भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
मीन एक दैं लेखी छौ बल हमारी समस्या भ्रस्टाचार नी च बलकण मा शिक्षा अर सामजिक शिक्षा च।
ब्याळि एक समाचार टीवी चैनलन एक स्टिंग ओपेरेसन से बताइ कि कन ओपिनियन पोल याने मार्केट सर्वे कु भतिया भंद होणु च अर मांग उठणी च कि चुनाव से पैल ओपिनियन पोल बंद हूण चयेंद। जै देश मा ओपिनियन पोल कु उपयोग ओपिनियन जानणो बान ना ओपिनियन बणाणो बान ह्वावो वै देस मा ओपिनियन पोल पर प्रश्न चिन्ह लगण ही छन !
मि तब त्याइस सालो जवान रै होलु त अपण ऑफिसौ काम से हर हफ्ता एक मार्किट रिसर्च कम्पनीम आइएमआरबी जांद छौ। तख से मीन जाण कि कोलगेट या लीवर कम्पनी हर समय कुछ ना कुछ सर्वे कराणा रौंदन।
मि तब मर्फी रेडिओ मा काम करदो छौ अर हमर बॉस लोग विज्ञापन कंपनी से सर्वे करवांद छा पण हम ब्रांच मैनेजर कबि बि वे सर्वे से सहमत नि हूंद छा। फिर बि वै बगत सर्वे सरल छौ किलैकि लोगुं इच्छा , आशा, ज्ञान भौत कम छौ।
मि जब केनस्टार मा सेल्स मैनेजर छौ अर हमर हेड ऑफिस वाळुन केनस्टार लांच हूणो छै मैना बाद एक मार्केट रिसर्च कम्पनी से डीलर ओपिनियन पोल करवाई जखमा डीलर कम्पनी का प्रति क्या सुचदन पर जोर छौ। उखमा एक अजीब रिजल्ट आयुं छौ खासकर दादर अर लोहार चाल (मुबई का प्रसिद्ध किचन आपलियेंसेज बजार ) का डीलरु सर्वे। यु सर्वे बताणु छौ कि केनस्टार की सेल्स टीम दुकानदारूं से मिलणो नि आदि अर सर्विस भौत ही खराब च। कम्पनी तैं खुलीं छै मैना ह्वे छौ अर सर्वे का हिसाब से दुकानदार बुलणा छा कि केनस्टार आउट औफ गारेंटी की सर्विस पर ध्यान कतई नि दींदी , आउट औफ गारेंटीका वास्ता स्पेयर पार्ट्स बि नि मिल्दन। हकीकत मा मि भैरॉक टूर करिक दादर या लोहार चाल का दुकानदारूं से मिलणो अवश्य जांद छौ। मुख्य दुकानदारो तैं द्वी तीन मैना मा पार्टी बि दींद छौ।
मीन अपण मैनेजिंग डायरेकटर से गुस्सा मा बोलि दे कि यु सर्वे बकबास ही ना झुटो च। फिर निर्णय ह्वे कि हेड ऑफिस से द्वी अधिकार्युं दगड़ म्यार दगड़ दादर या लोहार चाल जाल अर असलियत पता लगाल। अधिकतर दुकानदार मि तैं म्यार नाम से जाणदा छा अर काम का दुकानदार मि तैं सेल्स गुरु बि बुल्दा छा यदयपि किचन आपलियेंसेज उद्योग मा अयाँ मी तैं छै मैना ही हुयां छा । फिर सर्विस का बारा मा बि क्वी हमारी शिकायत नि छे पर कुछ दुकानदारूं शिकायत छे कि हमारा स्पेयर पार्ट्स बजार मा नि मिल्दन। यूँ दुकानदारूं हिसाब से केनस्टार अर केनवुड एक ही कम्पनी छे , एक ही ब्रैंड छौ । असल मा अधिकतर दुकानदार सर्वे की गम्भीरता समझदा ही नि छन अर सवालुं जबाब मा अंट संट जबाब दे दीन्दन। मि आज बि दुकानदारूं सर्वे तैं रति भर बि महत्व नि दींद। कुछ ही दुकानदार हूँदन जौंक सोच निरपरेक्ष हूंद। अधिसंख्य दुकानदार प्रोडक्ट का मामला मा भूतकाल गामी हूंदन अर मार्जिन का मामला मा स्वार्थी हूंदन .
फिर आंद बात फील्ड सर्वेयरूं की त दुनिया मा डोअर टु डोअर सेलसमैन अर मार्केट सर्वे का फील्ड सर्वेयर से जादा निराश कौम यीं दुनिया मा हैंक कौम क्वी नि हूंद।
अधिकतर सर्वेयर एक दिन सर्वे करदन अर बकै दिन इनी अपणी मर्जी से क्वेसनरी फार्म भरिक अपण कम्पनी तैं दे दीन्दन। सर्वे का काम छुटि छुटी कम्पनी ही करदन अर कम तनखा मा स्कुल्या छ्वारों से सर्वे करांदन . जब सर्वे करण वाळ ही फ्रस्ट्रेटेड ह्वावो तो वु क्या सही सर्वे कारल ? फिर अप्रशिक्षित सर्वेयर अवश्य ही गलत रिपोर्ट ही कारल कि ना ? ये सर्वेयर अधिकतर चाय की दुकान मा बैठिक फार्म भरदा मील जाल।
आज भी भारत मा मार्किट रिसर्च मा बड़ी मूलभूत समस्या च अर वा समस्या च सर्वेयरूं सर्वे करणो कमिटमेंट। पता ही नि चल्दो कि सर्वेयरन सही सर्वे कार कि अफीक फॉर्म भार।
कुछ ओपिनियन पोल कम्पन्युं लोभ , राजनीतिक पार्ट्यूं लोभ अर सर्वेयरुं बदजाति (अळगस , कमिटमेंटहीनता , अप्रशिक्षण ) का कारण से ओपिनियन पोल की सत्यता पर प्रश्न लग्यां छन। Copyright@ Bhishma Kukreti 26 /2/2014
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