१- कै कै थैं समझौलू भैजी
ये मुल्कौ अब क्या होलू भैजी
२- खाट च झिल्ली , टाट चिर्युं
सीला पाखों अब क्या होलू भैजी
३- धौण धरीं च ड्यारादूण म
गैरसैण अब क्या होलू भैजी
४- बांदर तापणा घाम धुरपळीम
कुकुर भित्र सब क्या होलू भैजी
Copyright @ Dr Vipin Panwar , paudi, garhwal, 2010
Dhanyvaad for the poem..please correct the poet name in this GAZAL..actually the name is .....VIRENDRA PANWAR
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