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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, May 25, 2011

हंत्या जागर ( कलेरा या रान्सो)

Culture of Kumaun and Garhwal

Hantya Jagar
हंत्या जागर ( कलेरा या रान्सो)

(Spiritual Folk Literature of Kumaun , Garhwal and Himalayas )

Presented on Internet by Bhishma Kukreti

Hantya Jagar or Songs to please the dead soul of beloved (Gharbhoot) are also called Bhoot ka Kalera or Ranso

When the Jagari (the singer of Jagar or Vartakar ) narrates the narration in Jagar pattern the audience feel the pathos.

The following two Jagars are one of the best example of Pathos in Garhwali Folk literature and the emotions as Grief, Awe, Detachment, Remorse, fatigue, Depression, anxiety, delusion, Agitation, dejection, Epilepsy, Insanity, Disorder, Terror, Choking of voice, tears etc in wordings of jagar, while Pashva (who dances on behalf of dead soul ) and among the audience who come to listen Ghadela

यह जागर एक स्त्री आत्मा के निमित जागर है जो घरभूत पुजाई के वक्त घड़ेल़ा में जागरी सुनाता है इसे सुनकर व पश्वा के करुणा जनक नृत्य से दर्शक रोने लगते हैं
तेरी छोडि च बोई चाखुड सि टीली
तेरी होली बोई जसी माता को पराणि
होला बोई पराणि जसी पाफड़ सी पाणी
कनो रई होली बोई तेरो उबाण रीट दो
कनो रई होलो बोई तेरी उकाळ छौम्पदो
जसी होली बोई तेरी द्युराणी जिठाणी
तीन बोली होलू ब्व़े मी हर्ष देखुलो
कै कालन डाळी होलो ब्व़े जोड़ी मा बिछोड
यखिम बैठ्युं च ब्व़े तेरा सिर कु छतर
देखी भाळी जान्दु अपणी इ भैरो भीतरी
देखी जा दों ब्व़े ईं रौन्त्याळी गँवाडि
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निम्न कलेरे में एक युवक की ह्न्त्या नचाई जा रही है और इस गाने में जागर में करुण रस देखिये: ----------------------------------------------------
कनि छे भुला तेरी वा हौन्सिया उमर
कनि छो चुचा तू जै को पियारो
देख बैठ्याँ यखी म तेरा गोती सोरा
दूदा ब्व़े हुयीं चा या तेरी निपूती मयेड
कनि छे भुला तेरी वा जोड़ी सौंजडि
उना मयाल़ा सुभाऊ का रै यकुला रै तू
मर्दि बगत भुला त्वेन पाणी बि नि पियो
बिदेसू जगा होई तू भुचेणि नी पायो
कख गै ह्वेलो भुला तू तैं मयेडि ऐसे की
डारी मा की छुटी च त्य्री भग्यान ब्वारी
मौत सबकू औंद आग सबकू जगौन्द
तिन कायर नि होणु सागर कु पाणी समंद
Collected and edited by Abodh Bandhu Bahuguna in Dhunyal page 63
Regards
B. C. Kukreti

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