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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Friday, April 2, 2010

डाक्टर विपिन पंवार की थपडलगान्दी गजल

१- कै कै थैं समझौलू भैजी
ये मुल्कौ अब क्या होलू भैजी

२- खाट च झिल्ली , टाट चिर्युं
सीला पाखों अब क्या होलू भैजी

३- धौण धरीं च ड्यारादूण म
गैरसैण अब क्या होलू भैजी

४- बांदर तापणा घाम धुरपळीम
कुकुर भित्र सब क्या होलू भैजी

Copyright @ Dr Vipin Panwar , paudi, garhwal, 2010

1 comment:

  1. Dhanyvaad for the poem..please correct the poet name in this GAZAL..actually the name is .....VIRENDRA PANWAR

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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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