(शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं)
Garhwali Story by Mahesha Nand
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(Collection and Critical Review of Garhwali Short stories series)
Collected and Presented by : Bhishma Kukreti
जन्नि गुर्जि इसकुलुम् ऐनि तन्नि वूं कु सरेल फट्ट फटगर्ये ग्या।वूं कS इसकूला ऐथर डाळा लगंया छा। उतरंया छ्वरौंन् सौब डाळा चड़ाचड़ि उपाड़ी फुंड चुलै द्येनि। गुर्जि भिंगरे ग्येनि। वून नौना बरंडा मा निड़ैनी अर वूं थैं पूछी-- "सकळि ब्वाला, कैन कैरि यु उफर्याद ?"जु नौना एक-हैंकS द्येखी पिलसेंदा छा, वून फकाफक नौ गिंणै द्येनि। किबलाटम गुर्जि थैं नौ सुंण्येनि-- कळ्या, अमरु, ल्यळतु, सुक्ड़ि,अंक्कु अर देबु। गुर्जि धंधे ग्येनि। यि सौब पंण्णम् फरजंट छा। गुर्जिन् यूं कु बोलि-- "तुम सौब अपड़ि-अपड़ि बौक्स फैल दिखा।"
यूं नौनौं कS जिकुड़ा हिदरांणा छा। गुर्जि पंण्ण-ल्यखंणम् नि चटकांदा छा। पंण उतरयां नौनौ कु वु बुग्चा बंणै दींदा छा। वु हौर नौनौं थैं अढ़ांणा -- "ब्यट्टौं गणित, विग्यान, अंगरेजी तुम थैं बिंगंणम् नि आंणी च, क्वी बात नी। अंमणि नि आ त भोळ आली। भोळ नि आ त परस्यौं आली। जै दिन तुम सयंणा ह्वे जैल्या, वे दिन तुम सौब बींगि जैल्या। पंण बुरै जु सरेलम् यीं उमर मा भ्वरे जाली त व सगळि उमर भर सप्पा नि छिछौण्य(नष्ट) ।"
उतरंया नौनौ बौक्स फैलू ल्ये कि ऐनि। गुर्जिन कळ्ये बौक्स फैल द्येखी बोलि-- "टक्क लगैकि सूंणा रै ! कळ्यौ अपड़ि बौक्स फैलम् ल्यख्यूं च कि येन डीएम बंण। अमरू ल्यख्यूं च--- इंजिनेर, ल्यळतु टीचर अर अंक्कु ठ्यकादार। सुक्ड़ु बंण चांSद डौगडर, देबू नेता। ब्वाला रै नौनौं क्य यि डौगटर, इंजिनेर, नेता य डीएम बंणि सकदन ?"
सौब नौनौन् हां बोलि। किलैकि वु जंणदा छा कि गुर्जीकि डिक्सनरी मा ना सब्द त छैंयी नी च। पंण गुर्जिन अंमणि चबट्ट कै ना बोलि द्या। सौब नौना झम्म झिंवरे ग्येनि।
गुर्जिन नौनौ थै अढ़ै-- "जु फरजंट(होशियार) नौना हुंदन वु ब्वलदन बल वून बड़ु ह्वेकि डौगडर, इंजिनेर बंण। मि त ब्वल्दु ब्यट्टौं पैलि मनिख बंणि जा। जु भलु मनिख ह्वलु वी भलु डौगडर, भलु इंजिनेर अर भलु डीएम ह्वे सक्द।"
गुर्जिन् उपड़्यां डाळा फेर रोपि द्येनि।
यूं नौनौं कS जिकुड़ा हिदरांणा छा। गुर्जि पंण्ण-ल्यखंणम् नि चटकांदा छा। पंण उतरयां नौनौ कु वु बुग्चा बंणै दींदा छा। वु हौर नौनौं थैं अढ़ांणा -- "ब्यट्टौं गणित, विग्यान, अंगरेजी तुम थैं बिंगंणम् नि आंणी च, क्वी बात नी। अंमणि नि आ त भोळ आली। भोळ नि आ त परस्यौं आली। जै दिन तुम सयंणा ह्वे जैल्या, वे दिन तुम सौब बींगि जैल्या। पंण बुरै जु सरेलम् यीं उमर मा भ्वरे जाली त व सगळि उमर भर सप्पा नि छिछौण्य(नष्ट) ।"
उतरंया नौनौ बौक्स फैलू ल्ये कि ऐनि। गुर्जिन कळ्ये बौक्स फैल द्येखी बोलि-- "टक्क लगैकि सूंणा रै ! कळ्यौ अपड़ि बौक्स फैलम् ल्यख्यूं च कि येन डीएम बंण। अमरू ल्यख्यूं च--- इंजिनेर, ल्यळतु टीचर अर अंक्कु ठ्यकादार। सुक्ड़ु बंण चांSद डौगडर, देबू नेता। ब्वाला रै नौनौं क्य यि डौगटर, इंजिनेर, नेता य डीएम बंणि सकदन ?"
सौब नौनौन् हां बोलि। किलैकि वु जंणदा छा कि गुर्जीकि डिक्सनरी मा ना सब्द त छैंयी नी च। पंण गुर्जिन अंमणि चबट्ट कै ना बोलि द्या। सौब नौना झम्म झिंवरे ग्येनि।
गुर्जिन नौनौ थै अढ़ै-- "जु फरजंट(होशियार) नौना हुंदन वु ब्वलदन बल वून बड़ु ह्वेकि डौगडर, इंजिनेर बंण। मि त ब्वल्दु ब्यट्टौं पैलि मनिख बंणि जा। जु भलु मनिख ह्वलु वी भलु डौगडर, भलु इंजिनेर अर भलु डीएम ह्वे सक्द।"
गुर्जिन् उपड़्यां डाळा फेर रोपि द्येनि।
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