Folk Mantr Literature in Kumaun and Garhwal
(Mantra Tantra in Garhwal, Mantra Tantra in Kumaun, Mantra Tantra in Himalaya)
(Ref Abodh Bandhu Bahuguna, Dr Vishnu Datt Kukreti, Manuscripts from Gokul Dev Bahuguna (Jhala PG), Rmakrishn Kukreti (Barsudi, ) Dharma Nand jakhmola (Jaspur) Mahima Nand Baluni (Uttinda Pauri Garhwal)
Smamina is the collection of various Mantra . Samaina also informs a few Tantrik process while narating the Mantra. In samaina we find the characteristics of deityes too Samaina describes the positive and brave characteristics of more than ten deities and also describes about bad evils . The most important aspect of this mantra literature is that the mantra deals with historical character Dhamdev king of Katyuri dynesty of Kumaun and deals with local characters too
श्री गणेशाय नम: श्री गुरु चरण कमलेभ्ये नम : ॐ नमो गुरु को आदेस गुरु को जुवार विद्वामाता कु नमस्कार . अथा सुमैण विधयाँण लिखिते . ॐ नमो निलम द्यौ सुकिली सभा बोल्दी कालीझालीमाली देवी . गोरिखाडा खेत्रपाल बेतालमुखी छुरी: खेगदासझाळी भाली देवी सुजस जैपाल ब्रना महरि : लेंडा महरि कुव महरि छमना पातर गुरु बेग्दास झाली माली देवी तन का रंग सिकुवा महर सात भाई कोठी सात भाई फलदा कोठी . राजा धामदेव का दश भाई दुलंच का बैठण वाल़ा . सोळ सौ कैतापुरी नकुवा मासाण लागी अत्याचार सांदणि सादो बांदणि बंदो . पकड़ी लायो सगती पाताळ धरती फुठी का पाठ राजा धामदेव का पाठ ध्यानसिंग भवन का पाठ प्रिथी का मालिक आजित महल भवरू घोड़ी का असिवारी डबुवा बिछुवा सणि आमा बैद का नाती धामदेव का नाती : कलुवा बैद का बिछुवा मसाणि खड़साणि शांसुळीकोट फलदा जुद्ध मा कुमाऊं पर्याणा . गुरु खगदास आलू भट्ट को नाती तालू भट्ट को नाती जलकमल को नाती थल्कमल को नाती लाब्री भोटन्त को नाती गुजरात देस को कालदास मोहन दास कनपणि कालदास खेगदास दुलंचा का बैठण वाला राजा का बाण सुर विक्रम कि नातेण कोटा रग्री कि नातेण शाम्साई कि शार्दूला जने निम् धर्म लगायो बरत सत कयों हरद्वारी फेर लगायो बद्री घांद चढायो
श्री गणेशाय नम: श्री गुरु चरण कमलेभ्ये नम : ॐ नमो गुरु को आदेस गुरु को जुवार विद्वामाता कु नमस्कार . अथा सुमैण विधयाँण लिखिते . ॐ नमो निलम द्यौ सुकिली सभा बोल्दी कालीझालीमाली देवी . गोरिखाडा खेत्रपाल बेतालमुखी छुरी: खेगदासझाळी भाली देवी सुजस जैपाल ब्रना महरि : लेंडा महरि कुव महरि छमना पातर गुरु बेग्दास झाली माली देवी तन का रंग सिकुवा महर सात भाई कोठी सात भाई फलदा कोठी . राजा धामदेव का दश भाई दुलंच का बैठण वाल़ा . सोळ सौ कैतापुरी नकुवा मासाण लागी अत्याचार सांदणि सादो बांदणि बंदो . पकड़ी लायो सगती पाताळ धरती फुठी का पाठ राजा धामदेव का पाठ ध्यानसिंग भवन का पाठ प्रिथी का मालिक आजित महल भवरू घोड़ी का असिवारी डबुवा बिछुवा सणि आमा बैद का नाती धामदेव का नाती : कलुवा बैद का बिछुवा मसाणि खड़साणि शांसुळीकोट फलदा जुद्ध मा कुमाऊं पर्याणा . गुरु खगदास आलू भट्ट को नाती तालू भट्ट को नाती जलकमल को नाती थल्कमल को नाती लाब्री भोटन्त को नाती गुजरात देस को कालदास मोहन दास कनपणि कालदास खेगदास दुलंचा का बैठण वाला राजा का बाण सुर विक्रम कि नातेण कोटा रग्री कि नातेण शाम्साई कि शार्दूला जने निम् धर्म लगायो बरत सत कयों हरद्वारी फेर लगायो बद्री घांद चढायो
Copyright Bhishma Kukreti for commentry
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