Modern Garhwali Chivalry Folk Songs, Chivalry Poems
तीलू रौतेली -धकी धै धै (वीर रसीय गढ़वाली कविता )
रचना -- विमल साहित्यरत्न ( जन्म 1935 , जिनोरा, पोखड़ा , पौड़ी गढ़वाल )
Poetry by - Vimal Sahityaratna -
( गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग - 63 )
( गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग - 63 )
-इंटरनेट प्रस्तुति और व्याख्या : भीष्म कुकरेती
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आ तीलू को डंका बजीगे मरदो
ओ तीलू को झंडा फहरैगे मरदो
रण भेरी मारू बाजीगे मरदो
ढोल दमौऊं गाजीगे मरदो।
घिमंडु की हुड़की कड़कीगे मरदो
बल्लू की डौरी भड़कीगे मरदो
शूर शार्दूल ऐ गैने मरदो।
यूँ माई का लालोंन मरदो
उख धरती लाल करी आण मरदो
कन कै जि आण हत्यारौंन मरदो
गंगा का ए छाल कत्यूरौंन मरदो
आंधी तूफ़ान सी उड़ि गैने मरदो
क्रुद्ध खाडू सी भिड़ि गैने मरदो
सिरड्या जत्या सी अड़ि गैने मरदो
नरसिंग शार्दूल बिख़िड़ि गैने मरदो।
ब्रज सी बढ़ी बढ़ीने मरदो
मूंछ मरोड़दा पैटीने मरदो
जैं तीलू रौतेली ब्वलदीने मरदो
जै बद्री -केदार ब्वलदीने मरदो।
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