पहाड़ के हर पत्थर में,
एक मूर्ति छुपी होती है,
जब कोई मूर्तिकार,
तराशता है पत्थर को,
कल्पना होती है साकार,
अहसास होता है तब,
मूर्तिकार के संकल्प से,
पत्थर पिघल गया,
और ढल गया,
एक कलाकृति के रूप में.
देखी होंगी मित्रों आपने,
देवभूमि उत्तराखंड में,
देवी देवताओं की मूर्ति,
जिन्हें तराशा होगा,
पहाड़ के पत्थरों में से,
देवभक्त मूर्तिकारों ने,
संकल्प लेकर,
देखेंगी आने वाली पीढ़ी,
आस्तिक के रूप में.
रचनाकार: जगमोहन सिंह जयाड़ा "ज़िग्यांसु"
(सर्वाधिकार सुरक्षित १६.२.२०१०)
ग्राम: बागी-नौसा, पट्टी.चन्द्रबदनी, टिहरी गढ़वाल
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