तन से प्यारा होता है,
उन्हें घास का तिनका,
उत्तराखंड की पहाड़ियों पर,
पशुओं के लिए घास काटते,
कहीं दूर जलश्रोत से,
गागर में पानी लाते हुए,
जंगल से चूल्हे के लिए,
सूखी लकड़ी लाते हुए,
पति और परिवार की सेवा,
सच्चे भाव से करते हुए,
सामाजिक बुराईयौं से,
सर्वदा लड़ते हुए,
बीतता है कठिन जीवन जिनका,
वे हैं "पर्वतीय महिलाएं",
पहाड़ जैसे इरादों का संकल्प,
मन में धारण किए.
रचनाकार: जगमोहन सिंह जयाड़ा "ज़िग्यांसु"
(सर्वाधिकार सुरक्षित ९.३.२०१०)[/
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments