Culture of Kumaun and Garhwal
Gantha ki Samagri a Performance of Kumaun Garhwal
गांठा कि हेतु तांत्रिक सामग्री
(Mantra Tantra in Garhwal, Mantra Tantra in Kumaun , Tantra Mantra in Uttarakhand , mantra Tantra in Himalaya )
Web Presentation by Bhishma Kukreti
Collected and Edited by Abosh Bandhu Bahuguna
Normally, the language of Mantrik or Tantrik literature of Kumaun and Garhwal is Braj/Khadi Boli but here, the language is Garhwali . This change clearly states/ indicates that this manuscript is quite new (around ninteenth century and afterwards. It also clearly shows tha Abodh Bandhu Bahuguna edited it according to his wordings too )
गांठा की सामग्री
संकलन : अबोध बंधु बहुगुणा
अब गांठा की सामग्री लेषीत. पैल धूप देण . गेगाड़ो सुकाण . गैणा गू . रतागुळी की जड़ . . सूकी हल्दी . वज बराह की मेंमण . मर्च की जड़ . रूद्र का फूल . हड़ताळ गंधप इति .चीजी को धूप देणो . पैल़े गाऊं माझा जब गांठो करणों होव ट सामिग्री गुगुळ काल़ो बिष . भुत्केश कस्तुरी , काला धतूरा को जड़ . हींग, :बर्ज : : सर्वजीवनु डाला सर्व जीवनु नकल जडों सुदा आँक को जड़ , इति चीजे कठा पीसिक कूतिक चन्दन सि बणाण तांको गोला बणोण : स्र्व्जीव्नु की अमीर ,सर्व औषधि एक रतगुळी की जड़ सपेद पपड़ी की जड़ इति चीज सब भसम बनौण विभूति बणोण अपणा अंग पर मली तब सीर पर ल़ाणी नाग पर ल़ाणी बिडोणी पर ल़ाणी आफुक बि गांठो करणो येती चीजे सब गांठों पर धरणी दुखियों पर गांठा ल़ाण : षड मन्तर करणो ; सात सुट को पाणी झुंजण की जड़ डाळी सुदा तुलसी की जड़ डाळी सुदा ताछडि कि जड़ डाळी सुदा हिश्रा कि जड़ डालि सुदा किलगोड़ा कि जड़ डाळी सुदा इति चीजौन षड मंत्र करणो : सात बेरी सात चुल़ू दुखी सणी पेणु कु देणा और गांठों पर राज्श्थान कि माटी हरताल गंधप कुमाळी को माटो जड़ाउ को सिंग घोड़ाखुरि इति छेजे गांठों पर धरणी बिच गाँव मांझ कालिच्क्र लेखणो चक्र कि काख पर लांग पर हणमंत उठौणो : कुडा माझ श्रीनादबुद भैरों उठौणो काल़ो मेड़ो का आठ अंगुळ सींग होवन सो मेडा जापणो काळी कुत्ती सणी सात घरु कि खीचडि खैलौणी गाऊं मांझ भौत दुःख पोड त इतना जतन करणो बडो लोचडा पड़े त कोरा घडा पर येकोत्र सै कांडा धरणा : सरा गौं को सतनाज सब का नंग बाळ धरणो : वई घडा पर सर्व द्र्ष्तु का जड़ हरताल गंधण इति चीजे घडा पर धरणी सेमळ कि डाळी घडा पर धरणी घडा को मुख मुन्दिक मुणज्याड़ो बाँधणो कूड़ामांझ धरौणो तब भलो होऊ : जब भलो होव तब दिसौ माझ चार बले दीण चार दिसौ खीचड़ो पूरब बकरा उन्न मुर्गा पसीम गेगाड़ो दक्षिण ब्रजमुखो स्वा सेर को रोट अपणा इष्ट देव को काटणो गांठा तोड़ी देणा व गांठ घडा मा फूकी देणो व हणमंत पाणी मांझ सेल़ाइ देणो : तब गाँव को इष्टदेवता पुजणो गाईदान करौणो गाओ सुजाई देणो तब भलो हवे : पैल अफूको गाँठ करणो आफो खंडत चौंळ
नि खाण अपणो आसण अलग रखणो पराळ को आसण राखण एक बेळी भोजन करणो आफो तख को दूद दही नि खाणो अस्त्री संगम नि करणो तब करामात रंद : तीन दप ताईं षड़ मंत्र दुरोणो तब लोचड़ो जाव शुभम शुभम शुभम
Regards
B. C. Kukreti
Director
Factory Retail (I) Limited
3, White Hose, 154 Sher E Punjab ,
Near Tolani College
Andheri (East)
Mumbai 40093
Contact 9920066774
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