उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Thursday, April 1, 2010

प्रियतमा बिन उदास होता है बसन्त

प्रियतमा बिन उदास होता है बसन्त
ढलका कर ओंस की बूंद रोता है बसन्त

सुबह उडारी भरते पंछी भी लौट आते हैं
सांझ में खुद को अकेला पाता है बसन्त

खिलखिलाने को होती है जब भी जोर-जबर
हंसने से खुद को रोक जाता है बसन्त

इस आबो-हवा में कैसे जीने का मन करे
आसमान को ताकने पर डर जाता है बसन्त

ऐसे लाल, हरे, पीले, नीले होने से क्या फायदा
शायद आयेगी बहार ‘धनेश’ इन्तजार में रहता है बसन्त॥

Copyright@ Dhanesh Kothari

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments