साखनीधार, बद्रीनाथ मार्ग के निकट है,
श्रीमती मगनी देवी जी का गाँव,
बहादुरी की मिशाल उनकी,
विस्मय में डाल देती है,
जब उन्होंने जंगल में,
घास काटते हुए देखा,
तीन बच्चों पर वार करते हुए,
एक बर्बर रीछ को,
मजबूर कर दिया उसको,
धावा बोलकर पत्थर से,
भाग जाने को तुरंत,
जान बचाकर उल्टे पाँव.
रीछ से तीन बच्चों को बचाकर,
अपने को भी बचाया,
और अपने तीन बच्चों को भी,
माता विहीन होने से,
और प्राप्त किया,
इस महान कार्य के लिए,
भारत की राष्ट्रपति जी से,
"जीवन रक्षा पदक-२००८".
उत्तराखंडी समाज के लिए,
है न फक्र की बात,
मान बढाओ देवभूमि का,
श्रीमती मगनी देवी जी की तरह,
जिनको देखा कवि "ज़िग्यांसु" ने,
और ज़िग्यांसावश पूछा उनसे,
उनके साहसिक कार्य का,
आँखों देखा हाल उनकी जुबानी,
जिसे प्रस्ततु कर रहा हूँ,
कविता के रूप में,
क्योंकि मेरे मन में है,
उनके महान कार्य के लिए,
उनके प्रति सम्मान.
रचनाकार: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासू"
(सर्वाधिकार सुरक्षित,उद्धरण, प्रकाशन के लिए कवि,लेखक की अनुमति लेना वांछनीय है)
ग्राम: बागी नौसा, पट्टी. चन्द्रबदनी,
टेहरी गढ़वाल-२४९१२२
निवास: संगम विहार, नई दिल्ली
5.1.2010, दूरभास:9868795187
E-Mail: j_jayara@yahoo.com

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