उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Sunday, September 4, 2016

Satire, send-up, spoof, lampoon, wit Garhwali Poems by Dr Kaleshwari

प्रथम बुलेटिन:
Satire, send-up, spoof, lampoon, wit Garhwali Poem)
Garhwali Poetry by Dr Satish Kaleshwari, डा.सतीश कालेश्वरी।
-
समाचार''सुण्दा रावा …...ख़ास ख़बरौंसिलसिला अबि ज़ारी चा।
आपदा ला कबि गढ़वाल,कबि कुमौं ठिकाणु बणै।
नेताओं चिन्ता नि कैकी,
मुंगरी खांद फोटु खिंचै।
सरकार बचैकिनिभै यालि जिम्मेदारी चा।
सुण्दा रावा …...ख़ास ख़बरौं सिलसिला अबि ज़ारी चा।
नेगीजी फर लगीं आस,अफुसे त् कुछ बि नी ह्वे।
नयु बणै दे गीत दिदा,तबि होलि सतरा मा बिजै।
दोस राहुको नि कटिसनिकि दृष्टि भारी चा।
सुण्दा रावा …...ख़ास ख़बरौं सिलसिला अबि ज़ारी चा।
बगाबतन् कुछ नि ह्वे,अपड़िहि जैजाद लुटै।
होरों हक़ लुछणा खुणि,तौंका घौर डेरा जमै।
मौका देखि छिरका-छिरकी माहि होसियारी चा।
सुण्दा रावा …...ख़ास ख़बरौं सिलसिला अबि ज़ारी चा।
कांग्रेसियौं नौ टिकट नया ,भाजपाइयों नौ टिकट गया।
बाग्युंकि बल रैल़- पैल
बणद्न जन भोल़ हि मुखिया।
तौंमा बल निकम्मु नि क्वी,न क्वी भ्रष्टाचारी चा।
सुण्दा रावा …...ख़ास ख़बरौं सिलसिला अबि ज़ारी चा।
(प्रथम बुलेटिन: समाप्तम् - द्वितीय एक ब्रेक का बाद)
सर्वाधिकार सुरक्षित- डा.सतीश कालेश्वरी।

★★★★★

''द्वितीय बुलेटिन''
Satire, send-up, spoof, lampoon, wit Garhwali Poem)
Garhwali Poetry by Dr Satish Kaleshwari, डा.सतीश कालेश्वरी।

--
सुण्दा रावा …...ख़ास ख़बरौंसिलसिला अबि ज़ारी चा।
उत्तराखण्डै चुनौ खुणिधौंसनकै जोड़ी टिपुड़ि।
होरूँ बाँठा सिकार भातहम्अरा हात गुन्ठा चुसणि।
मुक-भितर त मिठ्ठा बोलभैर ऐ किल़क्वारी चा।
सुण्दा रावा ……ज़ारी चा।
क्वी जतन नी आणू काममवसि अब लग्द घाम।
उत्तराखण्ड घौ का बादअरुणाचल डम-डमु डाम।
तोड़-फोड़ै राजनीतिनसा नी बिमारी चा,सुण्दा रावा 
बल बिधायक मार खैघुवाड़न् टंगुड़ तुड़ै।
मूरती रिसपना चौकहटाणिछै त् क्यो लगै?
पसु तो नी पूछ सकदामनख्यौं क्य लाचारी चा।
सुण्दा रावा …...
सरकारै नई कारगुजारीउपनल का करमचारी।
माँग नजैज बथैकीपुलिसन् छक्वेकि मारीं।
राज्य का निबासियुं फरैंअयीं बिपदा भारी चा।
सुण्दा रावा …..
गौंमा सुंगरबंदर स्यालखेतिका ना पूछा हाल।
खबर च कि उत्तराखण्डबि,आणि मोजाम्बिक दाल़।
ऐंच बटै अयीं याघोसणा सरकारी चा।
सुण्दा रावा …...
ख़ास ख़बरौंसिलसिला अबि ज़ारी चा।
*******
द्वितीय बुलेटिन: समाप्तम् -15.7.2016सर्वाधिकार सुरक्षित- डा.सतीश कालेश्वरी।

★★★★★

तिसरू बुलेटिन
 Satire, send-up, spoof, lampoon, wit Garhwali Poem)
Garhwali Poetry by Dr Satish Kaleshwari, डा.सतीश कालेश्वरी।

-
सुण्दा रावा …...ख़ास ख़बरौंसिलसिला अबि ज़ारी चा।
// खून खौलि जवानूँ को,ब्योपारियुँ किसानुँ को।
कश्मीरमा बगत बुरू ,बानी बुरहानूँ को।
घड़ियाली आंसु पाक” की पुराणि बिमारी चा।
सुण्दा रावा …...ज़ारी चा।
// खुस त होला बब्बर साबयू पी मिल्गी बड़ु जौब।
उत्तराखण्ड त बजै बंसी,लखनौ खयेला कबाब।
यू.पी रस्ता दिल्ली कुर्सी हत्याणै की बारी चा।
सुण्दा रावा ……ज़ारी चा।
// रीतान् बिस्बास ख्वै,राहुलान् ल्वटु डुबै।
फुट्युँ जाज पार लाणौ,प्रियंका तिलक पिठै।
कांग्रेसथैं शीलाजीत’ चटाणै तैयारी चा।
सुण्दा रावा ज़ारी चा।
// राज्योंका मुख्यमंत्रियुं की,दिल्लीमा जुटी जमात।
सैरा दिन मगज खपै,ब्यखुनदा लैमचूस हात।
पी.एम. की चा पकोड़ी मजबूरी की यारी चा।
सुण्दा रावा …..ज़ारी चा।
// सिद्धु को मिड आन छक्का,परगट को फील्ड गोल।
उड़ता-पंजाब’ ल् ध्वलि,
बड़ा-बड़ा महारथी रौल़़।
चुनौ ओलम्पिक मा ये दा नै खिलाड़ियुं बारी चा।
सुण्दा रावाख़ास ख़बरौंसिलसिला अबि ज़ारी चा।
*******
तिसरु बुलेटिन: समाप्तम् -21.7.2016डा.सतीश कालेश्वरी
★★★★★

चौथु बुलेटिन Satire, send-up, spoof, lampoon, wit Garhwali Poem)
Garhwali Poetry by Dr Satish Kaleshwari, डा.सतीश कालेश्वरी।

-
सुण्दा रावा …...ख़ास ख़बरौंसिलसिला अबि ज़ारी चा।
//पहाड़ौं को दरकणू,बरखा कू उत्पात।
बिद्या कसम भैजी येमा ,बिरोधियुँ कू हात।
आरटीआई बटि गड़िं पुख़्ता जानकारी चा।
सुण्दा रावा …...ज़ारी चा।
// बौड़ना छिं कांवड़िया,मन्दिरूँमा जल चड़ाण।
मैनों तलक हम भोग्ला,यूँकि गुवाण चिराण।
भंगल्या-सुलफ्या भक्तुँकि,बम्म-बम्म बमबारी चा।
सुण्दा रावा …...ज़ारी चा।
// ‘मान’ की करतूत बणि,आपै गौल़ा आफत।
मुस्किलुँ नाज़ुुक घड़ी,
सत्ता’ मीली ताक़त।
गुजरात अर माया मैल फुँजणै अदाकारी चा।
सुण्दा रावा …..ज़ारी चा।
// गाल़्ययुँकु बेम्यादि ज्वर,
दया्’ सरै माया’ फर।
दया’ द्ये दवा कुनैन,होरूँकू नि क्यो जिकर?
तुम द्वीहम चार ठोक्ला भावना धिक्कारी चा।
सुण्दा रावा …..ज़ारी चा।
// अबि-अबि घुसपैठकि ,खबर सूणी मी न।
यो आतंकी पाक नी च,चमोल़ी पौंचि चीन।
चला द्यखदौं युँ द्वीयुँमा क्वो बड़ु सिकारी चा।
सुण्दा रावाख़ास ख़बरौंसिलसिला अबि ज़ारी चा।
*******
चौथु बुलेटिन: समाप्तम् -28.7.2016डा.सतीश कालेश्वरी

★★★★★
पाँचौ बुलेटिन
-
(Satire, send-up, spoof, lampoon, wit Garhwali Poem)
Garhwali Poetry by Dr Satish Kaleshwari, डा.सतीश कालेश्वरी।

-----------------
सुण्दा रावाख़ास ख़बरौं,सिलसिला अबि ज़ारी चा।
//जिकुड़ि ढुँगु धैरी सूणा,कथा यूपीस्तान की।
झुलि चिथड़ा-चिथड़ा ह्वेगि,बेटी-ब्वे का मान की।
नेता-पुलिस भयातै कि,पब्लिक आभारी चा।
सुण्दा रावा...........ज़ारी चा।
//जैनी प्रकरण आफत,बड़ि मुस्किलूँन् छूटी।
हैंक नयु आरोपै घड़ा,हरकु भुला मुंडमा फूटी।
बाग़ी दाग़ी कुछ बि बोला,मन्खि चमत्कारी चा।
सुण्दा रावा...............ज़ारी चा।
//बिकासका नौं फरैं,मंत्रीमण्डल ह्वे बिस्तार।
चव्वन मैना घुय्याँ छिलिनिं,छै मैनोंम् ज्य होलु यार।
असंतुष्टों जल़ड़ा कटिनि,अब हम्अरि बारी चा।
सुण्दा रावा..............ज़ारी चा।
//'मुलैमबुना 'पाकभुला,चीनीयुँ थैं धोक्केबाज ।
'
भगत जी', बयान दीणा,ब्याल़ि ऐ छा,चलगिं आज।
खबर-सार ल्हीण आणु,चीनियुं सदाचारी चा।
सुण्दा रावा................ज़ारी चा।
//कुँगल़ि कांग्रेसि गात,यू.पी. नि सुहाणि।
जन-सम्पर्कै बीचिमा,तब्यत बिगड़ जाणि।
पैलि शीला फिर सोन्याजि,जुगलबन्दी न्यारी चा।
सुण्दा रावाख़ास ख़बरौं,सिलसिला अबि ज़ारी चा।
★★★★★
पाँचौ बुलेटिन: समाप्तम् -4.8.2016डा.सतीश कालेश्वरी।
(Satire, send-up, spoof, lampoon , wit  Garhwali Poem)
Garhwali Poetry by Dr Satish Kaleshwari, डा.सतीश कालेश्वरी।
★★★★★
छट्टु बुलेटिन.....
-
(Satire, send-up, spoof, lampoon , wit  Garhwali Poem)
Garhwali Poetry by Dr Satish Kaleshwari, डा.सतीश कालेश्वरी।
-
सुण्दा रावा …...
ख़ास ख़बरौंसिलसिला अबि ज़ारी चा।
// धुनारल् गाड तरी,काठौ डूँडो लाण छाल़ा।
वीई डूंडो रड़कै गाड,छुटभुल्ला नेताओं ला।
मनणा नीं कमै न् वेकीपल़णि कुटुमदारी चा।
सुण्दा रावा ख़ास ख़बरौं,सिलसिला अबि ज़ारी चा।
(
धुनार -नाविकडूंडो- नाव)
// पैलि अल्पमत मा घेरी,पाछइस-टिंग मा फंसै।
रेप की रपट लिखैकि,
जैनी’ नौंकु जिन जगै।
हरदा’ थैं ये केस माफंसाणै तैय्यारी चा।
सुण्दा रावा ख़ास ख़बरौं,सिलसिला अबि ज़ारी चा।
// म्वर्यां मन्खियुँका सरेल,संजीबनि डल्द प्राण।
डाक्टरूँकि टीम पैटी,द्रोण पाड़मा खुज्याण।
कुर्सि बचि जालि बलाऔषधि गुणकारी चा।
सुण्दा रावा ख़ास ख़बरौंसिलसिला अबि ज़ारी चा।
// बेघर कोश्यारीतिवारी,खंडूरीबौगुणानिशंक ।
जन्ताकी मिनतै कमैइबणि यूंका बगलौं जंक।
यू.पी वल़ु फैसला अबयूं परैं बि भारी चा।
सुण्दा रावा ख़ास ख़बरौं,सिलसिला अबि ज़ारी चा
भुलि ए भुलि! सुबेरो घाम,दिखै ग्याई भुला नरू
बिधाता की चक्रचाल़,कैगि किलै बंटवरू?
गढ़वल़ि फिल्मूंकि बुनैहानि यो करारी चा।
सुण्दा रावा ख़ास ख़बरौं,सिलसिलाअबि ज़ारी चा
******
11.8.2016
डा.सतीश कालेश्वरी।

★★★★★★★
सातौं बुलेटिन (Satire, send-up, spoof, lampoon , wit  Garhwali Poem)
Garhwali Poetry by Dr Satish Kaleshwari, डा.सतीश कालेश्वरी।
★★★★★★★
सुण्दा रावाख़ास ख़बरौं,सिलसिला अबि ज़ारी चा।
// सन् अड़तालिस का बाद,पी.ओ.के. का ल्हीनी हाल।
देसका नेताओं ला,सोचि चल़ि 'तुरुप चाल़'
हम्अरि छन वो डांडी-कांठी हम्अरि हैरी सारी चा।
सुण्दा रावा…………. जारी चा।
// रिसिकेस कर्ण प्रयाग,छुक-छुक कर्द आल़ि रेल।
अबि बटि पकणि खिचड़ि,कनुक्वै ह्वे योजना फेल।
श्रेय ल्हीणौगौं-गौल़ौमा जूतम पैजारी चा 
सुण्दा रावा…………. जारी चा।
// झण्डा फहरीमिठै बंटि,भासणसंकल्प ह्वेनी।
द्वी मिनट मन कु उमाल़,वेका बाद टुप्प स्येनी।
पन्द्रा अगस्तकि छुट्टी यांक्वि मंगल़कारी चा।
सुण्दा रावा…………. जारी चा।
// हैंसदा ख्यलदा ऐंसु फिर,रखड़ि कू त्युहार ऐ।
मर्यादा रखड़ि निभोंलुु,भयुंन यू बचन द्ये।
भै-बैण्युं संबंधुकि रीति-प्रीति न्यारी चा।
सुण्दा रावा खा़स ख़बरौं सिलसिला अबि ज़ारी चा।
★★★★★★★
सातौं बुलेटिन: समाप्तम् -18.8.2016डा.सतीश कालेश्वरी।
(Satire, send-up, spoof, lampoon, wit Garhwali Poem)
★★★★★★★★
Poem illustration Contemporary politics
आठौं बुलेटिन (Satire, send-up, spoof, lampoon , wit  Garhwali Poem)
डा.सतीश कालेश्वरी (Dr. Satish Kaleshwari
-
-
सुण्दा रावाख़ास ख़बरौं,सिलसिला अबि ज़ारी चा।
// रियो दि जिनेरियो,खेल खतम पैंसा हजम।
सिन्धु,साक्षी बेटियुंला,दिखै अपड़ु दम-खम्म।
नौन्युंला त् रखि लाजनौनों पर उधारी चा।
सुण्दा रावा...........................ज़ारी चा।
// बिधवा बुढड़ि की जमीन,धोकान् कौड़ियुंमा मुल्याई।
हरकु भुला पर आरोप,साबित ह्वे  समझा गाई।
कबि जैनी’ कबि जमीन’ यी  जमादारी चा।
सुण्दा रावा..............................ज़ारी चा।
// पर्दाफास रैलियुंलाकांग्रेसै उपड़णों जड़।
गौं-गौं सम्पर्क कना
भाजपाई बीर भड़।
ख्वजणाकू हरचिं जमीनकोसिसूं भरमारी चा।
सुण्दा रावा................................ज़ारी चा।
// पाड़ुं से समोदर तलकसम्म भ्वरीं गंगा माई।
बिजां बरखि पांणि पर,तिसाल़ि गौल़ि तर नि ह्वाई।
पाड़ियु़ंन कनुक्वेकि बुन कि गंगा मां हमारी चा। सुण्दा रावा,ख़ास ख़बरौं,सिलसिला अबि ज़ारी चा।
★★★★★★★★
आठौं बुलेटिनसमाप्तम् -25.8.2016
डा.सतीश कालेश्वरी।
Critical and Chronological History of Asian Modern Garhwali Songs,  Poets   ; Critical and Chronological History of Modern Garhwali Verses,  Poets ; Critical and Chronological History of Asian Modern Poetries,  Poets  ; Poems Contemporary Poetries,  Poets  ; Contemporary Poetries from Garhwal; Development of Modern Garhwali Verses; Poems  ; Critical and Chronological History of South Asian    Modern Garhwali Verses  ; Modern Poetries ,  Poets  ; Contemporary Poetries,  Poets  ; Contemporary Poetries Poems  from Pauri Garhwal; Modern Garhwali Songs; Modern Garhwali Verses  ; Poems,  Poets   ; Modern Poetries  ; Contemporary Poetries  ; Contemporary Poetries from Chamoli Garhwal  ; Critical and Chronological History of Asian Modern Garhwali Verses ; Modern Garhwali Verses,  Poets   ; Poems,  Poets  ; Critical and Chronological History of Asian  Modern Poetries; Contemporary Poetries , Poems Poetries from Rudraprayag Garhwal Asia,  Poets   ; Modern Garhwali Songs,  Poets    ; Critical and Chronological History of Asian Modern Garhwali Verses  ; Modern Poetries  ; Contemporary Poetries,  Poets   ; Contemporary Poetries from Tehri Garhwal; Asia  ; Poems  ;  Inspirational and Modern Garhwali Verses ; Asian Modern Garhwali Verses  ; Modern Poetries; Contemporary Poetries; Contemporary Poetries from Uttarkashi Garhwal  ;  Modern Garhwali Songs; Modern Garhwali Verses  ; Poems  ; Asian Modern Poetries  ; Critical and Chronological History of Asian Poems  ; Asian Contemporary Poetries; Contemporary Poetries Poems from Dehradun Garhwal; Famous Asian Poets  ;  Famous South Asian Poet ; Famous SAARC Countries Poet  ; Critical and Chronological History of Famous Asian Poets of Modern Time  ;
-
पौड़ी गढ़वालउत्तराखंड  से गढ़वाली कविता चमोली  गढ़वालउत्तराखंड  से गढ़वाली पद्य  कविता रुद्रप्रयाग गढ़वालउत्तराखंड  से गढ़वाली पद्य  कविता ;टिहरी गढ़वालउत्तराखंड  से गढ़वाली पद्य  कविता ;उत्तरकाशी गढ़वालउत्तराखंड  से गढ़वाली पद्य  कविता देहरादू गढ़वालउत्तराखंड  से गढ़वाली पद्य  कविता 

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments