Critical and Chronological History of Modern Garhwali (Asian) Poetry –-308
Literature Historian: Bhishma Kukreti
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उलखणि-उलखणि (गज़ल)
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कन रुसाई म्यारु दगड्या,ब्याळि यखुलि छोड़ि ग्याइ ।
निंद बिटोळि-बटाळिक ल्हीग,
खालि-खटुलि छोड़ि ग्याइ ॥
निंद बिटोळि-बटाळिक ल्हीग,
खालि-खटुलि छोड़ि ग्याइ ॥
रात-दिन, ब्यखुनि-फज़ल,सदनि जैंथैं पुजणां रवां ।
जिकुड़ि का बांजा चौक म,डाळि तुलसी छोड़ि ग्याइ ॥
जिकुड़ि का बांजा चौक म,डाळि तुलसी छोड़ि ग्याइ ॥
त्यारा बगैर खुदेड़ दिनुकि,गणत करदा रै ग्यवां ।
वो नै कलैण्डर टंकणा को,खालि दिवलि छोड़ि ग्याइ ॥
वो नै कलैण्डर टंकणा को,खालि दिवलि छोड़ि ग्याइ ॥
स्वीणां अंछण्यांटम धैरिक,बिरणि माया गिंडाणा कु ।
खुद रमठाणा का बाना,ख्वींडी थमळि छोड़ि ग्याइ ॥
खुद रमठाणा का बाना,ख्वींडी थमळि छोड़ि ग्याइ ॥
नच्दा-नच्दा द्यप्ता थैं,भारि भिरिंगी चैड़ि ग्याइ ।
लाल आंख्यूं देखि जगरि,डौंरि थकुलि छोड़ि ग्याइ ॥
लाल आंख्यूं देखि जगरि,डौंरि थकुलि छोड़ि ग्याइ ॥
बिजोग प्वाड़ मति फर,मि त चट्ट बिसिरि जांदु ।
खुद लगाणु कु सिर्वणि ताळ,अपणि नथुलि छोड़ि ग्याइ ॥
खुद लगाणु कु सिर्वणि ताळ,अपणि नथुलि छोड़ि ग्याइ ॥
@ पयाश पोखड़ा ।
माया
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मेरि माया थैं सौंगि सौंग्यार नि समझी ।
देर ह्वेलि पर लब्बी अग्यार नि समझी॥
देर ह्वेलि पर लब्बी अग्यार नि समझी॥
ऐथर-पैथर रंगमत फूलु की डार ह्वैलि ।
हैरि पत्यूं थैं मयळ्दु मौळ्यार नि समझी॥
हैरि पत्यूं थैं मयळ्दु मौळ्यार नि समझी॥
मुखड़ि हळ्दण्यां नि ह्वा कैकि खुद मा ।
प्योंलि का दगड़ पुरणु प्यार नि समझी ॥
प्योंलि का दगड़ पुरणु प्यार नि समझी ॥
ह्वेलि तेरि जाण पछ्याण सर्या मुल्क मा।
पर मि गरीब थैं खैड़ कत्यार नि समझी॥
पर मि गरीब थैं खैड़ कत्यार नि समझी॥
पंगत बणै खड़ा मरचण्यां धुपणुं दिवया ।
आंसु फुंजदरौं की लंग्यार नि समझी ॥
आंसु फुंजदरौं की लंग्यार नि समझी ॥
'पयाश' की कांधिमा मुंड धैरि नि रूणुं ।
वीं जिकुड़ि तु सेळि स्यळ्यार नि समझी॥
वीं जिकुड़ि तु सेळि स्यळ्यार नि समझी॥
@पयाश पोखड़ा ।
एक "ग्याड़ू" की गज़ल "लकदक डाळि" भाई गणेश काला जी का नाम समर्पित ।
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बल ज्व डाळि जत्गा लकदक रैंद ।
ढुंगेरु की वींफरै उत्गा टक रैंद ॥
ढुंगेरु की वींफरै उत्गा टक रैंद ॥
कैल कै छे या सर्या डाळि खालि ।
सित्गा याद कब कैथै कख रैंद ॥
सित्गा याद कब कैथै कख रैंद ॥
सर्र बिसर जांद वा पुरणी कचगा ।
नै कुटमणों मा बणि लकझक रैंद ॥
नै कुटमणों मा बणि लकझक रैंद ॥
ढुंगा चुटन्दरा को छाई ? कुजाण ।
वींकु सदनि 'पयाश' फर शक रैंद ॥
वींकु सदनि 'पयाश' फर शक रैंद ॥
डाळि जैकि ह्वैलि तैकि ह्वैलि भारे ।
हां, छैलु बैठणा कु त सबुकु हक रैंद ॥
हां, छैलु बैठणा कु त सबुकु हक रैंद ॥
बिसुदि छैल की सुनिंदि मा ख्याल नि ।
डाळि कु लप्यता प्वड़्यूं जख-तख रैंद ॥
डाळि कु लप्यता प्वड़्यूं जख-तख रैंद ॥
@पयाश पोखड़ा ।
"बागी और बगावत"
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उत्तराखण्ड मा बाग्यू कि बक्किबात कि बग्वौत ह्वाई ।
कर्रर कग्वौत-कग्वौतिक सर्या सरकार कग्वौत द्याई ॥
कर्रर कग्वौत-कग्वौतिक सर्या सरकार कग्वौत द्याई ॥
गौं की रामलीला कु सि सीन खट्ट इन बदळ्याई ।
बागी बुगणा दगड़ ह्वैगीं अर खौळ्यूं सि
रौत ह्वाई ॥
बागी बुगणा दगड़ ह्वैगीं अर खौळ्यूं सि
रौत ह्वाई ॥
अंग्वाळ बोटिक दगड़ा दगड़ि खड़ि छे ब्यालि तलक ।
लाल बिलोज पिंग्ळि साड़ि पैरिक कैकि सौत ह्वाई ॥
लाल बिलोज पिंग्ळि साड़ि पैरिक कैकि सौत ह्वाई ॥
आरया आरि कुलड़ा चलै ग्याइ अपणों का जाड़ों फर ।
घ्वाड़ों की बिकरिबट्टम अपणा पाड़ा की मौत ह्वाई ॥
घ्वाड़ों की बिकरिबट्टम अपणा पाड़ा की मौत ह्वाई ॥
कुणजा का बूना ल सोरी ग्याइ जो कूणा कुणजुखाळा का ।
निरबिजी कै ग्याइ भग्यान बिदानसबा की औत ह्वाई ॥
निरबिजी कै ग्याइ भग्यान बिदानसबा की औत ह्वाई ॥
आज वळ्या ख्वाळ त भोळ पळ्या ख्वाळ सिन नि डब्का ।
धरु-धरु मा नि नचावा लोकतंतर अब मजाक भौत ह्वाई ॥
धरु-धरु मा नि नचावा लोकतंतर अब मजाक भौत ह्वाई ॥
सरम न ल्याज, इनै कु प्याज उनै भ्याज, यो कनु रिवाज ।
हण्ड-बिभण्ड कैरि उत्तराखण्ड दगड़ कनि ठग्वौत ह्वाई ॥
हण्ड-बिभण्ड कैरि उत्तराखण्ड दगड़ कनि ठग्वौत ह्वाई ॥
@पयाश पोखड़ा ।
एक कच्ची-पक्की "कच्ची" फर
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ब्वै-बब्बौ की पिनसनी मा ।
दारू पीणा छन दिनमनी मा ॥
दारू पीणा छन दिनमनी मा ॥
गोरु-बछुरु मुग्दान लगैकि,कच्ची बणाणा छन छन्नी मा ॥
कन ढंर्गचाळ बिगड़ मवसौं कु,छ्वारा बिहोस भप्पी ज्वनि मा ॥
ना करणि-धरणि ना कमै-धमै,हथ पसरणा छन जननी मा ॥
खाणा-पीणाकु भलु सज अयूं च,मौज-मजा कना छन परधनि मा ॥
खज्यतू अयूं च अर फजितू हुयूं,गुंग बण्यां छन दाना दिवनी मा ॥
बिना पियां नरग रैण तिल "पयाश",चित्त ह्वै जैलु तू एक चवन्नी मा ॥
@पयाश पोखड़ा ।
"खुद"
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आज फेरि हथगुळ्यु मा, किसळि सि लगणि चा ।
आज फेरि क्वी भटुळि,
तिसळि सि लगणि चा ॥
आज फेरि क्वी भटुळि,
तिसळि सि लगणि चा ॥
कब बटैकि दिखेणा छवा, कख छाया तुम ?आज फेरि तेरि बात,हिंसळि सि लगणि चा ॥
दगड़्यौंल दगड़्यौं मा,इसक्वल्या छुईं पुरैना ।
आज फेरि जिकुड़ि मा,झिसळि सि लगणि चा ॥
आज फेरि जिकुड़ि मा,झिसळि सि लगणि चा ॥
बिसर्या दिनु कि खुद,क्वी ठस ठसोळि ग्याइ ।
आज फेरि दुखदा मा,ठिसळि सि लगणि चा ॥
आज फेरि दुखदा मा,ठिसळि सि लगणि चा ॥
कब बटैकि आंख्यूं मा,आंसु भैर नि आया ।
आज फेरि आंख्यूं मा,रिसळि सि लगणि चा ॥
आज फेरि आंख्यूं मा,रिसळि सि लगणि चा ॥
वो सुख्यूं सि फूल,कनै उड़ रे "पयाश" ।
आज मेरि जिकुड़ि,बिसळि सि लगणि चा ॥
आज मेरि जिकुड़ि,बिसळि सि लगणि चा ॥
@पयाश पोखड़ा ।
"निगुसैं करा"
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औंस्या रात्यूं मा भि जळ्यूं त छाई ।
पर दूर कखि एक द्यू बळ्यूं त छाई ॥
पर दूर कखि एक द्यू बळ्यूं त छाई ॥
न वैल बताई, न मिल कुछ चिताई ।
पर वैकु सर्य्या सरैळ कळ्यूं त छाई ॥
पर वैकु सर्य्या सरैळ कळ्यूं त छाई ॥
गरम-गरम लाल धत्कार भैर बटैकि ।
पर भितनां नौंणि जनु गळ्यूं त छाई ॥
पर भितनां नौंणि जनु गळ्यूं त छाई ॥
कोच यो ? कैल भि गिच्चु नि ख्वालु ।
पर वो ट्वक्वरा खैकि पळ्यूं त छाई ॥
पर वो ट्वक्वरा खैकि पळ्यूं त छाई ॥
बिना वीरों की भि जंदरि रिटणी राया ।
पर ग्यूं दगड़ घूण जनु रळ्यूं त छाई ॥
पर ग्यूं दगड़ घूण जनु रळ्यूं त छाई ॥
@पयाश पोखड़ा ।
"आंख्यूं की बोली"(हाइकु)
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आंखा देसि फुकणां,आंसु गढ़्वळिम रुझणां,द्विया बीगीं गैन बोलि ॥ (१)
आंखा रुक्यां सि,स्वीणा दुख्यां सि,फेरि भि द्यखणां की कै बै ॥ (२)
आंखि पटगाबन्द,सुपिन्यां चिलांग,फज़ल रतखुलणिम तक ॥ (३)
आंख्यूं मा उज्यळु,जिकुड़ि मा मुच्छ्यळु,घनाघोर चुक्कापट्ट त्वै जनै ॥ (४)
उळ्यरा आंखा,कल्यरा बाटा,रुम्कां रुम्कां मैत जनै ॥ (५)
जिकुड़ि कु डाउ,आंख्यूं मा आंसु,राउ त कनकै राउ ॥ (६)
दिन-द्वफिरि जुन्यळि,ग्यूं कि रोटी चुन्यळि,तू देळिम जून छज्जम ॥ (७)
ब्यौ पल्या ख्वाळा,अर्सा, भूड़ा, स्वाळा,मोत्याबिन्द आंख्यूं मा मोती बिन्दु ॥ (८)
फुलफटंगा जून द्याखा,जम्मा नि झपकाइ आंखा,कतगा लब्ब्ब्बी खुद ॥ (९)
हर्च्यां आंखा,जग्वळ्या बण्यान,कै अपच्छ्यणकुल का ॥ (१०)
खौळ्यां आंखा,बौळ्या जिन्दगि,तिल द्याखा, मिल द्याखा ॥ (११)
@पयाश पोखड़ा ।
तुम तबरि तक तमखू भ्वरणां रयां,वो बल आला साल पांचेकम ॥
तुम तबरि तक दिनमनि म्वरणां रयां,
वो बल आला साल पांचेकम ॥
तुम तबरि तक दिनमनि म्वरणां रयां,
वो बल आला साल पांचेकम ॥
दूध पेकि, परळि चाटिकि,घ्यू घूळिगीं त्यारा बांठा को ।
तुम तबरि तक भदळि क्वरणां रयां,वो बल आला साल पांचेकम ॥
तुम तबरि तक भदळि क्वरणां रयां,वो बल आला साल पांचेकम ॥
कूल पेकि, सड़क बुखैकि,डिग्गी सपोड़िगीं त्यारा गांवा की ।
तुम तबरि तक पाणि च्वरणा रयां,वो बल आला साल पांचेकम ॥
तुम तबरि तक पाणि च्वरणा रयां,वो बल आला साल पांचेकम ॥
स्वीणा फर स्वीणा दिखैकि,त्यारा सबि सुपिन्या सर्र स्यळैगीं ।
तुम तबरि तक स्वीणा स्वरणा रयां,वो बल आला साल पांचेकम ॥
तुम तबरि तक स्वीणा स्वरणा रयां,वो बल आला साल पांचेकम ॥
धर्ती का द्यप्ता स्वां लापता,डौंरि-थकुलि यखुलि छोडि-छाडिकि,तुम तबरि तक कूंणों ख्वजणा रयां,वो बल आला साल पांचेकम ॥
@पयाश पोखड़ा ।
" त्वै दगड़ को"
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हैंसि खितकिड़्यूं मा सब त्वै दगड़ ।
पर आंसु फुंजणा मा त्वै दगड़ को ?
पर आंसु फुंजणा मा त्वै दगड़ को ?
तिल बस एकदां चुळ मि जनै द्याख ।
पर दुन्यां की आंख्यूं मा त्वै दगड़ को ?
पर दुन्यां की आंख्यूं मा त्वै दगड़ को ?
तेरि आंख्यूं की हैंस सर्या दुन्यंल द्याख ।
पर आंसु का क्वांसू मा त्वै दगड़ को ?
पर आंसु का क्वांसू मा त्वै दगड़ को ?
कन-कना गीत मिसैनि गितरुल त्वैफर ।
पर त्यारा खुदेड़ गीतु मा त्वै दगड़ को ?
पर त्यारा खुदेड़ गीतु मा त्वै दगड़ को ?
सौंजड़्या छे तू मेरि सबुना ब्वाल त्वैकु ।
पर त्यारा दगड़ु कना मा त्वै दगड़ को ?
पर त्यारा दगड़ु कना मा त्वै दगड़ को ?
उंधरियूं हथ धार त्यारा कांधम सबुना ।
पर उकळि का बाटों मा त्वै दगड़ को ?
पर उकळि का बाटों मा त्वै दगड़ को ?
@पयाश पोखड़ा ।
खाली,खल्टा,खल्लम-खल्ला !
एक दां अपड़ा गांव त चल्ला !!
©©©©©©©©©©©©©©©काका न ब्वाडा, भैजि न भुल्ला रे,
मेरि डंड्यळि, तेरि तिबरि,खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
गगरि न कस्यरि, लारा न झुल्ला रे,
मेरि नवळि, तेरि पंद्यरि,
खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
गोळण न सांगळ, बन्द न खुल्ला रे,
मेरि मंज्युळि, तेरि उबरि,
खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
खुम्का न वीरा, घ्याळ न हल्ला रे,
मेरि उर्ख्यळि, तेरि जंदरि,
खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
ज्युड़ि न दौळिं, गोठ न पल्ला रे,
मेरि थ्वरिड़ि, तेरि कळ्वड़ि,
खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
दै न दग्ड़्या, पैसा न पल्ला रे,
मेरि सुप्पी, तेरि ठ्वपरि,
खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
बूण न घार, हिटा न चल्ला रे,
मेरि जांठि, तेरि छतरि,
खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
त्यूंखी न गत्यूड़ि, थ्यग्ळा न टल्ला रे,
मेरि धोति, तेरि चद्दरि,
खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
ख्वींडा न अबिंडा, बुरा न भल्ला रे,
मेरि मुण्डळि, तेरि ख्वपरि,
खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
"पयाश" य यकुलांस, फेरि भेंट कल्ला रे,
जिकुड़ि कि पीड़ा, पोखड़ा का स्वीणा,
खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
एक दां अपड़ा गांव त चल्ला !!
©©©©©©©©©©©©©©©काका न ब्वाडा, भैजि न भुल्ला रे,
मेरि डंड्यळि, तेरि तिबरि,खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
गगरि न कस्यरि, लारा न झुल्ला रे,
मेरि नवळि, तेरि पंद्यरि,
खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
गोळण न सांगळ, बन्द न खुल्ला रे,
मेरि मंज्युळि, तेरि उबरि,
खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
खुम्का न वीरा, घ्याळ न हल्ला रे,
मेरि उर्ख्यळि, तेरि जंदरि,
खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
ज्युड़ि न दौळिं, गोठ न पल्ला रे,
मेरि थ्वरिड़ि, तेरि कळ्वड़ि,
खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
दै न दग्ड़्या, पैसा न पल्ला रे,
मेरि सुप्पी, तेरि ठ्वपरि,
खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
बूण न घार, हिटा न चल्ला रे,
मेरि जांठि, तेरि छतरि,
खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
त्यूंखी न गत्यूड़ि, थ्यग्ळा न टल्ला रे,
मेरि धोति, तेरि चद्दरि,
खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
ख्वींडा न अबिंडा, बुरा न भल्ला रे,
मेरि मुण्डळि, तेरि ख्वपरि,
खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
"पयाश" य यकुलांस, फेरि भेंट कल्ला रे,
जिकुड़ि कि पीड़ा, पोखड़ा का स्वीणा,
खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
खल्लम-खल्ला रे, खल्लम-खल्ला रे....
@पयाश पोखड़ा ।
"इनु बि क्या ?"
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न चिट्ठी, न पतरि, न क्वी रंत, न रैबार आंद ।
अब कख क्वी कैका वार-ध्वार,
आंद-जांद ॥
अब कख क्वी कैका वार-ध्वार,
आंद-जांद ॥
चखुला उडणा छन त उडण दे,स्यूं बिचरों थैं ।
जख चार बियां ह्वाला घुघुति, वखि त जांद ॥
जख चार बियां ह्वाला घुघुति, वखि त जांद ॥
खन्द्वार हुईं डण्ड्यळि की कुछ, सुणि ले जरा ।
तिबरि कु खम्ब बि बगत दगड़ खड़ु,नि रै पांद ॥
तिबरि कु खम्ब बि बगत दगड़ खड़ु,नि रै पांद ॥
स्यो बन्दुक्या दादा कै फर सिसाद, लगाणु चा ।
क्वी भर्वसु नि गोळ्युंकु कब अफु
जनै आंद ॥
क्वी भर्वसु नि गोळ्युंकु कब अफु
जनै आंद ॥
या दुन्यां त अजकाळ भौत छ्वटि सि, ह्वै ग्याइ ।
पर आबत-अस्नौ, भयात किळै दूर
ह्वै जांद ॥
पर आबत-अस्नौ, भयात किळै दूर
ह्वै जांद ॥
मिल त कबि कुछ बि नि मांगु छाइ
द्यप्तौं मा ।
पर स्यो "पयाश" किळै भट्ट अंग्वाळ बोटि जांद ॥
द्यप्तौं मा ।
पर स्यो "पयाश" किळै भट्ट अंग्वाळ बोटि जांद ॥
@पयाश पोखड़ा
"भारे ! याद राखि"
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ग्वेर छ्वारौं दगड़ कबि,ठट्ठा नि कैरी ।
छ्यूंता-छिलबट दगड़ कबि,
अग्यलुपट्टा नि धैरी ॥
छ्यूंता-छिलबट दगड़ कबि,
अग्यलुपट्टा नि धैरी ॥
भग्यनि जतन कैकि मिलद,मयल्दु-माया ।
माया कैका दगड़ कबि,कट्ठा नि कैरी ॥
माया कैका दगड़ कबि,कट्ठा नि कैरी ॥
ढ्वाया-ढुएर लग्यां छन,भीड़ा मिसाण फर ।
चौका मा सुपिन्यों कु कबि,चट्टा नि धैरी ॥
चौका मा सुपिन्यों कु कबि,चट्टा नि धैरी ॥
त्यारा बाना कखि क्वी,जोगी नि बणि जाऊ ।
म्वारा ऐथर टिमरू कु कबि,लट्ठा नि धैरी ॥
म्वारा ऐथर टिमरू कु कबि,लट्ठा नि धैरी ॥
जु कतगौं की मौ-मवसि,घाम लगै गैन ।
वुं जिवरों का कीसाउन्द कबि,लगनपट्टा नि धैरी ॥
वुं जिवरों का कीसाउन्द कबि,लगनपट्टा नि धैरी ॥
कखड़ि-ग्वदड़ि फर बि लोग,सुई लगाणा छन ।
डुट्यळु का पीठिम मूळा कु, कट्टा नि धैरी ॥
डुट्यळु का पीठिम मूळा कु, कट्टा नि धैरी ॥
बुढेनदावकि चिगैं चा तू,बुरु नि मानी "पयाश" ।
लाब-काब बोलिक कैका प्राण,खट्टा नि कैरी ॥
लाब-काब बोलिक कैका प्राण,खट्टा नि कैरी ॥
@पयाश पोखड़ा ।
"वो इसकोला का दिन"
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आज बि कना छन जग्वाळ,वो इसकोला का दिन ।
निछैंदि मा बि इगास-बग्वाळ,
वो इसकोला का दिन ॥
निछैंदि मा बि इगास-बग्वाळ,
वो इसकोला का दिन ॥
चिरीइं कितबि उधड़्यूं बसता,वा कैपिटल कौपि कख जि ध्वाळ ।
आज बि कना छन जग्वाळ,वो इसकोला का दिन ॥
आज बि कना छन जग्वाळ,वो इसकोला का दिन ॥
कख हर्चा वा स्या की टिक्कि,वेलडन की दवति मा ज्वा छ्वाळ ।
आज बि कना छन जग्वाळ,वो इसकोला का दिन ॥
आज बि कना छन जग्वाळ,वो इसकोला का दिन ॥
गुर्रौ कु कांचळ, मोर फंखुड़ू,दिख्याई, जनि किताब ख्वाळ ।
आज बि कना छन जग्वाळ,वो इसकोला का दिन ॥
आज बि कना छन जग्वाळ,वो इसकोला का दिन ॥
मि चोर निछौं, बत्ती कसम,दगड़्या का अग्वड़ि बसता फ्वाळ ।
आज बि कना छन जग्वाळ,वो इसकोला का दिन ॥
आज बि कना छन जग्वाळ,वो इसकोला का दिन ॥
अरे ! पैसौं का सार नि लग,दे द्यूलु रे तेरि पंजी-दसी भ्वाळ ।
आज बि कना छन जग्वाळ,वो इसकोला का दिन ॥
आज बि कना छन जग्वाळ,वो इसकोला का दिन ॥
भ्वाळ बटैकि टक्क लगै पढलु,सर्या साल इन बोलिक धंग्वाळ ।
आज बि कना छन जग्वाळ,वो इसकोला का दिन ॥
आज बि कना छन जग्वाळ,वो इसकोला का दिन ॥
दगड़्या नमान पढ़णा रैनि,घमतप्पा रौं मि फील्डा तिर्वाळ ।
आज बि कना छन जग्वाळ,वो इसकोला का दिन ॥
आज बि कना छन जग्वाळ,वो इसकोला का दिन ॥
सुबेरलेकि इसकोल जाण,ब्वै ल मिथैं सिनक्वळि सिवाळ ।
आज बि कना छन जग्वाळ,वो इसकोला का दिन ॥
आज बि कना छन जग्वाळ,वो इसकोला का दिन ॥
अ ब स एक समकोण तिरबुज चा,कंदुड़ु मा बयांदा यो सवाल ।
आज बि कना छन जग्वाळ,वो इसकोला का दिन ॥
आज बि कना छन जग्वाळ,वो इसकोला का दिन ॥
झणि कख ह्वैलि वो दगड़्या ?जैल द्या छाई वो रेसमि रूमाल ।
आज बि कना छन जग्वाळ,आज बि कना छन जग्वाळ,जग्वाळ, जग्वाळ, जग्वाळ,वो..............
इसकोला...
का.............
दिन ॥
आज बि कना छन जग्वाळ,आज बि कना छन जग्वाळ,जग्वाळ, जग्वाळ, जग्वाळ,वो..............
इसकोला...
का.............
दिन ॥
@पयाश पोखड़ा ।
कनकै ?
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अपणि कचकौं थैं, कनकै लुकौउं ? अपणा गैरा घौ थैं, कनकै सुखौउं ?
आंखा भ्वर-भ्वरिक आंसु पैंछा दे ग्यवा ।
बता त्यारु उधरु, कनकै चुकौउं ?
बता त्यारु उधरु, कनकै चुकौउं ?
पाणि-पाणि कैकि चोळि तिसळि राया ।
त्वैकु बूंद दुएक, कनकै पुकौउं ?
त्वैकु बूंद दुएक, कनकै पुकौउं ?
जतन कैकि चुलाउंद आग घुघराया ।
ईं खुदेड़ जिकुड़ि, कनकै फुकौउं ?
ईं खुदेड़ जिकुड़ि, कनकै फुकौउं ?
द्यप्ता जाणिकि पुजिनि जो सर्या जिंदगि।
ढुगौं ऐथर मुण्ड, कनकै झुकौउं ?
ढुगौं ऐथर मुण्ड, कनकै झुकौउं ?
मि जणंदू छौं त्यारा अबिण्डो स्वभौ थैं ।
तेरि गिच्चि च्यौलि, कनकै ठुकौउं ?
तेरि गिच्चि च्यौलि, कनकै ठुकौउं ?
खौंखाळ त मारि द्या तिल 'पयाश' पर,ख्वळा गिच्चिल च्यूड़ा, कनकै बुखौउं ?
@पयाश पोखड़ा ।
एक गज़ल तुमरा नौ----
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मि त सुदि-सुदि बरैनाम खड़ु कर्यूं छौं ।
म्वाळा कु सि माद्यौ म्वार फर धर्यू छौं ॥
म्वाळा कु सि माद्यौ म्वार फर धर्यू छौं ॥
कबरि-कबरि झळ्कां मी जनै भि द्यख्दा ।
द तुमर भांवल मि ज्यूंदु छौं कि म्वर्यूं छौं॥
द तुमर भांवल मि ज्यूंदु छौं कि म्वर्यूं छौं॥
पोर-परार बटैकि मि हैंसण बिसिर ग्यौं।
गाळ-गाळ तक भारी असंदल भ्वर्यूं छौं॥
गाळ-गाळ तक भारी असंदल भ्वर्यूं छौं॥
खिर्तू द्यखणा से पैलि कुजगा बैठि ग्यौं।
मि अपणै गुठ्यारा की गौ कु मर्यूं छौं ॥
मि अपणै गुठ्यारा की गौ कु मर्यूं छौं ॥
जैं बिसगीं नयरि फट्यळु लगाणा छवा ।
वीं नयरि थैं बसगाळम कत्गै दां तर्यूं छौं॥
वीं नयरि थैं बसगाळम कत्गै दां तर्यूं छौं॥
गौं कु डबळांदु बाटो आंसु थामि ब्वळ्दा।
नि कुरचदा क्वी, मि भलिकै स्वर्यूं छौं॥
नि कुरचदा क्वी, मि भलिकै स्वर्यूं छौं॥
चौपड़-चौसर कौड़ि सदनि जितणु रौं ।
पर जिदंगि कु जुआ 'पयाश' मा हर्यूं छौं॥
पर जिदंगि कु जुआ 'पयाश' मा हर्यूं छौं॥
@पयाश पोखड़ा ।
"एक मुक्तक उत्तराखण्ड का मुकतक"
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तेरि कच़गौं का मथिफुण्ड,कड़पत्या चुवै गीं ।
एकदां फेरि त्यारा हर्सू , हर्कू
त्वै रुवै गीं ॥
देवि-द्यप्तौं की धर्ती त्वैकू,
लोग ब्वळदिन ।
त्यारा अज्जू , बिज्जू त्यारू
नौ गुवै गीं ॥
एकदां फेरि त्यारा हर्सू , हर्कू
त्वै रुवै गीं ॥
देवि-द्यप्तौं की धर्ती त्वैकू,
लोग ब्वळदिन ।
त्यारा अज्जू , बिज्जू त्यारू
नौ गुवै गीं ॥
@पयाश पोखड़ा ।
"द त्यारा भांवल त"
(छोड़ तेरी बला से)
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(छोड़ तेरी बला से)
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मि कब साठ साल कु ह्वै ग्यौं--
द त्यारा भांवल त ।
मि कब माट ताळ कु ह्वै ग्यौं--
द त्यारा भांवल त ॥
द त्यारा भांवल त ।
मि कब माट ताळ कु ह्वै ग्यौं--
द त्यारा भांवल त ॥
त्यारा गांवा का बाटों थैं, कुरचदा- कुरचदा ।
मि कब गौं गाळ कु ह्वै ग्यौं--
द त्यारा भांवल त ॥
मि कब गौं गाळ कु ह्वै ग्यौं--
द त्यारा भांवल त ॥
तू सदनि मेरि मयळ्दु माया,म्वळ्याणि रैई ।
मि कब उधार पगाळ कु ह्वै ग्यौं--
द त्यारा भांवल त ॥
मि कब उधार पगाळ कु ह्वै ग्यौं--
द त्यारा भांवल त ॥
सुपिन्यौं का पल्या छाल,तु भि बैठीं रैंदि ।
मि कब वल्या छाल कु ह्वै ग्यौं--
द त्यारा भांवल त ॥
मि कब वल्या छाल कु ह्वै ग्यौं--
द त्यारा भांवल त ॥
माया मम्ता पियार पिरेम,सबि कुछ त त्वैमा ।
मि कब जैर दूधिबाळ कु ह्वै ग्यौं--
द त्यारा भांवल त ॥
मि कब जैर दूधिबाळ कु ह्वै ग्यौं--
द त्यारा भांवल त ॥
तुम बसगळ्या बणदर्यूं मा,चखुला सि छपत्वळ्यौ ।
मि कब ढाळ पंदाळ कु ह्वै ग्यौं--
द त्यारा भांवल त ॥
मि कब ढाळ पंदाळ कु ह्वै ग्यौं--
द त्यारा भांवल त ॥
'पयाश' गाणि करदा रै ग्याइ,द्यखणा की ।
मि कब वै तूनाखाल कु ह्वै ग्यौं--
द त्यारा भांवल त ॥
द त्यारा भांवल त ॥
मि कब वै तूनाखाल कु ह्वै ग्यौं--
द त्यारा भांवल त ॥
द त्यारा भांवल त ॥
@पयाश पोखड़ा ।
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Copyright @ Bhishma Kukreti Mumbai; 2016
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