाल मा शिक्षा कि समस्याउं  से त्रस्त रौंद पण अपण शहर मा गढ़वाल्यूं की शिक्षा समस्याओं से अवगत नि रौंद। 
प्रवासी गढ़वाळ मा उद्यम नि हूण से परेशान रौंद पण गढ़वाळ का कै बी उद्यम मा निवेश नि करद। 
प्रवासी सामाजिक कार्यकर्ता गढ़वाल मा पर्यटन बढ़ाणो बात करद अर जब समय आंद त अपण नौनु तैं हनी मून का वास्ता शिमला या ऊटी भेजद।
प्रवासी सामाजिक कार्यकर्ता गढ़वाल मा गढ़वाळि भाषा खतम हूण से बहुत दुख जतान्द अर अपण बच्चों दगड़ गढ़वाली तो छोड़ो हिंदी मा बि नि बचऴयांद , केवल अंग्रेजी मा बचऴयांद।
हरेक   प्रवासी सोसल वर्कर चांद कि प्रवासी संस्थाओं मा एका ह्वावो अर जादा संस्थाओं तैं एक करणो बान हर साल मुम्बई मा महांसघ जन नई संस्था खड़ो करद। 
गढ़वाल मा गढ़वाळियुं विकास का वास्ता प्रवासी सामाजिक कार्यकर्ताउं का पास सौ तरीका , निदान  छन पण प्रवास मा प्रवासी गढ़वाल्यूँ विकासौ बान  एक बि ब्यूँत नि हूंदन।  . 
प्रवासी गढ़वाळि सामाजिक कार्यकर्ता क ख़ास पछ्याणक   और बि छन।  बकैउं बखान भोळ-परस्यूं होलु।   


Copyright@ Bhishma Kukreti  26 /2/2014 


*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।  
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वालेद्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखकद्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]  

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments