Story by : Mahesha Nand
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आँखा कांणा, कंदूड़ बैरा, कम्मर डुंड्डि अर डगड्यांद हत। ख्वळि गिच्चि, फुल्यूं मुंड, लम्बा घुंज्जा अर दरदरि गत। इनि बान्यू मनिख च कूंता। चार बीसी अर पांच फर च। कुंता इकुलु बांदर सि डंड्यळि जग्वळूं (चौकदरि कन) ज्यूंदि बंण्यूं च खबेस। चार नौना, चार ब्वारी सौब बस्यांन् दुरु परदेस। अफी पकांणि, अफी खांणि हुंयी च। ज्ये पकंणू च, जन्नि पकंणू च, तन्नि खयेंणु च।
कूंता अपड़ा जोगो रूंणू च--- "हूंदि अमंणि ज्यूंदि बुढीड़, रुसै वे कु पकांदि वा। कांज्यु-कफल्यु ज्ये बि हूंदु सरदा कै खलांदि वा।" पंण जोगा ऐथर कै कि नि चली ? जै कS जोगम् जन ल्यख्यूं ह्वालु, वु तन्नि खालु। पापि पुटिग्या बान कूंता चुल्ला अगड़ि बैठ्युं च। खांणा पकांणू अफी पर्वांण बंण्यूं च। कूंतन जबक लगै-लगै कि भांडा औंदम् धैरि द्येनि। भुज्यू भदSळु मुल्या त तव्वा मैला औंदा धैरि द्या।
कूंता रुट्यू खुंणै ढबSड़ि आटु गंमजांणू च। आँखा सुख्यां छन पंण नाक गिल्लु च। नाक तर्र-तर्र आटम् चूंणू च। सर्र नाक फूंजि बुढ्यन् गर्र आटम् ओलि द्या, लतपत रुठळु पाथी चटंट भदSळम् धोळि दंया। आँखा त सप्पा दिखेंणी नि लग्यां छा। भदSळम् काचि भुज्जि अर ऐंच बटि काचु रुठळु। वेन उठा डडळु अर गंजमंज कै खैंडि द्या। भूका मारा तैन सौब बाड़ि जन, कळ्ळ-कळ्ळ घूळि द्या।
अद्दा रातम् पुटगि कन बैठि गुड़गुड़-गुड़गुड़, ढम्म-ढम्म। मचि उदरोळ पुटगि सम्म। बायु छुट्टि भम्म-भम्म। छर्र इना, छर्र उना, बुढ्या रिंगणू फळम्-फळम्।
सुबेर जबक लगैकि बिंगद बुढ्या-- हत-खुट्टा लतपत। ब्याळि खै छौ आलु-काचु, सुलार चूंणू पतपत। चर्री कूंण्यूं छर्क मरीं, खांदु भुर्यूं, खंत्ड़ि भुरीं, खांणै थकुलि सम्म भुरीं।
खुंट्यूं उंद लतग-पतग, भैर-भित्र गंद-बास। सिंटुला रिंगंणा खुंट्या(सीढ़ी) मत्थि, लींडि कुक्कुर लग्यां साSस। अफु फर अफी घिंणांद अर रूंद-रूंद ब्वाद कूंता--- "पापि मिरतू! तु मै कु किलै नि आंणी छै ? ज्यूं मि त्वे उंड भट्यांणू छौं, त्यूं तु फुंड-फुंड जांणी छै।"
कूंता अपड़ा जोगो रूंणू च--- "हूंदि अमंणि ज्यूंदि बुढीड़, रुसै वे कु पकांदि वा। कांज्यु-कफल्यु ज्ये बि हूंदु सरदा कै खलांदि वा।" पंण जोगा ऐथर कै कि नि चली ? जै कS जोगम् जन ल्यख्यूं ह्वालु, वु तन्नि खालु। पापि पुटिग्या बान कूंता चुल्ला अगड़ि बैठ्युं च। खांणा पकांणू अफी पर्वांण बंण्यूं च। कूंतन जबक लगै-लगै कि भांडा औंदम् धैरि द्येनि। भुज्यू भदSळु मुल्या त तव्वा मैला औंदा धैरि द्या।
कूंता रुट्यू खुंणै ढबSड़ि आटु गंमजांणू च। आँखा सुख्यां छन पंण नाक गिल्लु च। नाक तर्र-तर्र आटम् चूंणू च। सर्र नाक फूंजि बुढ्यन् गर्र आटम् ओलि द्या, लतपत रुठळु पाथी चटंट भदSळम् धोळि दंया। आँखा त सप्पा दिखेंणी नि लग्यां छा। भदSळम् काचि भुज्जि अर ऐंच बटि काचु रुठळु। वेन उठा डडळु अर गंजमंज कै खैंडि द्या। भूका मारा तैन सौब बाड़ि जन, कळ्ळ-कळ्ळ घूळि द्या।
अद्दा रातम् पुटगि कन बैठि गुड़गुड़-गुड़गुड़, ढम्म-ढम्म। मचि उदरोळ पुटगि सम्म। बायु छुट्टि भम्म-भम्म। छर्र इना, छर्र उना, बुढ्या रिंगणू फळम्-फळम्।
सुबेर जबक लगैकि बिंगद बुढ्या-- हत-खुट्टा लतपत। ब्याळि खै छौ आलु-काचु, सुलार चूंणू पतपत। चर्री कूंण्यूं छर्क मरीं, खांदु भुर्यूं, खंत्ड़ि भुरीं, खांणै थकुलि सम्म भुरीं।
खुंट्यूं उंद लतग-पतग, भैर-भित्र गंद-बास। सिंटुला रिंगंणा खुंट्या(सीढ़ी) मत्थि, लींडि कुक्कुर लग्यां साSस। अफु फर अफी घिंणांद अर रूंद-रूंद ब्वाद कूंता--- "पापि मिरतू! तु मै कु किलै नि आंणी छै ? ज्यूं मि त्वे उंड भट्यांणू छौं, त्यूं तु फुंड-फुंड जांणी छै।"
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