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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, May 23, 2011

गढ़वाली कविता :द्वी अक्तूबर

गांधी का देश मा
हुणी च आज गाँधी वाद की हत्या
बरसाणा छीं शस्त्र- वर्दी धारी
निहत्थौं फर गोली - लट्ठा
सिद्धांत कीसौं मा धैरिक
भ्रस्टाचारी व्हे ग्यीं यक्ख सब सत्ता
जौलं दिखाणु छाई बाटू सच्चई कु
निर्भगी वू अफ्फी बिरडयाँ छीं रस्ता
ईमानदरी मुंड -सिरवणु धैरिक नेता यक्ख
तपणा छीं घाम बणिक संसदी देबता
दुशाषण खड़ा छीं बाट -चौबटौं मा द्रोपदी का
और चुल्लौंह मा हलैय्णी चा सीता अज्जी तलक
और गाँधी वाद बणयूँ चा सिर्फ विषय शोध कु
बणी ग्यीं कत्गे कठोर मुलायम गाँधी-वादी वक्ता
अब तू ही बता हे बापू !
द्वी अक्टुबर खुन्णी जलम ल्या तिल एक बार
किल्लेय हुन्द बार बार यक्ख
द्वी अक्टुबर खुण फिर गांधीवाद की हंत्या ?
निडर घुमणा छीं हत्यारा
लिणा छीं सत्ता कु सुख
न्यौं सरकारौं कु धरयुं च मौन
और लुकाणा छीं गांधीवादी मुख
और किल्लेय गांधीवाद यक्ख
न्यौं -अहिंसा का बाटौं मा लमसट्ट हुयुं च
और मिल त यक्ख तक सुण की अज्काळ
गाँधी का देश मा
गांधीवाद थेय आजीवन कारावास हुयुं च ?
गांधीवाद थेय आजीवन कारावास हुयुं च ?
गांधीवाद थेय आजीवन कारावास हुयुं च ?


(उत्तराखंड आन्दोलन के अमर शहीदों को इस आस के साथ समर्पित की एक दिन उन्हे इन्साफ जरूर मिलेगा और उनका समग्र विकास का अधूरा स्वप्न एक दिन जरूर पूरा होगा )


रचनाकार :गीतेश सिंह नेगी ( सिंगापूर प्रवास से,सर्वाधिकार -सुरक्षित, )
अस्थाई निवास: मुंबई /सहारनपुर
मूल निवासी: ग्राम महर गावं मल्ला ,पट्टी कोलागाड
पोस्ट-तिलखोली,पौड़ी गढ़वाल ,उत्तराखंड
स्रोत : म्यारा ब्लॉग "हिमालय की गोद से " मा पूर्व-प्रकशित
( http://geeteshnegi.blogspot.com )

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